भारत में कब हुई थी परीक्षाओं की शुरुआत, यहां पढ़ें

Jul 8, 2024, 19:28 IST

भारत में वर्तमान में कई परीक्षाओं का आयोजन होता है, जिसके लिए अभ्यर्थी दिन-रात मेहनत करते हैं। हालांकि, सफलता केवल उन्हीं को मिलती है, जो अपनी तैयारी में बिल्कुल भी चूक नहीं छोड़ते हैं। दिन पर दिन प्रतियोगिता का स्तर बढ़ रहा है। हालांकि, इन सबके बीच क्या आप जानते हैं कि भारत में परीक्षाओं की शुरुआत कब हुई थी और पूरी दुनिया को परीक्षाओं का कांसेप्ट देने वाला व्यक्ति कौन था। यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।

भारत में परीक्षाओं का इतिहास
भारत में परीक्षाओं का इतिहास

वर्तमान में स्कूल में दाखिले से लेकर कॉलेज तक पहुंचने तक व निजि और सरकारी दोनों क्षेत्रों में ही नौकरी के लिए प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है। बीते वर्षों में प्रतियोगिता का स्तर बढ़ा है और सीमित सीटों पर केवल वही जगह बना पा रहे हैं, जिन्होंने अपनी तैयारी में कोई चूक नहीं छोड़ी है।

आपने ने भी कभी-न-कभी कोई परीक्षा जरूर दी होगी। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत में परीक्षाओं की शुरुआत कब हुई थी और दुनिया में परीक्षा का कांसेप्ट देने वाला व्यक्ति कौन था। यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। 

दुनिया में किसने दिया था परीक्षा का कांसेप्ट 

दुनिया को परीक्षाओं का कांसेप्ट देने वाले व्यक्ति की बात करें, तो साल 1800 में एक अमेरिकी उद्योगपति हेनरी फिश्कल ने परीक्षाओं का कांसेप्ट दिया था। वहीं, चीन पहला देश है, जहां परीक्षाओं के कांसेप्ट को अपनाया गया था। चीन में परीक्षाओं के आयोजन के लिए विषय विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों की मदद ली गई थी। हालांकि, इससे पहले चीन के शासन में राजा द्वारा परीक्षा का आयोजन किया जाता था और जो परीक्षा को पास करता था उसे राजदरबार में जगह दी जाती थी।

भारत में कब हुई थी परीक्षाओं की शुरुआत

भारत में परीक्षाओं की शुरुआत की बात करें, तो इनकी शुरुआत भारत में साल 1853 में हुई थी। दरअसल, इसके लिए इंग्लैंड की संसद में प्रस्ताव लाया गया था, जिसके तहत लंदन में सिविल सेवकों के लिए परीक्षा का आयोजन किया जाता था।

पास करना होता था घुड़सवारी का टेस्ट 

भारत में पहले सिविल सेवक बनने के लिए घुड़सवारी का टेस्ट पास करना होता था। इसके लिए अभ्यर्थियों को घुड़सवारी का कौशल प्राप्त करना होता था, जब वे इसमें कुशल हो जाते थे, तो परीक्षा के लिए लंदन पहुंचते थे। यहां ब्रिटिश सरकार की ओर से सिविल सेवाओं का आयोजन किया जाता था। 

भारत और इंग्लैंड में होनी लगी परीक्षा

भारत में ब्रिटिश इंडिया कंपनी के पतन के बाद सिविल सेवा परीक्षा के आयोजन पर भी प्रभाव पड़ा। लंदन की संसद में सिविल सेवा को लेकर अलग-अलग नियम तय किए गए और इसके बाद इंग्लैंड व भारत में सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया जाने लगा। 

तो, इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत में परीक्षाओं की नींव अंग्रेजों द्वारा डाली गई और आज विभिन्न क्षेत्रों में इस तरह की परीक्षाओं का आयोजन होता है। सिविल सेवा से शुरू हुआ यह सफर आज अलग-अलग वर्ग की नौकरियों तक पहुंच गया। यही नहीं, देश के विभिन्न मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में दाखिले के लिए भी आज प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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