एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या होता है और यह क्या बताता है?

Dec 27, 2019, 18:18 IST

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विश्व के लिए नयी चुनौती बन चुकी है. दिल्ली में अक्टूबर और नवम्बर महीने में हर वर्ष प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने लगती है. इस प्रदूषण की समस्या के माप के लिए भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 17 सितंबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान के तहत नई दिल्ली में शुरू किया गया था.

Air Quality in Delhi
Air Quality in Delhi

वायु की गुणवत्ता की माप के लिए विश्व के विभिन्न देशों में एयर क्वालिटी इंडेक्स बनाये गये हैं. ये इंडेक्स देश में वायु की गुणवत्ता को मापते हैं और बताते हैं कि वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक है या नहीं.  

भारत में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI), जबकि कनाडा में वायु गुणवत्ता स्वास्थ्य सूचकांक, मलेशिया में वायु प्रदूषण सूचकांक और सिंगापुर में प्रदूषक मानक सूचकांक का प्रयोग किया जाता है. बीजिंग, पेरिस सहित कई ऐसे शहर हैं जहाँ 'प्रदूषण आपातकाल' घोषित किया जाता है. हालाँकि हाल ही में भारत में भी 'प्रदूषण आपातकाल' घोषित किया गया था.

PM2.5 और PM10 क्या है और ये स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं?
एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या होता है (What is Air Quality Index)

अन्य इंडेक्स की तरह की ही एयर क्वालिटी इंडेक्स भी हवा की गुणवत्ता को बताता है. यह बताता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है. हवा की गुणवत्ता के आधार पर इस इंडेक्स में 6 केटेगरी बनायीं गयीं हैं. जैसे अच्छी, संतोषजनक, थोड़ा प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर. जैसे जैसे हवा की गुणवत्ता ख़राब होती जाती है वैसे ही रैंकिंग अच्छी से ख़राब और फिर गंभीर की श्रेणी में आती जाती है. 

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एयर क्वालिटी इंडेक्स मुख्य रूप से 8 प्रदूशकों ((PM10, PM2.5, NO2, SO2, CO, O3, NH3, and Pb)) से मिलाकर बनाया जाता है. वायु प्रदूषण का मतलब है हवा में सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक हैं. 

दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या को भयंकर बनाने में मुख्य भूमिका वायु में मौजूद PM 2.5 और PM 10 कणों की होती है. जब इन कणों का स्तर वायु में बढ़ जाता है तो सांस लेने में दिक्कत, आँखों में जलन आदि होने लगती हैं और हालात इतने ख़राब हैं कि हर दिल्लीवाला रोजाना 21 सिगरेट के बराबर धुआं निगल रहा है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या बताता है?

एयर क्वालिटी इंडेक्स

स्वास्थ्य पर प्रभाव

अच्छा (0-50)

कुछ नहीं

संतोषजनक (51-100)

संवेदनशील लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

थोड़ा प्रदूषित(101-200)

फेफड़े की बीमारी जैसे अस्थमा, और हृदय रोग, बच्चों और बड़े वयस्कों के साथ लोगों को असुविधा के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

खराब (201-300)

लम्बे समय तक ऐसा रहने पर लोगों को सांस लेने में तकलीफ और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को बहुत असुविधा हो सकती है.

बहुत खराब (301-400)

लंबे समय तक ऐसा रहने पर लोगों को सांस की बीमारी हो सकती है. फेफड़े और दिल की बीमारियों वाले लोगों पर प्रभाव अधिक खतरनाक हो सकता है.

गंभीर(401-500)

यह आपातकाल कहा जायेगा. स्वस्थ लोगों का भी श्वसन ख़राब हो सकता है. फेफड़े / हृदय रोग वाले लोगों का प्रभाव गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. अतः पूरी तरह से घर के अंदर रहें.

दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुख्य कारण (Causes of Air Pollution in Delhi)

1. हवा के बहाव में कमी आना 

2. दिवाली के अवसर पर अत्यधिक बारूद चलाना 

3. हरियाणा और पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलना 

4. वाहनों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि 

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय (Measures to control Air Pollution)

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर 342 से अधिक निगरानी स्टेशनों वाले देश के 240 शहरों को कवर करते हुए राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम (NAMP) का संचालन कर रहा है.

सरकार ने नई दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, इनमें ऑटो ईंधन नीति के अनुसार CNG आधारित परिवहन को बढ़ावा, ओड -ईवन फॉर्मूला लागू करना, वृक्षों पर पानी छिड़कना, निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाना, सड़कों से धूल हटाना, सार्वजनिक परिवहन को मजबूत बनाना, कोयले से चलने वाली ताप बिजली परियोजनाओं का ऑपरेशन रोकना इत्यादि शामिल हैं.

अंत में इतना कहना ठीक होगा कि हर समस्या में समाधान के लिए सरकार की तरफ देखना ठीक नहीं है किसी भी समस्या में समाधान के लिए लोगों की सहभागिता बहुत जरूरी है.

किन प्लांट्स की मदद से घर के वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है?

 

 

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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