भारत का इतिहास उठाकर देखें, तो हमें इतिहास के पन्नों पर कई आंदोलन देखने को मिल जाएंगे। इन आंदोलन में भारतीयों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में अपनी भूमिका निभाई। भारत के चौथे सबसे बड़े राज्य यानि कि उत्तर प्रदेश में कई आंदोलन हुए।
इस कड़ी में आपने कई आंदोलनों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि यूपी के एक जिले अलगीढ़ में भी एक आंदोलन हुआ था। लेकिन, यहां सवाल यह है कि यह कब और क्यों हुआ था। यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
क्या था अलीगढ़ आंदोलन
अलीगढ़ आंदोलन की बात करें, तो यह 1857 की क्रांति के बाद उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में शुरू किया गया था। इसका समर्थन ब्रिटिश साम्राज्य के समर्थक सर सैयद अहमद खां द्वारा किया गया था।
क्यों शुरू किया गया था आंदोलन
अब सवाल है कि आखिर अलीगढ़ आंदोलन क्यों शुरू किया गया था, तो आपको बता दें कि मुस्लिम समुदाय में पश्चिमी शिक्षा शैली को बढ़ावा देने के लिए यह आंदोलन शुरू किया गया था। इस आंदोलन के आंदोलनकारियों का मानना था कि मुस्लिम समुदाय का सामाजिक जीवन पश्चिमी वैज्ञानिक ज्ञान और शैली को अपनाकर बेहतर किया जा सकता है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय की स्थापना
सर सैयद अहमद खां द्वारा 1857 में अलीगढ़ मोहम्मदन ओरियंटल स्कूल की स्थापना की गई थी, जिसे साल 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाम दिया गया।
पीर मुहम्मदी का विरोध
सर सैयद अहमद खां मुस्लिम समुदाय में प्रमुख पीर मुहम्मदी परंपरा के विरोधी थे। उन्होंने 1865 में वैज्ञानिक सोसायटी की भी स्थापना की। साथ ही उन्होंने कई अंग्रेजी किताबों का उर्दू में अनुवाद करवाया। सैयद अहमद खां की ओर से राजभक्त मुस्लमान और तहजीब-उल-अखलक नामक पत्रिकाओं का भी प्रकाशन किया गया।
आंदोलन में किस-किसने लिया था भाग
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रमुख रूप से शामिल होने वाले आंदोलनकारियों में मौलाना शिबली नोमानी, अलताफ हुसैन, नाजिर अहमद और चिराग अली शामिल थे।
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