21वीं सदी के वैज्ञानिक विकास ने पूरी मानवता को परमाणु युद्ध की आशंका से घेर रखा है क्योंकी संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के साथ-साथ ऐसे राष्ट्र हैं जिनके पास 24,000 परमाणु हथियार हैं। इनमे से लगभग 9,000 को परिचालन (operational) माना जाता है और 2,000 से अधिक उच्च अलर्ट पर हैं, जो मिनटों के भीतर उपयोग के लिए तैयार हैं।
इसी वैज्ञानिक विकास का जीता-जागता स्मारक है हिरोशिमा और नागासाकी क्योंकी 6 अगस्त, 1945 को आपसी वैमनस्य ने मानवता को शर्मशार कर दिया था। आइये जानते हैं ऐसा क्या हुआ था 6 अगस्त को जिसकी वजह से आज हम उस परमाणु हमले को स्मारक के रूप में याद करते हैं।
पृष्ठभूमि
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) का दौर था और पूरा विश्व तीन हिस्सों में बटा हुआ था-सहयोगी, एक्सिस ब्लॉक्स और तटस्थ देश। विचारधारात्मक संघर्ष, इस युद्ध का मुख्य कारक था। लाखों लोग इस युद्ध के बलि चढ़ रहे थे लेकिन युद्ध था की ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। फिर वो दिन आया जिसने नाही इस युद्ध को रोका अपितु मानव इतिहास को नरसंहार के कटघरे में खड़ा कर दिया।
वो वर्ष था 1945 में इसी अगस्त माह की छह तारीख को एनोला गे नामक एक अमेरिकी बी-29 बमवर्षक ने ‘लिटिल ब्वॉय’ नामक परमाणु बम हिरोशिमा पर बरसाया था। अमेरिकी बॉम्बर प्लेन बी-29 ने जमीन से तकरीबन 31000 फीट की ऊंचाई से परमाणु बम गिराया था। जिस जगह पर बम गिराया गया था, उसके आसपास की हर चीज जलकर खाक हो गई थी। जमीन लगभग 4,000 डिग्री सेल्सियस गर्म हो उठी थी। उस परमाणु हमले में लगभग 1.4 लाख लोग मारे गए थे। जो लोग बम हमले से बच गए थे, रेडिएशन की चपेट में आने के कारण बाद में मर गए थे।
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जापान पर किसी देश द्वारा होने वाला यह सबसे बड़ा हमला था परन्तु इस हमले के बाद भी अमेरिका शांत नहीं हुआ और वह निरंतर अपने कई प्रकार के बमों के प्रभावों को आजमाता रहा। हिरोशिमा को तबाह करने के बाद अमेरिका ने नागासाकी पर ‘फैट मैन’ नाम प्लूटोनियम बम गिराया जिसमें अनुमानित 74 हजार से ज्यादा लोग मारे गये।
हिरोशिमा दिवस एक शोक दिवस है क्योंकी इसी दिन मानव के वैमनस्य ने एक लाख से अधिक आत्माओं का एक अनुस्मारक बना दिया था। इसलिए ये दिवस है परमाणु हथियारों के खतरे और परमाणु ऊर्जा के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए याद किया जाता है ताकि हम फिर से वो गलती ना करे। इस मानवीय संहार और विनाशता को ध्यान में रखते हुए हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है।
इस अमानवीय आपदा का परिणाम आज भी इस नगर के लोग भुगत रहे हैं। जापान के एक दूसरे नगर नागासाकी पर भी परमाणु बम से हमला किया गया था। इसी का परिणाम है कि जापान ने परमाणु हथियार कभी निर्माण ना करने की नीति स्थापित की और आर्थिक व सामरिक संबंधों का नया अध्याय जोड़ने में लगा है।
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