Indian Railways: वंदे भारत एक्सप्रेस भारत की प्रीमियम ट्रेनों में शामिल है। समय पर पहुंचने के साथ इस ट्रेन को आरामदायक सफर और तेज रफ्तार के लिए भी जाना जाता है। वर्तमान में रेलवे के अलग-अलग जोन में वंदे भारत ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है, जो कि देश के विभिन्न राज्यों के बीच दौड़ रही हैं। हालांकि, इसकी सफलता को देखते हुए भारत में 100 वंदे भारत ट्रेन चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लेख के माध्यम से हम आपको वंदे भारत ट्रेन को बनाने में आने वाली लागत व इसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक के बार में बताएंगे।
क्या है वंदे भारत ट्रेन
वंदे भारत ट्रेन भारतीय रेलवे की प्रीमियम ट्रेनों में शुमार है, जो पूरी तरह से वातानूकूलित सेमी-हाईस्पीड ट्रेन है। इस ट्रेन का पहला संचालन नई दिल्ली से वाराणसी के बीच फरवरी, 2019 में किया गया था। वंदे भारत ट्रेन ने ट्रायल के दौरान 183 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार पकड़ी थी, हालांकि भारतीय ट्रैक को देखते हुए इसे अधिकतम 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक दौड़ाया जाता है। आपको बता दें कि पूर्व में इस ट्रेन को ट्रेन-18 नाम दिया गया था, जिसे बाद में बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस कर दिया गया।
कहां होता है निर्माण
वंदे भारत एक्स्प्रेस ट्रेन का निर्माण चेन्नई के पेरंबुर स्थित Integral Coach Factory(ICF) में किया जाता है। फैक्ट्री में ट्रेन का निर्माण आठ कोच और 16 कोच वाली श्रेणी में किया जाता है। यहां दिन-रात रेलवे कर्मचारी काम कर एक महीने में तीन वंदे भारत ट्रेन को तैयार करते हैं।
बिना लोकोमोटिव के तैयार होती है ट्रेन
वंदे भारत एक्स्प्रेस भारत की बिना लोकोमोटिव वाली ट्रेन है। दरअसल, इस ट्रेन में कोच में ही इंजन को फिट किया गया है। आठ कोच वाली ट्रेन में एक कोच को छोड़कर दूसरे कोच में ट्रैक्शन मोटर को फिट किया जाता है। वहीं, 16 कोच वाले ट्रेन में भी इसी प्रकार एक कोच छोड़कर दूसरे कोट में ट्रैक्शन मोटर फिट होती है। पेंटाग्राफ 25KV से बिजली लेता है, जिसे ट्रांसफॉर्मर की मदद से ट्रैक्शन मोटर तक भेजा जाता है। इसके माध्यम से ट्रेन कम समय में ही अधिक रफ्तार पकड़ लेती है। वहीं, यदि इसका एक इंजन फेल होगा, तो तब भी यह ट्रेन नहीं रूकेगी। पारंपरिक ट्रेनों में एक लोकोमोटिव फेल होने पर ट्रेन अपने निर्धारित समय से लेट हो जाती है।
ट्रेन को बनाने में कितनी आती है लागत
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री के महाप्रबंधक बीजी मल्लया ने एक मीडिया को दिए साक्षात्कार में बताया था कि एक वंदे भारत ट्रेन को बनाने में करीब 108 करोड़ रुपये की लागत आती है, जिसमें GST शामिल नहीं है। सुरक्षा, रफ्तार व सुविधाओं के मामले में अन्य पारंपरिक ट्रेनों से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। पारंपरिक ट्रेन के लिए LHB कोच( लाल रंग का कोच) बनाने में 2.5 करोड़ रुपये की लागत आती है। वहीं, एक लोकोमोटिव की निर्माण लागत 12 से 15 करोड़ रुपये होती है।
ट्रेन में क्या होती हैं सुविधाएं
वंदे भारत ट्रेन सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है। नई दिल्ली से भोपाल रूट पर यह 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ती है। वहीं, अन्य रूट पर इसकी रफ्तार 130 किलोमीटर प्रतिघंटा है। इसके अलावा पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेन में सीसीटीवी कैमरे दिए गए हैं। ट्रेन के बाहर भी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिससे ट्रेन के साथ छेड़खानी करने वाले शरारती तत्वों पर भी नजर रखी जा सके। ट्रेन में स्मॉग डिटेक्टर सिस्टम के साथ आरामदायक सीटें दी गई हैं। सुरक्षा के लिहाज से ट्रेन में कवच सिस्टम लगाया गया है, जिसके तहत एक ही पटरी पर दो ट्रेनें होने की स्थिति में ट्रेन में खुद ही ब्रेक्स लग जाएंगे, जिससे ट्रेनें दुर्घटना का शिकार होने से बच जाएंगी। इस ट्रेन के पहिये का भी विशेष रूप से निर्माण किया जाता है। पहले इनकी आपूर्ति यूक्रेन से होनी थी, लेकिन यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी लड़ाई की वजह से यह आपूर्ति बाधित हुई थी। हालांकि, अब इसे दुर्गपुर स्टील प्लांट में तैयार किया जा रहा है।
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