भारत का संविधान भाग II के अंतर्गत अनुच्छेद 5 से 11 तक नागरिकता से संबंधित है। नागरिकता अधिनियम, 1995 नागरिकता प्राप्त करने के 5 तरीके निर्धारित करता हैः
-जन्म
-पृष्ठभूमि
-पंजीकरण
-समीकरण
-क्षेत्र का समावेश
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हम आम जिंदगी में राष्ट्रीयता और नागरिकता को एक दूसरे का पर्यायवाची मानते हैं, लेकिन असल में ये दोनों शब्द कई मायनों में एक दूसरे से अलग हैं। यह लेख इन दोनों शब्दों के बीच 7 अंतर बताता है। अंतर बताने से पहले हमें इन दोनों शब्दों का सटीक अर्थ जानना चाहिए।
राष्ट्रीयता की परिभाषा: "किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता से उसके जन्म स्थान का पता चलता है, अर्थात वह स्थान जहां से वह व्यक्ति संबंधित है।"
राष्ट्रीयता व्यक्ति को कुछ अधिकार एवं कर्तव्य प्रदान करती है। एक राष्ट्र अपने नागरिकों को विदेशी आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करता है। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुसार, प्रत्येक संप्रभु देश को राष्ट्रीयता कानून के अनुसार अपने नागरिकों का निर्धारण करने का अधिकार है।
नागरिकता की परिभाषा: किसी व्यक्ति को देश की सरकार द्वारा नागरिकता तभी प्रदान की जाती है, जब वह व्यक्ति कानूनी औपचारिकताओं का पालन करता है।
एक बार, जब कोई व्यक्ति देश का नागरिक बन जाता है, तो उसे काम करने, वोट देने, निवास करने और देश के राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सक्रिय भाग लेने का अधिकार होता है। भारतीय संविधान नागरिकों के कुछ कर्तव्यों पर जोर देता है जैसे; करों का भुगतान करना, राष्ट्रीय प्रतीकों, राष्ट्रगान का सम्मान करना और समय की आवश्यकता पर देश की रक्षा करना आदि।
आइए अब राष्ट्रीयता और नागरिकता के बीच कुछ प्रमुख अंतर देखें:
-राष्ट्रीयता वह व्यक्तिगत सदस्यता है, जो किसी व्यक्ति का देश के साथ संबंध दर्शाती है। दूसरी ओर नागरिकता वह राजनीतिक स्थिति है, जो बताती है कि व्यक्ति को देश के नागरिक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
-राष्ट्रीयता उस स्थान या देश का प्रतिनिधित्व करती है, जहां किसी व्यक्ति ने जन्म लिया है, जबकि नागरिकता में किसी व्यक्ति को देश की सरकार द्वारा नागरिक के रूप में पंजीकृत किया जाता है। (अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम की राष्ट्रीयता भारतीय है, लेकिन वह अमेरिकी नागरिक हैं)
-राष्ट्रीयता की अवधारणा नैतिक या नस्लीय है, जबकि नागरिकता की अवधारणा कानूनी या न्यायिक प्रकृति की है।
-राष्ट्रीयता जन्म और वंशानुक्रम द्वारा प्राप्त की जा सकती है और नागरिकता जन्म, वंशानुक्रम, प्राकृतिककरण व विवाह आदि द्वारा प्राप्त की जा सकती है।
-राष्ट्रीयता को नहीं बदला जा सकता, जबकि नागरिकता को बदला जा सकता है।
-एक व्यक्ति केवल एक ही देश का राष्ट्रीय हो सकता है, जबकि एक व्यक्ति एक से अधिक देशों का नागरिक बन सकता है।
-राष्ट्रीयता को दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता, जबकि नागरिकता को दोबारा प्राप्त किया जा सकता है।
अतः उपरोक्त बिंदुओं से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि राष्ट्रीयता व्यक्ति के जन्म से संबंधित है, जबकि किसी देश की नागरिकता औपचारिक दस्तावेजीकरण के अनुपालन के बाद प्राप्त की जा सकती है।
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