Indian Railways: जानें कौन-सा है भारत का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन

Indian Railways: भारतीय रेलवे में 7,000 से अधिक रेलवे स्टेशन हैं, जहां से प्रतिदिन 13 हजार से अधिक यात्री रेलगाड़ियां गुजरती हैं। वहीं, इसके अलावा गुजरने वाली मालगाड़ियों की संख्या अलग है। रेलवे स्टेशन पर बेहतर सुविधाओं को शामिल करने के लिए इसे निजी हाथों में भी सौंपा गया है। क्या आपको पता है कि भारत का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन कौन-सा है।   

May 24, 2023, 13:00 IST
भारत का पहला निजी रेलवे स्टेशन
भारत का पहला निजी रेलवे स्टेशन

Indian Railways: देश में यातायात के प्रमुख साधनों में भारतीय रेलवे का भी नाम आता है। रेलवे रफ्तार के साथ सुगम सफर के लिए भी जानी जाती है। यही वजह है कि प्रतिदिन इससे करोड़ों यात्री सफर कर अपनी मंजिलों तक पहुंचते हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए भारतीय रेलवे की ओर से 13 हजार से अधिक यात्री ट्रेनों का संचालन किया जाता है, जो कि 7,000 से अधिक रेलवे स्टेशनों से गुजरती है। वहीं, स्टेशनों पर बेहतर सुविधाओं के लिए लगातार नए बदलावों को जोड़ा जा रहा है। इस कड़ी में भारतीय रेलवे की सूची में देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन भी शामिल हो गया है। क्या आपको भारत के पहले प्राइवेट रेलवे स्टेशन के बारे में पता है, यदि नहीं, तो हम इस लेख के माध्यम से प्राइवेट रेलवे स्टेशन से जुड़ी कुछ खास बातों को जानेंगे। 

 

कौन-सा है भारत का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन 

भारत का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन मध्यप्रदेश के भोपाल में स्थित हबीबगंज रेलवे स्टेशन है। Indian Railways Development Corporation के मुताबिक, इस रेलवे स्टेशन को प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने की घोषणा की गई थी। 

 

इस कंपनी को दी गई है जिम्मेदारी

भारतीय रेलवे की ओर इस स्टेशन को विकसित करने के लिए बंसल ग्रुप को जिम्मेदारी दी गई है, जो कि इस स्टेशन को बनाने के साथ 8 सालों तक इसका रखरखाव और संचालन भी करेगी। कंपनी को 45 सालों के लिए स्टेशन को लीज पर दिया गया है। 

 

रेलवे स्टेशन पर मिलने वाली सुविधाएं

स्टेशन का निजिकरण होने के बाद यहां पर विभिन्न प्रकार की सुविधाओं को शामिल किया गया है, जिसमें, रेस्तरां, शॉपिंग स्टोर, केटरिंग शॉप व पार्किंग शामिल है। इसके अलावा महिला यात्रियों के लिए अलग से अन्य सुविधाओं को भी जोड़ा गया है। वहीं, पूरे रेलवे स्टेशन पर ऊर्जा के लिए सोलर पैनल को जोड़ा गया है, जिससे मिलने वाली ऊर्जा को स्टेशन संचालन में इस्तेमाल किया जा सके। 

 

4 मिनट में यात्री की बच सके जान

भारतीय रेलवे ने इसे निजी हाथों में सौंपने से पहले यह शर्त रखी थी कि स्टेशन को इस तरह से बनाया जाए, किसी भी प्रकार की इमेरजेंसी होने पर स्टेशन से यात्री को 4 मिनट में ही बाहर किया जा सके, जिससे किसी भी प्रकार की आपात स्थिति के समय लोगों की जान सुरक्षित रहे। 

 

स्टेशन का बदल दिया गया है नाम

आपको यह भी बता दें कि रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने के क्रम में साल 2021 में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है।  रानी कमलापति एक गोंड रानी थीं, जिनका विवाह गिन्नोरगढ़ के राजा निजाम शाह के साथ हुआ था। वह निजाम शाह की 7 पत्नियों में से एक थी। ऐसे भी माना जाता है कि वह गोंड समुदाय की अंतिम रानी थी। उनके पति निजाम शाह की उनके भतीजे आलम शाह ने हत्या कर दी थी, जिसके बाद रानी ने दोस्त मोहम्मद खान से अपने भतीजे की हत्या करवाकर अपने पति की हत्या का बदला लिया था। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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