राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म उत्सव हर साल 2 अक्टूबर को देशभर में और अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है. इस दिवस के अवसर पर पूरे देश में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. इस वर्ष महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मनाई जा रही है.
हर कोई आजादी की जंग में बापू के अहम योगदान को जानता है. महात्मा गांधी अंग्रेजी हुकूमत से अहिंसा के दम जीत हासिल की. आजादी के संघर्ष के दिनों में गांधी जी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लंदन भी गए थे. बापू के जन्म दिवस पर हम उनकी इस यात्रा के बारें में चर्चा करने जा रहे है.
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गांधी जी की 155वीं जयंती:
2 अक्टूबर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती का प्रतीक है. इस दिन, हम गांधीजी के अहिंसा और सत्य को कायम रखने के संदेश को याद करते हैं. इस साल भारत बापू की 155वीं जयंती मना रहा है. भारत में, 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश रहता है, और दुनिया भर में, इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि:
Image Source- mkgandhi.org
गांधी जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में 1931 में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में शामिल होने जा रहे थे, जो भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ बातचीत का एक महत्वपूर्ण मौका था.
प्लेन नहीं समुद्री जहाज से गए थे लंदन:
महात्मा गांधी जी 1931 में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में शामिल होने के लिए लंदन हवाई जहाज से नहीं, बल्कि एक समुद्री जहाज से गए थे. यह यात्रा 29 अगस्त 1931 को शुरू हुई, जब वे बॉम्बे से ब्रिटिश यात्री और मालवाहक जहाज SS राजपूताना पर सवार हुए थे. जहाज पर उनकी मुलाकात प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु मेहर बाबा से भी हुई, जो उसी समय लंदन की यात्रा पर थे.
1925 में तैयार हुई थी एस एस राजपूताना:
एस एस राजपूताना (SS Rajputana) एक ब्रिटिश यात्री और मालवाहक जहाज था, जिसे 1925 में स्कॉटलैंड के ग्रीनॉक स्थित हरलैंड और वोल्फ शिपयार्ड में Peninsular and Oriental Steam Navigation Company (P&O) के लिए बनाया गया था. यह जहाज मुख्य रूप से ब्रिटिश उपनिवेशों के बीच यात्री और माल ढोने का काम करता था.
राजपूताना का नाम भारत के ऐतिहासिक क्षेत्र राजपूताना के नाम पर रखा गया था. एस एस राजपूताना में यात्रियों के लिए उच्चतम श्रेणी की सुविधाएँ थीं, जो उस समय की लंबी समुद्री यात्राओं के लिए आवश्यक थीं.
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