मणिपुर ब्लैक राइस को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग: जानें क्या है इसका मतलब

May 7, 2020, 14:26 IST

मणिपुर ब्लैक राइस को GI टैग दिया गया है. यह टैग ज्योग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री के द्वारा दिया जाता है जो कि उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य आयर उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है. भारत में अब तक लगभग 361 प्रोडक्ट्स को GI टैग मिल चुका है. आइये इस लेख में इसके बारे में और जानते हैं.

Manipur Black Rice
Manipur Black Rice

भौगोलिक संकेत (GI) टैग क्या होता है? (What is Geographical Indication Tag)

भौगोलिक संकेत, "लोगो" जैसा एक नाम या निशान होता हैं जिसकी मदद से किसी कृषि उत्पाद, प्राकृतिक और निर्मित उत्पाद (मिठाई, हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) को विशिष्ट पहचान दी जाती है. यह टैग स्पेशल क्वालिटी और पहचान वाले उत्पाद (जो किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है) को दिया जाता है. जिस भी किसी क्षेत्र (देश, प्रदेश और टाउन) को यह टैग दिया जाता है, उसके अलावा किसी और को इस नाम को इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है.

हाल ही में मणिपुर के ब्लैक राइस को भौगोलिक संकेत (GI) टैग दिया गया है. इसका मतलब यह है कि अब पंजाब का कोई उत्पादक यह दावा नहीं कर सकता है कि उसने ब्लैक राइस पैदा किया है. अर्थात अब ब्लैक राइस मणिपुर की पहचान बन गया है.

इसका एक सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब मणिपुर के किसान बड़ी मात्रा में इसका उत्पादन कर पाएंगे और विश्व में इसका निर्यात करके बहुत आमदनी में भी कम पाएंगे.

नोट: ब्लैक राइस की कीमत लगभग 100 से 120 रूपये प्रति किलोग्राम होती है.

भारत में कौन जारी करता है GI टैग? (Who issues GI in India)

इस टैग को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ़ गुड्स (रजिस्ट्रेशन और प्रोटेक्शन) एक्ट,1999 के तहत जारी किया जाता है. यह टैग ज्योग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री के द्वारा दिया जाता है जो कि उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के द्वारा दिया जाता है. इस GI टैग को प्राप्त करने में लगभग एक साल तक का समय लग जाता है. यदि किसी का क्लेम तथ्यों पर खरा नही उतरता है तो एप्लीकेशन कैंसिल भी कर दिया जाता है.

GI-TAG-BLACK-RICE

यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि GI टैग किसी उत्पाद को जीवन भर के लिए नहीं दिया जाता है. नियम के अनुसार यह 10 वर्ष के लिए दिया जाता है. इस अवधि के बाद इसे प्राप्त करने के लिए फिर से अप्लाई करना पड़ता है.

भारत में सबसे पहला GI टैग 2004 में दार्जिलिंग चाय को दिया गया था जो कि वेस्ट बंगाल से सम्बंधित है. इसके बाद दूसरा GI टैग अरनमुला कन्नडी (हेंडीक्राफ्ट, जो कि एक मिरर होता है और केरल में बनाया जाता है) को दिया गया था.

ANARMULA-KANNADI

आइये अब जानते हैं कि मणिपुर का ब्लैक राइस या फिर लोकल भाषा में "चखाओ" चावल की क्या क्या विशेषताएं और लाभ हैं?

 "चखाओ" चावल की विशेषताएं और लाभ (Black Rice benefits and Properties):-

1. ‘चखाओ’ चावल में अन्य चावलों की तुलना में सबसे अधिक प्रोटीन पाया जाता है. इसके अलावा इसमें विटामिन्स ,मिनरल्स, फाइबर प्रोटीन और आयरन भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. 

2. इस ब्लैक राइस में एंथोसाइनिन पाया जाता है जो कि दिल का दौरा पड़ने की आशंका को कम करता है. यह धमनियों में प्लाक्स नहीं जमने देता है जोकि दिल का दौरा पड़ने की सबसे प्रमुख वजह है.

BLACK-RICE

3. इस चावल के खाने से मधुमेह, अल्जाइमर, हाइपरटेंशन, आर्थराइटिस, हाई कोलेस्ट्रोल लेवल को कम करने एलर्जी, उम्र बढ़ने को रोकता है और यहां तक कि कैंसर से बचाव भी किया जा सकता है.

4. ब्लैक राइस सुगन्धित होने के साथ साथ स्वाद में भी बहुत अच्छा होता है.

5.’चखाओ’ चावल एंटी-ऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर होते हैं. बता दें कि एंटी-ऑक्सीडेंट्स हमारे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होते हैं जिससे कई तरह की बीमारियां और सेहत संबंधी परेशानि‍यां दूर रहती हैं.

उम्मीद है कि इस लेख को पढने के बाद आप समझ गये होंगे कि ‘चखाओ’ चावल या ब्लैक राइस में क्या गुण होते होते हैं और इसको GI टैग मिल जाने से किसको फायदा होगा?

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