तटीय क्षरण समुद्र द्वारा अपने तरंगों और ज्वार के माध्यम से तटीय जमीन के कणों का अपने मूल स्थान से हटाने एवं दूसरे स्थान पर एकत्र करने की प्रक्रिया को कहते हैं। भारत में प्रायद्वीपीय क्षेत्र बहुत बड़ा हैं और तटीय गतिशीलता को बिना समझे हुए विकासात्मक गतिविधियों होती रहती हैं, जिससे दीर्घकालिक समस्याओ को आमंत्रित कर सकती हैं। यह प्रकाश में तब आया जब लक्षद्वीप की जैव विविधता समृद्ध निर्जन द्वीपों में से एक तटीय क्षरण के कारण गायब हो गया और लक्षद्वीप सागर के अन्य चार ऐसे द्वीपों क्षेत्र तेजी से सिमटी जा रही है।
भारतीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और तटीय क्षरण
भारतीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की स्थापना 2006 में की गयी थी। यह मानसून पूर्वानुमान देने तथा अन्य मौसम/जलवायु प्राचलों, महासागरीय क्षेत्र, भूकंप, सुनामी तथा अन्य पृथ्वी प्रणाली से संबंधित एकीकृत कार्यक्रमों जैसी सर्वोतम संभव सेवाएं प्रदान करने के लिए अधिदेशित है। मंत्रालय महासागरीय जैविक तथा अजैविक स्त्रोतों के अन्वेषण एवं उपयोग हेतु विज्ञान तथा तकनीक का प्रयोग करता है तथा अंटार्कटिक/आर्कटिक एवं दक्षिणी महासागरीय अनुसंधान में केंद्रीय भूमिका अदा करता है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्लूएफ), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) एवं भूकंप जोखिम मूल्यांकन केंद्र (ईआरईसी), राष्ट्रीय महासागर प्रौद्यौगिकी संस्थान (एनआईओटी) चेन्नई, राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनकार) गोवा, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (इंकॅाइस) हैदराबाद, एकीकृत तटीय एवं समुद्री क्षेत्र प्रबंधन परियोजना निदेशालय (इकमाम-पीडी) चेन्नई तथा समुद्री जीव संसाधन एवं पारिस्थितिकी विज्ञान केंद्र (सीएमएलआरई) कोच्चि इसके अधीन विविध इकाईयाँ हैं। हाल ही में तटीय क्षरण पर कुछ निष्कर्ष दिए गए हैं जिसकी नीचे व्याख्या की गयी है:
1. अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह का 89% समुंद्र तट बंगाल की खाड़ी के कारण नष्ट होता जा रहा है।
2. वृद्धि की प्रक्रिया के कारण तमिलनाडु की 62% समुंद्र तट अस्थायी होते जा रहे हैं।
3. गोवा में स्थिर तटरेखा का उच्चतम प्रतिशत (52%) है।
वैश्विक तापन/ग्लोबल वार्मिंग के कारण और संभावित परिणाम कौन से हैं?
तटीय क्षरण के कारण
1. लहर ऊर्जा
2. जलवायु परिवर्तन
3. मजबूत तटवर्ती बहाव
4. जलग्रहण क्षेत्र में निर्माण बांध
5. रेत और कोरल खनन और ड्रेजिंग
तटीय क्षरण से निपटने के लिए उपाय
1. खारा पत्थर-पैकेजिंग और ब्रेक वॉटर संरचनाओं का निर्माण
2. गैरोनी नामक कम ऊँचाई वाले दीवारों का निर्माण करके
3. जियो-सिंथेटिक ट्यूबों को स्थापित करके
4. समुद्र तट के आस-पास पौधे लगाना
4. सामाजिक वानिकी को प्रोत्साहित करना
5. संरक्षण गतिविधियों, शैक्षणिक और मनोरंजक अवसरों (पर्यावरण विकास) को प्रोत्साहित करना।
तटीय क्षेत्र एक ऐसा पारिस्थितिक गतिशील और संवेदनशील क्षेत्र को कहते हैं जहां भूमि और पानी मिलते हैं और एक तटीय पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं जो एक दुसरे को निरंतर प्रभावित करते रहते हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र हमे चक्रवात, सुनामी तरंग और समुंद्री की खारा वायु से रक्षा करता है तथा जैव विविधता को बढ़ावा देता हैं और साथ ही कई विनिर्माण गतिविधियों के लिए कच्चे माल उपलब्ध कराता हैं। इसलिए तटीय क्षरण खतरनाक स्थिति की तरफ इशारा करती है ताकि हम इस क्षरण को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठा सके।
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