Complaint और FIR में क्या होता है अंतर, जानें

आपराधिक मामलों में आपने Complaint और FIR जैसे दोनों शब्दों को सुना होगा। जब भी बात थाना-कचहरी की होती है, तब हमारा सामना इस तरह के शब्दों से होता है। हालांकि, कई बार लोग इन दोनों के प्रयोग को लेकर दुविधा में पड़ जाते हैं। इस लेख के माध्यम से हम इन दोनों के बीच अंतर को समझेंगे। 

May 24, 2023, 19:17 IST
Complaint और FIR में अंतर
Complaint और FIR में अंतर

आपराधिक मामलों में Complaint और FIR, दोनों ही ऐसे शब्द हैं, जिनका सामना अक्सर थाना-कचहरी के चक्कर में होता है। दोनों ही शब्द पुलिस में शिकायत करने को लेकर हैं, लेकिन कानूनी रूप से ही दोनों का अर्थ एक दूसरे से अलग है। कई बार लोग अक्सर इन दोनों शब्दों के इस्तेमाल को लेकर दुविधा में पड़ जाते हैं और इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल एक-दूसरी की जगह कर लेते हैं, जबकि दोनों शब्दों का इस्तेमाल अलग-अलग स्थितियों में होता है। इस लेख के माध्यम से हम इन दोनों शब्दों के बीच अंतर को जानने के साथ इनके सही प्रयोग को लेकर जानेंगे। 

 

क्या होती है Complaint

आपराधिक मामले में कंप्लेंट वह है, जो किसी भी नागरिक द्वारा पुलिस को की जाती है। इसके तहत अपराध के बारे में पुलिस को जानकारी दी जाती है। साथ ही कंप्लेंट का तरीका मौखिक या फिर लिखित, दोनों ही हो सकता है। आमतौर पर कंप्लेंट किसी भी पीड़ित, प्रत्यक्षदर्शी या फिर किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा भी दी जा सकती है।

 

क्या होती है FIR

FIR यानि First Information Report होती है, जो कि कंप्लेंट के आधार पर दर्ज की जाती है। जब भी पुलिस के पास कोई कोई व्यक्ति कंप्लेंट करता है, तो पुलिस द्वारा आधिकारिक रूप से एक FIR दर्ज की जाती है, जिसका आधिकारिक रिकॉर्ड रखना होता है। इसमें कंप्लेंट करने वाले व्यक्ति, आरोपी और अपराध से जुड़ी जानकारियों को शामिल किया जाता है। एफआईआर दर्ज करने के बाद ही पुलिस आगे की जांच शुरू करती है। 

 

Complaint और FIR में प्रमुख अंतर 

 

-Complaint किसी भी व्यक्ति, प्रत्यक्षदर्शी या फिर तीसरे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जबकि FIR कंप्लेंट के आधार पर दर्ज होती है। यही वजह है कि जब तक पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती, तब तक आधिकारिक रूप से जांच शुरू नहीं होती है। 


-Complaint मौखिक या लिखित रूप से हो सकती है, जबकि FIR लिखित रूप से एक आधिकारिक दस्तावेज होता है, जिसका रिकॉर्ड पुलिस द्वारा रखा जाता है। 

 

-Complaint के लिए किसी फॉर्मेट की जरूरत नहीं होती है, जबकि FIR के लिए क्रिमिनल प्रोसिजर कोड की जरूरत होती है। 

 

-Complaint के आधार पर जांच शुरू नहीं की जा सकती है, जबकि FIR के आधार पर ही पुलिस अपनी जांच शुरू करती है। 

 

-Complaint दर्ज कराने के लिए कोई समय-सीमा नहीं है, लेकिन FIR दर्ज होने के बाद एक समय-सीमा होती है, जिसके बाद कोर्ट में केस पेश करने के साथ केस पर काम करना होता है। 

 

-Complaint देने पर जरूरी नहीं है कि एफआईआर दर्ज हो, लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए सीआरपीसी के तहत FIR दर्ज करनी होती है। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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