New CJI: भारत के न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (Bhushan Ramkrishna Gavai) ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में पद की शपथ दिलाई। इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। जस्टिस गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली, जो एक दिन पहले सेवानिवृत्त हुए थे। उनका चयन सर्वोच्च न्यायालय की परंपरा के अनुसार वरिष्ठता के आधार पर हुआ।
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कैसा रहा उनका न्यायिक सफर:
वकालत की शुरुआत: 16 मार्च, 1985 को वकालत शुरू की।
शुरूआती सेवाएं:
नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील रहे।
1992-93: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक रहे।
2000: सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त।
न्यायिक पदों की यात्रा:
14 नवंबर 2003: बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने।
12 नवंबर 2005: स्थायी न्यायाधीश नियुक्त।
24 मई 2019: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।
ऐतिहासिक फैसले जिनसे देश में नई दिशा बनी
1. अनुच्छेद 370 (2023): पांच जजों की संविधान पीठ का हिस्सा रहे। साथ ही उन्होंने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद को हटाने का समर्थन किया।
2. राजीव गांधी हत्याकांड (2022): 30 साल से अधिक जेल में बंद दोषियों की रिहाई को मंजूरी दी। राज्यपाल द्वारा कार्रवाई न होने को असंवैधानिक माना।
3. वणियार आरक्षण मामला (2022) तमिलनाडु सरकार द्वारा वणियार समुदाय को दिया गया विशेष आरक्षण रद्द किया। कहा गया कि यह अन्य पिछड़ा वर्गों के साथ भेदभावपूर्ण है।
4. नोटबंदी (2023) 4:1 बहुमत से 2016 की नोटबंदी को वैध ठहराया। कहा कि केंद्र और RBI के बीच परामर्श के बाद यह फैसला हुआ।
5. ईडी निदेशक कार्यकाल (2023): संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध घोषित किया। 31 जुलाई 2023 तक पद छोड़ने का आदेश दिया।
6. बुलडोजर कार्रवाई (2024): बिना कानूनी प्रक्रिया के संपत्ति ध्वस्तीकरण को असंवैधानिक बताया। साथ ही अधिकारियों को व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने की चेतावनी दी।
व्यक्तिगत पृष्ठभूमि:
- जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र।
- पिता: दिवंगत आर.एस. गवई, प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और बिहार-केरल के पूर्व राज्यपाल।
- सामाजिक पृष्ठभूमि: अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले दूसरे CJI, पहले थे जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन (2010)।
जस्टिस बी.आर. गवई का न्यायिक दृष्टिकोण, संवैधानिक मूल्य और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण उन्हें एक प्रभावशाली मुख्य न्यायाधीश बनाता है। उनके नेतृत्व में न्यायपालिका से न्याय, निष्पक्षता और पारदर्शिता की नई उम्मीदें जुड़ गई हैं।
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STORY | Justice B R Gavai sworn in as next CJI
— Press Trust of India (@PTI_News) May 14, 2025
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