ब्रह्माण्ड की खोज के लिए जब मानवरहित अंतरिक्ष अन्वेषण तकनीकों के प्रयोग से की जाती है तो उसे रोबोटिक अंतरिक्ष अन्वेषण कहा जाता है। इस तरह के अंतरिक्ष कार्यक्रम में खगोल विज्ञान, ताराभौतिकी, ग्रहीय विज्ञान एवं भू विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान एवं सैद्धांतिक भौतिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों के अनुसंधान शामिल हैं। रोबोटिक अंतरिक्ष अन्वेषण या रोबोट स्पेस एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम के फायदे नीचे दिए गए हैं:
1. रोबोट की मदद से अंतरिक्ष खोज और अन्वेषण कार्यक्रम मानव के मुकाबले ज्यादा सस्ता होता है क्योंकि उनके लिए खाने या सोने या बाथरूम जाने के लिए विशेष प्रावधान नहीं करना होता है तथा वे कई वर्षों तक अंतरिक्ष में जीवित रह सकते हैं और कार्य ख़त्म होने के बाद उन्हें अंतरिक्ष में नष्ट किया जा सकता है।
2. रोबोट किसी भी परिस्थिति में रह सकते है। उदाहरण के लिए- उन्हें अत्यधिक तापमान या विकिरण के उच्च स्तर के लिए एक विशेष सूट की आवश्यकता नहीं होती है।
रोबोटिक अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों की सूची
रोबोटिक अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों पर नीचे चर्चा की गयी है:
1. रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट (Robotic spacecraft)
यह एक मानव रहित अंतरिक्ष यान है, आमतौर पर टेलरोबोटिक नियंत्रण के तहत जिसे वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसे 22 जुलाई 1951 को सोवियत संघ (यूएसएसआर) द्वारा लॉन्च किया गया था, जिसमे डेज़िक और त्सगान नामक दो कुत्तों को भेजा गया था।
2. पायनियर कार्यक्रम (Pioneer Programme)
यह ग्रहों की खोज के लिए संयुक्त राज्य अमरीका का मानव रहित अंतरिक्ष मिशन था।
3. लुना कार्यक्रम (Luna Programme)
यह 1959 और 1976 के बीच चंद्रमा पर भेजे गए सोवियत संघ के मानव रहित अंतरिक्ष मिशन की एक श्रृंखला थी। इसे एक ऑर्बिटर या लैंडर के रूप में डिजाइन किया गया था।
4. ज़ोंड कार्यक्रम (Zond program)
यह 1964 से 1970 तक 3 एमवी ग्रहों की जांच के लिए सोवियत मानव रहित अंतरिक्ष कार्यक्रम की एक श्रृंखला थी जिसका उद्देश्य आसपास के ग्रहों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना था।
5. वेनेरा मिशन (Venera Mission)
यह जांच की एक श्रृंखला थी जिसे वीनस से डेटा एकत्र करने के लिए यूएसएसआर द्वारा विकसित किया गया था। दूसरे ग्रह के वातावरण में प्रवेश करने के लिए; किसी अन्य ग्रह पर लैंडिंग करने के लिए; ग्रह की सतह से छवियों को वापस करने और शुक्र के उच्च-रिज़ॉल्यूशन रडार मैपिंग अध्ययन करने के लिए यह पहला मानव निर्मित उपकरण था।
6. मार्स प्रोब प्रोग्राम (Mars probe program)
1960 और 1973 के बीच मंगल ग्रह का पता लगाने के लिए सोवियत संघ द्वारा लॉन्च किए गए मानव रहित अंतरिक्ष यान की एक श्रृंखला थी।
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7. रेंजर प्रोग्राम (Ranger program)
1960 के दशक के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मानव रहित अंतरिक्ष मिशन की एक श्रृंखला थी। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह की पहली क्लोज-अप छवियां प्राप्त करना था।
8. मैरिनर कार्यक्रम (Mariner program)
यह जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी (जेपीएल) के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा आयोजित एक 10-मिशन कार्यक्रम था। यह मंगल ग्रह, शुक्र ग्रह और बुध ग्रह पर जांच के लिए बनाया गया था।
9. सर्वेयर प्रोग्राम (Surveyor program)
जून 1966 से जनवरी 1968 तक नासा द्वारा निर्मित मानव रहित मिशन था जिसको चन्द्रमा पर लैंडिंग की व्यवहार्यता का प्रदर्शन करने के लिए लॉन्च किया गया था। यह एक अतिरिक्त स्थलीय निकाय पर लैंडिंग प्राप्त करने वाला पहला अमेरिकी अंतरिक्ष यान था।
10. वाइकिंग कार्यक्रम (Viking Programme)
नासा द्वारा 1975 में चलाया गया कार्यक्रम था जिसमे वाइकिंग 1 और वाइकिंग 2 नामक अंतरिक्षयान का प्रयोग किया था। दोनो ही खोजी अंतरिक्षयान ने मंगल ग्रह के कक्षा में प्रवेश किया था तथा प्रत्येक ने एक लैंडर मॉड्यूल जारी किया था ताकि मंगल ग्रह की सतह पर भविष्य में सफल लैंडिंग की जा सके। ‘
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11. वायेजर कार्यक्रम (Voyager program)
यह बाहरी सौर प्रणाली के अध्ययन करने के लिए संयुक्त राज्य अमरीका का वैज्ञानिक कार्यक्रम है।
12. वेगा कार्यक्रम (Vega program)
यह दिसंबर 1984 में सोवियत संघ और ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, फ्रांस, हंगरी, जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया और जर्मनी के संघीय गणराज्य के बीच एक सहकारी प्रयास में शुरू किए गए मानव रहित अंतरिक्ष यान मिशनों की एक श्रृंखला थी।
13. फोबोस कार्यक्रम (Phobos Programme)
यह सोवियत संघ द्वारा मानव रहित अंतरिक्ष मिशन था जिसको मंगल ग्रह और उसके चंद्रमा फोबोस और डीमोस का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था।
14. डिस्कवरी कार्यक्रम (Discovery program)
यह कम लागत वाली अंतरिक्ष मिशन है जो सौर मंडल की खोज करने के लिए लांच की गयी थी।
15. चंद्रयान कार्यक्रम (Chandrayaan Program)
यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के अंतर्गत द्वारा चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान था। इस अभियान के अन्तर्गत एक मानवरहित यान को 22, अक्टूबर 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया और यह 30 अगस्त, 2009 तक सक्रिय रहा। यह यान ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पोलर सेटलाईट लांच वेहिकल, पी एस एल वी) के एक संशोधित संस्करण वाले राकेट की सहायता से सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया गया था।
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16. मंगलयान कार्यक्रम (Mangalyaan Program)
भारत का प्रथम मंगल अभियान है तथा प्रथम ग्रहों के बीच का मिशन है। वस्तुत: यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की एक महत्वाकांक्षी अन्तरिक्ष परियोजना है। इस परियोजना के अन्तर्गत 5 नवम्बर 2013 को 2 बजकर 38 मिनट पर मंगल ग्रह की परिक्रमा करने हेतु छोड़ा गया एक उपग्रह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसऍलवी) सी-25 के द्वारा सफलतापूर्वक छोड़ा गया था।
17. चांग कार्यक्रम (Chang'e Program)
यह चीन नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) द्वारा रोबोटिक चंद्रमा मिशनों की एक सतत श्रृंखला है। इस कार्यक्रम में लांग मार्च रॉकेट्स का उपयोग करके लॉन्च ऑर्बिटर, लैंडर्स, रोवर्स और नमूना रिटर्न स्पेसक्राफ्ट को शामिल किया गया है।
18. निजी एस्ट्रोबोटिक प्रौद्योगिकी कार्यक्रम (Private Astrobotic Technology Program)
यह संयुक्त राज्य अमरीका की निजी कंपनी द्वारा ग्रह अन्वेषण के लिए अंतरिक्ष रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी विकसित किया गया है। 2008 में कार्नेगी मेलॉन के प्रोफेसर रेड व्हिटकर और उनके सहयोगियों ने गूगल चंद्र एक्स पुरस्कार जीतने के लक्ष्य के साथ इसकी स्थापना की थी।
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