जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान पर लगातार तल्ख रूख अपनाया जा रहा है। इस कड़ी में भारत सरकार द्वारा अपने क्षेत्र में पाकिस्तान के लिए एयरस्पेस बंद कर दिया गया है। ऐसे में हम जानेंगे कि आखिर हवा में दूसरे देश के लिए कैसे एयरस्पेस तय होता है।
क्या है पूरा मामला
भारत ने पहलगाम हमले के बाद कड़ा रूख अपनाते हुए पाकिस्तान के लिए अपना एयरस्पेस बंद किया है। यह आदेश 1 मई, 2025 से रात 12 बजे से लागू होगा। आपको बता दें कि यह प्रतिबंध सैन्य विमानों पर भी लागू रहेगा, जिससे अब पाकिस्तान का कोई भी विमान भारतीय क्षेत्र के ऊपर से नहीं गुजर सकता है।
हालांकि, इससे पहले पाकिस्तान द्वारा भारत के लिए एयरस्पेस बंद कर दिया गया था।
भारत और पाकिस्तान के बीच नहीं है सीधी उड़ान
भारत और पाकिस्तान के बीच कोई सीधी उड़ान नहीं है। वहीं, पूर्वी एशियाई देशों तक पहुंचने के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र का उपयोग करता है। इन देशों में मलेशिया व सिंगापुर जैसे देश शामिल हैं। हालांकि, अब यह एयरस्पेस पाकिस्तान के लिए बंद कर दिया गया है।
एयरस्पेस को लेकर क्या है नियम
एयरस्पेस में वायुमंडल के भूमि और समुद्र क्षेत्र, दोनों को कवर किया जाता है। इस कड़ी में हवाई क्षेत्र को कई भागों में विभाजित किया गया है, जिससे हवाई जहाजों का सुरक्षित परिचालन हो सके।
वहीं, अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन पर कन्वेंशन के अनुच्छेद एक में हवाई क्षेत्र की संप्रभुता के बारे में जिक्र किया गया है। इसके तहत प्रत्येक देश को अपने हवाई क्षेत्र के ऊपर संप्रभुता प्राप्त है। इसके अतिरिक्त, राज्य के क्षेत्र में समुद्र तट से 12 समुद्री मील यानि कि 22.2 किलोमीटर का प्रादेशिक जल क्षेत्र भी शामिल है।
वहीं, आपको बता दें कि ऐसा हवाई क्षेत्र, जो देश की सीमा के भीतर नहीं आता है, तो उसे अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र माना जाता है।
फ्लाइट परमिट की होनी चाहिए अनुमति
यदि किसी विमान को किसी देश में हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने, उतरने या रूकने की जरूरत होती है, तो इसके लिए फ्लाइट परमिट जरूरी होता है। हालांकि, इसे लेकर प्रत्येक देश का अपना नियम है और विमानन कंपनियों को सर्विसेज का इस्तेमाल करने के लिए शुल्क देना पड़ता है। शुल्क का निर्धारण विमानन प्राधिकरण द्वारा किया जाता है।
क्या होता है प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र
प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र में कुछ अनुमतियों के साथ विमानों की आवाजाही होती है। इसके तहत एयर शो व सैन्य ठिकानों के आसपास की उड़ान शामिल होती है।
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