राजस्थान का इतिहास वीरता, बलिदान, और गौरव की गाथाओं से भरा हुआ है। भारत की यह भूमि महाराणा प्रताप, राणा सांगा और पृथ्वीराज चौहान जैसे राजपूत योद्धाओं की रही है, जो कि अपने समृद्ध इतिहास के लिए जानी जाती है।
यहा का लोक संगीत, नृत्य, और पारंपरिक पहनावा राज्य की सांस्कृतिक परिदृश्य को दर्शाते हैं। राजस्थान की प्रमुख भाषाएं हिंदी और राजस्थानी हैं, जिनमें मारवाड़ी, मेवाड़ी, धोती, और हाड़ौती जैसी बोलियां भी शामिल हैं।
राज्य के अलग-अलग शहरों की अपनी विशेषता है। आपने प्रदेश के अलग-अलग शहरों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि राजस्थान के किस जिले को हम घंटियों के शहर के रूप में भी जानते हैं। कौन-सा है यह शहर, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
राजस्थान राज्य का कब गठन हुआ
राजस्थान राज्य का गठन 1 नवंबर, 1956 को हुआ था। उस समय 14 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का गठन हुआ। इसमें से एक राजस्थान राज्य भी था। पूर्व में इस राज्य को मरूकांतर और राजपूताना नाम से जाना जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर राजस्थान कर दिया गया।
राजस्थान में कुल जिले
राजस्थान में कुल जिलों की बात करें, तो इनकी संख्या 50 है, जो कि 10 संभागों में आते हैं। इन संभागों में सीकर, बांसवाड़ा, पाली, जयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा, उदयपुर, बीकानेर और भरतपुर शामिल है। यहां कुल 33 जिला परिषद् हैं। वहीं, राज्य में 200 विधानसभा सीटें, 10 राज्य सभा सीटें और 25 लोक सभा सीटें मौजूद हैं।
राजस्थान में कौन-सा शहर है घंटियों का शहर
राजस्थान में घंटियों के शहर की बात करें, तो यह झालावाड़ जिले में स्थित झालारापाटन शहर है। इस शहर को हम घंटियों के शहर के रूप में भी जानते हैं।
क्यों कहा जाता है घंटियों का शहर
राजस्थान में यह शहर उपत्यका में बसा हुआ है। चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित यह शहर बसा हुआ था और यहां कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें बड़ी घंटियां होने की वजह से इसका नाम झालरापाटन पड़ा। यही वजह है कि इस शहर को हम घंटियों के शहर के रूप में भी जानते हैं।
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