भारत विविधताओं का देश है, जहां आपको विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ दिख जाएंगे। इनमें शामिल है हिंदू धर्म, जिसमें देवी-देवताओं और मंदिरों का विशेष महत्व है। यही वजह है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में आपको हिंदुओं के अलग-अलग मंदिर देखने को मिल जाएंगे, जो कि अपनी अलग-अलग विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं।
इन मंदिरों में आपको अलग-अलग देवी-देवताओं की प्रतिमा मिलेंगी, जो कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं। देवी-देवताओं में भगवान शिव का विशेष महत्व है, जिनके भारत में बड़ी संख्या में मंदिर हैं।
हालांकि, क्या आपको पता है कि भारत में भगवान शिव का ऐसा मंदिर भी है, जिसे सिर्फ एक पत्थर ही काट कर बनाया गया है। करीब दो मंजिला बना यह मंदिर अपनी अद्भुत कलाकृति के लिए जाना जाता है।
खास बात यह भी है कि जब भी हम किसी चीज का निर्माण करते हैं, तो नीचे से ऊपर की ओर बढ़ते हैं, लेकिन इस मंदिर का निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। भारत के किस राज्य में है यह मंदिर और क्या है मंदिर का इतिहास, जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें।
भारत के किस राज्य में है यह अद्भतु मंदिर
भारत के महाराष्ट्र राज्य में भगवान शिव का यह अद्भुत मंदिर देखने को मिल जाएगा। महाराष्ट्र के ओरंगाबाद जिले में अजंता-एलोरा की गुफाओं में इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए लोग पहुंचते हैं।
किस नाम से जाना जाता है यह मंदिर
भगवान शिव का यह मंदिर कैलाश मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके नाम की बात करें, तो इस मंदिर में एक कलाकृति में रावण को कैलाश पर्वत उठाए हुए दिखाया गया है, जिसके बाद से इस मंदिर को कैलाश पर्वत के नाम से जाना जाने लगा।
सिर्फ एक पत्थर को काटकर बना है यह मंदिर
खास बात यह है कि भगवान शिव का यह मंदिर सिर्फ एक पत्थर यानि एक बड़ी चट्टान को ही काटकर बनाया गया है। इस मंदिर में किसी भी प्रकार का कोई सीमेंट, सरिया या फिर अन्य सामाग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया है, जो कि इस मंदिर की विशेषता है।
रामायण, महाभारत और भगवान शिव को समर्पित
कैलाश मंदिर में पहुंचने पर आपको रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की कलाकृतियां देखने को मिलेंगी। इसके साथ ही इस मंदिर में आपको भगवान शिव की मूर्तियां भी देखने मिलती हैं।
ऊपर से नीचे किया गया था निर्माण
दरअसल, जिस पत्थर को काटकर यह मंदिर बना है, वह बासाल्ट चट्टान है, जो कि बहुत ही कठोर चट्टान होती है। ऐसे में राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम(757-783) ने इस मंदिर को बनाने का विचार किया, तो उन्होंने देश भर के विभिन्न वास्तुकारों को निमंत्रण दिया, लेकिन सभी ने मना कर दिया।
हालांकि, एक वास्तुकार काकोसा ने इसे बनाने के लिए हां कर दी थी। हजारों मजदूरों द्वारा दिन-रात कई सालों तक मेहनत कर इस मंदिर का निर्माण किया गया था। खास बात यह है कि इस मंदिर का निर्माण नीचे से ऊपर नहीं, बल्कि ऊपर से नीचे की ओर किया गया था।
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