उत्तर भारत को अपने यहां की कड़ाके की सर्दी के लिए भी जाना जाता है। भारत के इस हिस्से में हर साल दिसंबर से फरवरी तक अधिक ठंड पड़ती है। मौसमी बदलाव की वजह से यहां के उद्योगों पर भी अधिक प्रभाव पड़ता है, जिससे गर्म कपड़ों के उद्योग को आर्थिक रफ्तार मिलती है।
उत्तर भारत में कई ऐसे शहर हैं, जहां बुनकर उद्योग सदियों से स्थापित है और गर्म कपड़ों का उत्पादन करते हैं। हालांकि, मौजूदा औद्योगिक युग में बुनकरों की जगह बड़-बड़ी फैक्ट्रियों ने ले ली है।
इस कड़ी में यहां एक शहर ऐसा भी है, जिसे सर्दी में गर्म कपड़ों के उत्पादन के लिए ही जाना जाता है। इनमें भी यहां कंबल प्रमुख है। अपनी इस वजह से इस शहर को कंबल का शहर ही कहा जाता है। कौन-सा है यह शहर, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
कौन-सा जिला कहलाता है कंबल का शहर
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारत में कौन-सा जिला कंबल का शहर कहलाता है। आपको बता दें कि भारत में पानीपत शहर को कंबल का शहर कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है कंबल का शहर
पानीपत शहर में काफी समय से ही पुरानी ऊन और गर्म कपड़ों का उद्योग स्थापित है। यहां कचरे वाली ऊन को संसाधित कर नई ऊन में बदला जाता है, जिसके बाद इनके माध्यम से कंबल व स्वेटर तैयार किए जाते हैं। यहां बड़ी संख्या में कंबल उद्योग स्थापित हैं, जहां बड़ी मात्रा में कंबल का उत्पादन किया जाता है। इस वजह से इस शहर को कंबल का शहर भी कहा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली है पहचान
पानीपत के कंबलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली हुई है। यहां से विदेशों में भी कंबलों को निर्यात किया जाता है, जिससे यहां के कंबलों को अधिक पहचान मिली है।
घरेलू मांग को भी पूरा करने में है आगे
पानीपत के कंबल उत्तर भारत में गर्म कपड़ों की मांग पूरा करने में भी सबसे आगे है। यहां के उद्योग प्रतिदिन 1 हजार टन कंबल का उत्पादन करते हैं, जिनकी पूरे भारतीय बाजारों में करीब 75 फीसदी की हिस्सेदारी है। यहां प्रतिदिन करोड़ों रुपये का व्यापार होता है, जो कि पानीपत को आर्थिक रफ्तार देने में भी सहयोग करता है।
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