दीपावली का पर्व नजदीक आते ही बाजारों की रौनक बढ़ गई है। इन दिनों रंग-बिरंगी रोशनी से सराबोर बाजार उत्तर भारत के सबसे बड़े पर्व की रौनक को बढ़ा रहे हैं। वहीं, यह रौनक बाजारों से लेकर लोगों के घरों में भी देखी जा सकती है, जो इन दिनों पर्व की खरीददारी के साथ-साथ अपनों को उपहार देने में व्यस्त हैं।
दीपावली के दिन भारत के करोड़ों घर दीयों की रोशनी से जगमग हो उठते हैं वहीं, आसमान को चांद और सितारों के साथ पटाखे भी अपनी रोशनी से रोशन करते हैं। हर तरफ हर्ष और उल्लास के माहौल वाले दिन लोग एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं।
लेकिन, क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला ऐसा भी है, जहां पर दीपावली के दिन लोग खुशियों के बजाय शोक मनाया जाता है। कौन-सा है यह जिला और क्या है इसके पीछे कारण, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
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किस जिले में मनाया जाता है शोक
उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिले में स्थित मड़िहान तहसील में अटारी गांव है। इस गांव के रहने वाले लोग दीपावली के दिन अपने घरों को रोशन नहीं करते हैं। ऐसे में दीपावली के दिन खुशियां नहीं मनाई जाती हैं, बल्कि शोक व्यक्त किया जाता है।
क्यों नहीं मनाई जाती दीपावली
अब सवाल है कि आखिर इस गांव में दीपावली का पर्व क्यों नहीं मनाया जाता है। दरअसल, यहां रहने वाले चौहान समुदाय के लोग दीपावली का पर्व नहीं मनाते हैं। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां रहने वाले लोगों खुद को हिंदु सम्राट पृथ्वी राज चौहान का वंशज बताते हैं।
ऐसे में लोगों का कहना है कि दीपावली के दिन ही गौरी साम्राज्य के सुल्तान मुहम्मद गोरी ने पृथ्वी राज चौहान को मारा था और इसके बाद उनके शव को अफगानिस्तान ले गया था। ऐसे में यहां रहने वाले लोग दीपावली के दिन पर्व को नहीं मनाकर शोक प्रकट करते हैं।
इस दिन जलाए जाते हैं दीये
यहां रहने वाले लोग दीपावली पर पर्व मनाने की बजाय दीपावली(एकादशी) को दीये जलाते हैं। इस दिन मिर्जापुर के इस गांव में घरों को रोशन होते हुए देखा जा सकता है।
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