Indian Railways: भारतीय रेलवे में ट्रेन खींचने के लिए विभिन्न प्रकार के लोकोमोटिव का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कुछ डीजल लोकोमोटिव होते हैं, तो कुछ इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव शामिल है। वहीं, इन लोकोमोटिव को पैसेंजर और गुड्स ट्रेन के हिसाब से अलग-अलग बांटा गया है। वहीं, कुछ लोकोमोटिव ऐसे भी होते हैं, जिन्हें मालगाड़ी और पैसेंजर गाड़ी, दोनों के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही इन लोकोमोटिव का इस्तेमाल कई बार शंटिंग के लिए भी होता है। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि रेलवे में ट्रेनों को खींचने के लिए ईंधन के रूप में डीजल का ही प्रयोग क्यों किया जाता है, पेट्रोल का क्यों नहीं। यदि नहीं, तो आज हम आपको इस लेख के माध्यम से इस संबंध में जानकारी दे रहे हैं।
Initial Torque की होती है जरूरत
जब भी गाड़ी आगे बढ़ती है, तो उसे Initial Torque की जरूरत होती है, जिससे हेवी लोड को खींचा जा सके। इसके लिए इंजन का Low RPM होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर मान लिजिए कि आप बाइक पर हैं और बाइक पर दो लोग सवार हैं। ऐसे में यदि आपको बाइक को आगे बढ़ाना है, तो आपको पहला गियर लगाना होगा, जिससे Initial Torque उत्पन्न होगा और आपकी बाइक को आगे बढ़ने के लिए जरूरी ऊर्जा मिलेगी। वहीं, यदि आप शुरुआत में ही बाइक में चौथा गियर लगाएंगे, तो संभावना है कि आपकी बाइक आगे बढ़ने के बजाय बंद हो जाए।
देरी से जलता है डीजल
इंजन में पेट्रोल की तुलना में डीजल देरी से जलता है। ऐसे में ईंधन का देरी से जलने पर लो आरपीएम उत्पन्न होता है, जिससे अधिक टोर्क उत्पन्न होता है। वहीं, पेट्रोल जल्दी जलता है, जिससे अधिक आरपीएम बनता है और टॉर्क कम उत्पन्न होता है। वहीं, पूरी ट्रेन का वजन कई टन होता है। ऐसे में इतने हेवी वजन को खींचने के लिए अधिक टॉर्क की आवश्यकता होती है, जो कि डीजल से मिल जाता है।
ईंधन की होती है कम खपत
पेट्रोल की तुलना में डीजल इंजन अधिक एफिशिएंट होता है। ऐसे में यह कम मात्रा में डीजल की खपत कर अधिक दूरी को पूरा करते हैं। वहीं, ट्रेनों का सफर लंबा होता है। ऐसे में खपत कम होने की वजह से भी डीजल इंजन का प्रयोग किया जाता है, जिससे एक यात्रा पर कम से कम खर्च हो सके। इसके साथ ही डीजल इंजन का डिजाइन भी सिंपल होता है और इसका कंप्रेशन रेश्यो अधिक होता है, जिससे इंजन बड़ा होता है। वहीं, पेट्रोल इंजन का कंप्रेशन रेश्यो कम होता है, ऐसे में इसका आकार भी कम होता है। यही वजह है कि छोटी गाड़ियों में पेट्रोल इंजन इस्तेमाल किया जाता है और भारी गाड़ियों में डीजल इंजन का इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के तौर पर बस व ट्रक आदि। एक लोकोमोटिव के डीजल टैंक की क्षमता 5,000 से लेकर 6,000 तक होती है।
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