भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है, जो कि पूरी दुनिया का करीब 2.4 फीसदी हिस्सा है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत, तो दक्षिण में दक्कन का पठार है। वहीं, मध्य में गंगा के उपजाऊ मैदान, तो पश्चिम में विशाल थार रेगिस्तान मौजूद है। देश का नक्शा उठाकर देखें, तो उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक भारत की सीमाएं फैली हुई हैं। इस कड़ी में हमें अलग-अलग दिशा में भारत के राज्य और केंद्र शासित प्रदेश देखने को मिलते हैं।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत का सबसे मध्य बिंदु कौन-सा है। यह भारत में किस राज्य और किस जिले के गांव में मौजूद है। क्या आप संबंधित राज्य और जिले का नाम जानते हैं या फिर गांव के नाम के बार में कोई जानकारी रखते हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
किस राज्य में है सबसे मध्य बिंदु
सबसे पहले हम राज्य के बारे में जान लेते हैं। आपको बता दें कि भारत का सबसे मध्य बिंदु मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। मध्य प्रदेश राज्य को भारत का दिल भी कहा जाता है। वहीं, भारत का यह राज्य अपनी विविध संस्कृति और समृद्ध इतिहास के लिए भी जाना जाता है।
किस जिले में है सबसे मध्य बिंदु
अब सवाल है कि भारत का सबसे मध्य बिंदु किस जिले में है, तो आपको बता दें कि ढीमरखेड़ा तहसील के कटनी जिले में मौजूद है। यह विजयराघवगढ़ किले के लिए भी जाना जाता है। वहीं, यहां का रूपनाथ मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है।
किस गांव में है सबसे मध्य बिंदु
अब सवाल है कि किस गांव को भारत का सबसे मध्य बिंदु माना जाता है, तो आपको बता दें कि कटनी जिले के करौंदी गांव को देश का सबसे मध्य बिंदु माना जाता है।
भारत के दिल के रूप में पहचान
भारत का करौंदी गांव मध्य बिंदु होने के कारण देश के दिल के रूप में पहचान रखता है। यहां करीब 200 लोगों की आबादी है।
गांव से गुजरती है कर्क रेखा
भारत के आठ राज्यों से गुजरने वाली कर्क रेखा करौंदी गांव से होकर गुजरती है। इससे गांव का भौगोलिक महत्त्व और बढ़ जाता है।
आजादी से पहले यह था मध्य बिंदु
आजादी से पहले भारत का मध्य बिंदु दूसरा था। क्योंकि, उस समय भारत का क्षेत्रफल अधिक था। यह मध्य बिंदु महाराष्ट्र राज्य के नागपुर में जीरो माइल मार्कर के तौर पर जाना जाता था।
हालांकि, बाद में पाकिस्तान और बांग्लादेश अलग देश बनने के बाद भारत का मध्य बिंदु बदला और करौंदी गांव को नया मध्य केंद्र माना जाने लगा। आपको बता दें कि भारत के इस गांव में 1987 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी पहुंच चुके हैं, जिसके बाद यहां एक स्मारक का निर्माण किया गया था।
कैसे हुई थी मध्य बिंदु की खोज
इस जगह की खोज की बात करें, तो साल 1956 में जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य एस.पी. चक्रवर्ती की अगुवाई द्वारा इस जगह की खोज की गई थी। खास बात यह है कि इस खोज में स्वतंत्रता सेनानी डॉ. राममनोहर लोहिया ने भी पहल की थी।
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