उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। इसके साथ ही, यह विविधताओं से परिपूर्ण है। यहां की संस्कृति और इतिहास इसे अन्य राज्यों से अलग बनाते हैं। बीते कुछ वर्षों में यहां शिक्षा का उजियारा भी फैला है। इस कड़ी में शहरों के साथ-साथ गावों ने भी कदम से कदम मिलाकर बुनियादी शिक्षा को अपनाया और विकास की राह का हाथ थामा है। अब हर गांव में शिक्षा का उजियारा फैल रहा है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि यूपी का सबसे पढ़ा-लिखा गांव कौन-सा है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
उत्तर प्रदेश का परिचय
उत्तर प्रदेश जिस स्थान पर है, वहां कभी कोसल और पांचाल साम्राज्य हुआ करता था। बाद में यहां शर्की पहुंचे और उन्होंने इस भूमि पर जौनपुर बसाया। कुछ समय बाद यहां मुगलों का शासन हुआ, तो उन्होंने इसे सूबे में बांटा और अवध सूबा नवाबों के हाथ में चला गया। हालांकि, ब्रिटिश शासन हुआ, तो उन्होंने उत्तर-पश्चिम प्रांत का गठन किया और बाद में इसे अवध और आगरा सूबे में मिला दिया। ब्रिटिश ने नए प्रांत का नाम संयुक्त प्रांत रखा, जो कि देश आजाद होने के बाद उत्तर प्रदेश हो गया।
उत्तर प्रदेश में कुल कितने गांव हैं
उत्तर प्रदेश पूरे भारत में सर्वाधिक गांव वाला राज्य है। साल 2011 की जनगणना आंकड़ों पर गौर करें, तो यूपी में कुल 1 लाख 7 हजार से अधिक गांव रिकॉर्ड किए गए थे। ये आंकड़े उत्तर प्रदेश के अधिक ग्रामीण इलाकों को दर्शाते हैं।
उत्तर प्रदेश में कुल कितने जिले हैं
उत्तर प्रदेश में कुल 75 जिले हैं, जो कि 18 मंडलों में आते हैं। इन मंडलों में कुल 351 तहसील हैं, जो कि चार संभागों में आती हैं। इसमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर पूर्वांचल संभाग तक शामिल है। वहीं, प्रदेश में कुल 17 नगर निगम, 28 विकास प्राधिकरण और 5 विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण मौजूद हैं।
उत्तर प्रदेश का सबसे पढ़ा-लिखा गांव
उत्तर प्रदेश का सबसे पढ़ा-लिखा धौर्रा माफी गांव है, जो कि अलीगढ़ जिले में स्थित है। इस गांव को एशिया का सबसे पढ़ा-लिखा गांव भी माना जाता है।
हर घर में मिल जाएंगे पढ़े-लिखे लोग
गांव में हर घर में पढ़े-लिखे लोग मिल जाएंगे। साल 2011 में गांव की साक्षरता दर 75 फीसदी दर्ज की गई थी। हालांकि, अब यह आंकड़ा 90 फीसदी को पार कर गया है। गांव के पास अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय है। ऐसे में गांव में भी पढ़ाई-लिखाई का माहौल रहता है। गांव के कई लोग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भी रहे हैं। आपको बता दें कि 2002 में यह गांव लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुका है।
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