जापान ने फाइव आइज़ इंटेलिजेन्स नेटवर्क(Five Eyes Intelligence Network) को ज्वाइन करने में रूचि दिखाई है। जापान के रक्षा मंत्री तारो कोनो का कहना है कि जापान फाइव आइज़ इंटेलिजैन्स नेटवर्क की छठी आंख बनना चाहते हैं। बता दें कि फाइव आइज़ नेटवर्क में संयुक्त राज्य, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड शामिल हैं। ये देश बहुपक्षीय यूकेयूएसए समझौते के पक्षधर हैं, जो सिग्नल इंटेलिजेंस में संयुक्त सहयोग के लिए एक संधि है।
हाल ही में इस गठबंधन ने कोविड-19 महामारी पर 15-पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट को ऑस्ट्रेलिया के एक अख़बार 'द डेली टेलीग्राफ' ने सार्वजनिक कर दिया था। इस रिपोर्ट में चीन द्वारा चमगादड़ पर रिसर्च, घातक वायरस बनाना, शुरुआती सैम्पल्स पर रिसर्च को छिपाना और लैब वर्कर के गायब होने पर कई खुलासे किए गए थे ।
जापान इस संगठन का हिस्सा बनना चाहता है ताकि वो चीन को उसकी हद बता सके और पूर्व और दक्षिण चीन सागर में चीनी गतिविधियों पर नज़र रख सके। जापान इस संगठन का हिस्सा नहीं है लेकिन फिर भी वे इसके साथ सूचना साझा करता आया है। जापान के रक्षा मंत्री तारो कोनो का कहना है कि इस गठबंधन का हिस्सा बनने के बाद जापान प्रारंभिक चरण में जानकारी साझा कर खुफिया जानकारी हासिल कर सकेगा।
चीन दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या बन कर उभर रहा है। इस गठबंधन का मकसद चीन पर नज़र रखना और उससे जुड़ी खुफिया जानकारी आपस में साझा करना है। अगर जापान इस नेटवर्क का हिस्सा बन जाता है तो एशिया में चीन की हरकतों पर नज़र रखने में इस संगठन को आसानी हो जाएगी। इसके साथ ही रूस और उत्तरी कोरिया पर भी जापान खुफिया जानकारी दे सकता है, जो इस संगठन के लिए बेहद अहम है।
क्या है फाइव आइज़ नेटवर्क?
फाइव आइज़ नेटवर्क में शामिल सभी देश बहुपक्षीय यूकेयूएसए समझौते के पक्षधर हैं। इस संगठन में शामिल सभी देश एक दूसरे से खुफिया जानकारी साझा करते हैं। इस संगठन की शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हुई थी। अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद इस बात पर ज़ोर दिया गया कि आतंकवाद से लड़ने के लिए अन्य देशों को भी इस संगठन में शामिल करना होगा।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation