पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में भी एथलेटिक्स इवेंट का भी आयोजन किया जा रहा है. भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) का खेल चर्चित पुराने खेलों में से एक है. भारत को भी जैवलिन थ्रो से काफी उम्मीदें है. गोल्डन बॉय के नाम से मशहूर नीरज चोपड़ा यहां भारत की चुनौती पेश करेंगे. आपको बता दें कई पिछले ओलंपिक खेलों में नीरज चोपड़ा ने बेस्ट थ्रो के साथ गोल्ड मेडल जीता था, इस बार नीरज पर अपना पदक बरक़रार रखने की भी चुनौती रहेगी.
चलिये यहां हम जैवलिन थ्रो के बारें में विस्तार से जानने की कोशिश करते है, यहां हम इस खेल के नियम, जैवलिन की लम्बाई, भार, फील्ड के बारें में जानेंगे. बता दें कि एथलेटिक्स इवेंट 1 अगस्त से 11 अगस्त के बीच आयोजित किये जा रहे है.
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जैवलिन थ्रो के क्या है नियम:
जैवलिन थ्रो एक ट्रैक एंड फील्ड इवेंट है, यह ओलंपिक खेलों में एथलेटिक्स इवेंट के तहत आयोजित किया जाता है. इसमें एथलीट जैवलिन थ्रो करते है, बेहतर थ्रो के लिए एथलीटो को पर्याप्त मौके दिए जाते है जिसके बाद उनके बेस्ट थ्रो के आधार पर उनको रैंकिंग प्रदान की जाती है.
जैवलिन का स्ट्रक्चर:
जैवलिन की लंबाईऔर वजन पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग होती है. जिसकी डिटेल्स आप नीचे देख सकते है-
जैवलिन का आकार और वजन:
न्यूनतम वजन (ग्राम) | लंबाई (मीटर) | |
पुरुष | 800 | 2.6 - 2.7 |
महिलाएं | 600 | 2.2 - 2.3 |
जैवलिन की बनावट:
- शाफ्ट: जैवलिन का मुख्य भाग धातु या अन्य उपयुक्त सामग्री से बना होता है. यह ठोस या खोखला हो सकता है और इसकी सतह चिकनी होनी चाहिए.
- हेड: शाफ्ट का अगला हिस्सा जो धातु के सिरे से फिट किया गया होता है.
- ग्रिप (पकड़): भाले का वह हिस्सा जिसे खिलाड़ी पकड़ता है. इसकी मोटाई 0.8 मिमी से अधिक नहीं होनी चाहिए और यह फिसलन रोधी पैटर्न के साथ बना होता है.
जैवलिन गेम फील्ड स्ट्रक्चर:
- रनवे (दौड़ने का क्षेत्र): यह वह क्षेत्र है जहां खिलाड़ी भाला फेंकने से पहले दौड़ लगाते हैं. रनवे की लंबाई कम से कम 30 मीटर और अधिकतम 36.50 मीटर हो सकती है. चौड़ाई कम से कम 4 मीटर होनी चाहिए.
- लैंडिंग सेक्टर: रनवे के सामने का क्षेत्र जहां भाला गिरता है. यह एक फ़नल के आकार का होता है और इसकी रेखाएं 28.96 डिग्री के कोण पर मिलती हैं.
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स्कोरिंग सिस्टम:
ओलंपिक्स जैसे प्रमुख प्रतियोगिताओं में आमतौर पर छह राउंड होते हैं. प्रत्येक राउंड में सभी खिलाड़ी एक बार भाला फेंकते हैं. प्रतियोगिता का विजेता वह खिलाड़ी होता है जिसने सबसे अधिक दूरी तक भाला फेंका होता है.
जैवलिन थ्रो 1908 में ओलंपिक में हुआ था शामिल:
भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) का खेल चर्चित पुराने खेलों में से एक है, जिसकी प्रसिद्धी आज के समय में भी बरक़रार है. बता दें कि 708 ईसा पूर्व में प्राचीन ओलंपिक खेलों में जैवलिन थ्रो का आयोजन किया गया था. उस समय यह अलग खेल नहीं था, बल्कि यह पांच खेलों के संयोजन वाले पेंटाथलॉन का हिस्सा था.
आधुनिक ओलंपिक में भाला फेंक की शुरुआत 1908 में हुई, जब लंदन में पुरुषों की भाला फेंक प्रतियोगिता को शामिल किया गया था. यह शॉट पुट, हैमर और डिस्कस के बाद शामिल होने वाला अंतिम थ्रोविग गेम था.
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