देशभर में लॉकडाउन के कारण लगभग 90 शहरों में वायु प्रदूष्ण न्यूनतम दर्ज किया गया है. नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर में भी गिरावट देखने को मिली है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि लॉकडाउन का असर वातावरण में दिखने लगा है. पर्यावरणविदों ने इसे वेक-अप कॉल के रूप में व्यवहार करने को कहा है और विकास की दर पर रोक लगाने पर फोकस किया है.
सेंटर-रन सिस्टम ऑफ़ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार, कोरोनवायरस के प्रकोप के कारण किए गए उपायों के प्रभाव से दिल्ली में PM2.5 (फाइन पार्टिकुलेट प्रदूषक) में 30 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं अहमदाबाद और पुणे में 15 फीसदी की गिरावट.
इतना ही नहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, 21 मार्च (जनता कर्फ्यू से एक दिन पहले) कुल 54 शहरों में ''अच्छा '' और '' संतोषजनक '' वायु गुणवत्ता दर्ज की गई जबकि 29 मार्च को लगभग 90 शहरों में न्यूनतम प्रदूषण दर्ज किया गया. डेली एयर क्वालिटी इंडेक्स 24 घंटे प्रति घंटे की रीडिंग के औसत पर आधारित होता है.
चूंकि लॉकडाउन लगाया गया था, इसलिए निर्माण गतिविधियों और वाहनों के आवागमन में कमी के कारण उत्पन्न स्थानीय प्रदूषकों के उन्मूलन से देश भर में हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है.
आइये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), SAFAR और अन्य रिपोर्ट के आधार पर भारत में किस राज्य और शहरों में प्रदूष्ण और वायु की गुणवत्ता में गिरावट आई है देखते हैं:
नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) प्रदूषण के स्तर में भी कमी आई है. ये श्वसन या सांस लेने में दिक्कत को बढ़ा सकती है. मुख्य रूप से NOx प्रदूषण एक उच्च मोटर वाहन यातायात के कारण होता है.
- पुणे में, NOx प्रदूषण में 43 फीसदी की कमी आई है.
- मुंबई में NOx प्रदूषण में 38 फीसदी की कमी आई है.
- अहमदाबाद में NOx प्रदूषण में 50 फीसदी की कमी आई है.
SAFAR के एक वैज्ञानिक गुफरान बेग (Gufran Beig) के अनुससार आमतौर पर मार्च में, प्रदूषण "मध्यम" श्रेणी (एयर क्वालिटी इंडेक्स रेंज (AQI): 100-200) में होता है, जबकि वर्तमान में यह "संतोषजनक" (AQI 50-100) या अच्छा "(AQI 0-50) है. साथ ही उन्होंने बताया की"अच्छी" श्रेणी के तहत, प्रदूषण को सबसे कम माना जाता है और हवा को सांस लेने के लिए स्वास्थ्यप्रद माना जाता है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता वर्तमान में "अच्छी" श्रेणी में है. कानपुर में, जिसका प्रदूषण स्तर बहुत अधिक है, यह "संतोषजनक" श्रेणी में है. इसके अलावा, CPCB निगरानी केंद्रों के साथ लगभग 92 अन्य शहरों ने न्यूनतम वायु प्रदूषण दर्ज किया है, जिसमें हवा की गुणवत्ता "अच्छी" से "संतोषजनक" तक है.
CPCB के आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ दिनों में 39 शहरों ने "अच्छी" वायु गुणवत्ता और 51 शहरों ने "संतोषजनक" वायु गुणवत्ता दर्ज की गयी है.
यहीं आपको बता दें कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की रेंज कब अच्छी, संतोषजनक, मध्यम, खराब और गंभीर मानी जाती है.
0-50 के बीच एक AQI अच्छा (Good) माना जाता है,
51-100 संतोषजनक (Satisfactory),
101-200 मध्यम (Moderate),
201-300 (खराब) Poor,
301-400 (बहुत खराब) Very Poor और
401-500 गंभीर (Severe).
केयर फॉर एयर एनजीओ की सह-संस्थापक, ज्योति पांडे लवकारे ने कहा कि कम AQI और नीले आसमान को देखकर ऐसा कहना गलत नहीं होगा की बहुत सारी प्रदूषित हवा "मानव-निर्मित” थी.
लॉकडाउन की वजह से वाहन सड़क पर नहीं चल रहे हैं, निर्माण को रोक दिया गया है, और कारखाने उत्पादन बंद हैं, सूक्ष्म कण का स्तर, या पीएम 2.5, का स्तर भी गिरना शुरू हो गया है.
लॉकडाउन का प्रभाव वायु प्रदूष्ण में काफी देखने को मिला है. स्मॉग के कारण नई दिल्ली में, जहां उड़ानों को डायवर्ट किया जाता है वहीं वायु प्रदूषण का स्तर केवल एक सप्ताह के लॉकडाउन में लगभग 71 प्रतिशत कम हो गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 25 से ऊपर कुछ भी असुरक्षित माना जाता है, जैसा कि CNN ने बताया है. मुम्बई में, वित्तीय राजधानी, मार्च 2019 में वायु गुणवत्ता का स्तर वायु गुणवत्ता सूचकांक पर 153 औसत था, जो कि Reuters के अनुसार, साँस लेने के लिए अस्वस्थ के रूप में रैंक करता है. नई दिल्ली का औसत पिछले साल मार्च में 161 था.
दिल्ली में रियल टाइम वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) 21 मार्च, 2020 को 165µg / m3 जो कि सभी के लिए अस्वस्थ माना जाता है से गिरकर 29 मार्च को 64µg / m3 तक हो गया. यह मध्यम या स्वीकार्य माना जाता है.
इसी तरह जयपुर में, 21 मार्च को PM2.5 का स्तर 139 /g / m3 औसत था, 29 मार्च तक स्तर 483g / m3 तक कम हो गया था. इसे 'अच्छा' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका अर्थ है कि हवा की गुणवत्ता संतोषजनक है और इसमें कोई खतरा नहीं है. 2020 में यह पहली बार है कि PM2.5 को इस निम्न के रूप में दर्ज किया गया है.
वेदर चैनल को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, "हवा की गुणवत्ता जल्द ही 'अच्छी' श्रेणी में आने की संभावना है. यह वाहनों के यातायात में कमी और तापमान में वृद्धि के कारण है.
जलवायु संकट पर इसके प्रभाव के लिए, द वेदर चैनल ने बताया कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने एक बयान जारी किया है जिसमें लिखा है: "कोरोनावायरस महामारी को नियंत्रित करने के प्रयासों ने आर्थिक गतिविधियों को कम कर दिया है और वायु गुणवत्ता में स्थानीय सुधार हुआ है. लेकिन यह बहुत जल्दी है.ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता के लिए निहितार्थ का आकलन करने के लिए, जो दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं। "
ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि भारत में कोरोनावायरस महामारी को नियंत्रित करने के प्रयासों ने आर्थिक गतिविधियों को कम कर दिया है और वायु गुणवत्ता में स्थानीय सुधार हुआ है.
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