Chandrayaan 3 Mission: शाम को ही क्यों लैंड हुआ चंद्रयान-3 मिशन, जानें

Chandrayaan 3 Mission: भारत का अति महत्वपूर्ण चंद्रयान-3 मिशन 23 अगस्त, 2023 की शाम को लैंड हो गया।  हालांकि, क्या आपने सोचा है कि आखिर ISRO ने शाम का वक्त ही लैंडिंग के लिए क्यो चुना है। क्या वजह है कि इसरो ने सुबह के वक्त चांद पर लैंडिंग क्यों नहीं की।  कुछ इसी तरह के सवालों के जवाब को जानने के लिए आप यह लेख पढ़ सकते हैं। 

Aug 23, 2023, 18:26 IST
चंद्रयान-3 मिशन
चंद्रयान-3 मिशन

Chandrayaan 3 Mission: अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रचने की तरफ बढ़ रहे भारत के चंद्रयान-3 मिशन पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं। भारत यदि इस मिशन में सफल होता है, तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

वहीं, भारत ने चांद की सतह पर उतरने के लिए दक्षिणी ध्रुव को चुना है, जहां पर अभी तक किसी भी देश ने अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं कराई है। ऐसे में यदि भारत सफल होता है, तो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले देशों में भारत इतिहास रचने के साथ पहले स्थान पर होगा।

चंद्रयान-3 मिशन पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं, जो कि 23 अगस्त, 2023 की शाम को लैंड हो गया। हालांकि, क्या आपने सोचा है कि आखिर ISRO ने शाम का वक्त ही लैंडिंग के लिए क्यों चुना है। इसरो की ओर से सुबह या दोपहर में चांद पर लैंडिंग क्यों नहीं कराई जा रही है। कुछ इसी तरह के सवालों का जवाब जानने के लिए आप यह लेख पढ़ सकते हैं। 

 

चांद और धरती के दिन में कितना है अंतर

वैज्ञानिकों के मुताबिक, चांद और धरती के दिन में अंतर है। चांद का एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है। यही वजह है कि जब एस्ट्रोनॉट चांद पर पहुंचते हैं और लंबे समय बाद वापस धरती पर लौटते हैं, तो उनकी उम्र में अधिक अंतर नहीं होता है। 

 

लैंडिंग के लिए क्यों चुना गया है शाम का वक्त

ISRO भारतीय समयानुसार सुबह के वक्त भी लैंडिंग कर सकता था। हालांकि, इसरो ने शाम का वक्त इसलिए चुना है, क्योंकि जब धरती पर शाम हो रही होगी, तब चांद पर सुबह हो रही होगी। 

इसरो के वैज्ञानिकों ने विभिन्न मीडिया संस्थानों को दिए साक्षात्कार में बताया कि वैज्ञानिक चाहते हैं कि चंद्रयान-3 सूरज की रोशनी में ही अधिक से अधिक चांद पर घूमकर वहां से जुड़े रहस्यों के बारे में इसरो तक जानकारी भेज दे। ऐसे में वैज्ञानिकों ने भारतीय समयानुसार शाम का वक्त लैंडिंग के लिए चुना है। 

 

विक्रम और प्रज्ञान के लिए जरूरी है सौर ऊर्जा

वैज्ञानिकों के मुताबित, चंद्रयान-3 मिशन में शामिल लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के लिए सौर ऊर्जा जरूरी है। इस वजह से इसे वहां दिन पर होने पर लैंड कराया जा रहा है। इससे दोनों को सौर उर्जा मिलेगी और ये चांद की सतह पर काम कर सकेंगे। इन दोनों यंत्रों में बैट्री लगाई गई है, जो सूरज निकलने पर चार्ज होगी और काम करना शुरू कर देगी। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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