काजू अपनी मुलायम बनावट व पौष्टिक तत्वों के लिए सूखे मेवों में प्रमुख है। भारतीय बाजारों में इसकी कीमत 800 रुपये से 1500 रुपये किलो तक है। ऐसे में यह सूखे मेवों में अधिक दाम वाला मेवा भी है। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि भारत का कौन-सा जिला काजू का शहर कहलाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
दुनियाभर के व्यंजनों में किया जाता है काजू का प्रयोग
सबसे पहले हम काजू के बारे में जान लेते हैं। काजू एक लोकप्रिय और पौष्टिक मेवा है, जिसे दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों और स्नैक्स में उपयोग किया जाता है। इसके वैज्ञानिक नाम की बात करें, तो यह Anacardium occidentale है।
काजू भारत का नहीं है, बल्कि मूल रूप से ब्राजील का एक पौधा है, लेकिन अब इसकी खेती भारत, वियतनाम, नाइजीरिया, और तंजानिया जैसे देशों में बड़े पैमाने पर की जाती है। इसके स्वास्थ्य लाभ की बात करें, तो काजू में प्रोटीन, फाइबर, और हेल्दी फैट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
यह दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसमें मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं। इसके अलावा काजू मैग्नीशियम, जिंक, आयरन और विटामिन ई और बी6 का भी अच्छा स्रोत है, जो त्वचा, बाल और इम्यूनिटी के लिए लाभकारी है।
किसे कहा जाता है काजू का शहर
अब सवाल है कि आखिर किस जगह को काजू का शहर भी कहा जाता है, तो आपको बता दें कि झारखंड के जामताड़ा से महज चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित नाला गांव है, जिसे काजू का शहर भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है काजू का शहर
नाला गांव में करीब 50 एकड़ भूमि पर काजू की खेती की जाती है। ऐसे में यहां काजू की खेती ही सबसे प्रमुख उद्योग है। काजू का उत्पादन अधिक होने की वजह से यहां आपको जगह-जगह काजू की बिक्री देखने को मिल जाएगी। ऐसे में इस जगह को लोग काजू के शहर के रूप में भी जानते हैं।
किस तरह बना काजू का शहर
नाला गांव में साल 2010 में इस बात का पता चला कि यहां की जलवायु और वातावरण काजू की खेती के लिए अनुकूल है। ऐसे में यहां वन विभाग द्वारा काजू की खेती को बढ़ावा दिया गया। कुछ समय बाद इस खेती को यहां रहने वाले लोगों ने पूरी तरह से अपना लिया। ऐसे में यहां सड़क किनारे आपको बहुत-ही कम दामों में काजू मिल जाएंगे।
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