गर्म के मौसम में ठंडी और ताजी हवा किसे पसंद नहीं है। यदि बात प्रचंड गर्मी की हो, तो एसी ही एकमात्र विकल्प बचता है, जिससे तुरंत राहत मिलती है। हालांकि, यह जितना आराम देने वाला है, उतना ही अधिक इसे चालान भी महंगा पड़ता है।
ऐसे में क्या आप जानते हैं कि आपके घर, ऑफिस या दुकान में लगा एसी आखिर किस प्रकार मिनटों में ही आपके रूम को ठंडा कर देता है। क्या है इसके पीछे की साइंस, जानने और समझने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
क्या होता है एसी
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि गर्मी में आपको राहत देने वाला एसी आखिर होता क्या है? आपको बता दें कि एयर कंडीशनर(AC) एक बंद जगह से गर्मी को बाहर निकालकर ठंडा करने का काम करता है। इसके लिए यह एक रेफ्रिजरेंट का उपयोग करता है, जो कि अपनी तरल अवस्था से गैस और गैस से तरल अवस्था में बदलता रहता है। अब हम इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में जानेंगे।
यहां एसी के काम करने की प्रक्रिया दी गई है:
कैसे अवस्था बदलता है रेफ्रिजरेंट
एसी के अंदर एक बंद लूप होता है। इस लूप में रेफ्रिजरेंट घूमता रहता है। दरअसल, यह एक प्रकार का रसायन होता है, जिसका बॉयलिंग प्वाइंट बहुत ही कम होता है। पुराने एसी में फ्रेयॉन गैस का इस्तेमाल हुआ करता था, हालांकि अब नए एसी में रेफ्रिजरेंट का इस्तेमाल होता है।
एसी में मौजूद होता है कंप्रेसर
एसी में एक कंप्रेसर भी लगा होता है, जो कि गैस को खींचकर उसे कंप्रेस करता है। इससे गैस का दबाव बढ़ने के साथ-साथ तापमान भी बढ़ जाता है। यहां से निकलने के बाद यह गैस कंडेंसर के लिए आगे बढ़ती है।
क्या होता है कंडेंसर
कंडेंसर को एसी की बाहरी यूनिट के रूप में जाना जाता है। उच्च दबाव सहने के बाद गैस कंडेंसर की कॉयल्स से गुजरती है और कंडेंसर में लगे पंखे की मदद से अपनी गर्मी बाहर छोड़ती है। यहां गैस की गर्मी निकलने के बाद यह ठंडी होकर एक हाइली प्रेशर तरल में बदल जाती है।
क्या करता है थ्रॉटल वॉल्व
कंडेंसर से निकलने के बाद गैस थ्रॉटल वॉल्व से गुजरती है। वॉल्व के माध्यम से गैस को नियंत्रित किया जाता है। यहां गैस का उच्च दवाब होने के बाद यह कम दबाव वाले ठंडे तरल में बदल जाता है। ऐसे में इसका तापमान और कम हो जाता है।
ऐसे मिलती है ठंडी हवा
एसी के अंदर एक इवेपोरेटर लगा होता है। यह मुख्य तौर पर ब्लोअर पंखे के पास होता है। जो रिफ्रिजरेंट ठंड हुआ था, वह अब इवेपोरेटर की कॉयल्स से गुजरता है।
वहीं, कमरे के अंदर की गर्म हवा ब्लोअर पंखे की मदद से खींचकर ठंडी कॉयल्स के ऊपर से गुजरती है। ऐसे में जब गर्म हवा ठंडी कॉयल्स के ऊपर गुजरती है, तो यह अपनी गर्मी रिफ्रिजरेंट को देती है।
इससे हवा को ठंडी होने में मदद मिलती है। अब यहां से रेफ्रिजरेंट गर्मी निकालकर कम दबाव वाली गैस में बदल जाता है, वहीं, ठंडी हुई हवो को ब्लोअर द्वारा वापस कमरे में फेंक दिया जाता है। अब फिर से कम दबाव वाली गैस वापस कंप्रेसर में चली जाती है और यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है। इससे आपका कमरा ठंडा हो जाता है।
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