भारत में राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) एक असाधारण शासन की स्थिति होती है, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत घोषित किया जाता है. इस स्थिति में, केंद्र सरकार को व्यापक अधिकार प्राप्त हो जाते हैं, और देश की सामान्य प्रशासनिक और संवैधानिक प्रक्रियाएं अस्थायी रूप से बदल जाती है. राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने के कई कारण होते है जैसे युद्ध की स्थिति, बाहरी आक्रमण या आंतरिक अशांति. ऐसी किसी भी स्थिति में देश में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की जाती है.
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बता दें कि भारत में अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की जा चुकी है. आपातकाल भारतीय राजनीति, समाज और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर गहरा प्रभाव डालता है. चलिये भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति, प्रभाव और इसकी समाप्ति के लिए क्या नियम बनाये गए है उसके बारें में जानते है.
आंतरिक अशांति के कारण राष्ट्रीय आपातकाल:
National Emergency In India: इंदिरा गांधी ने देश के तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद को अनुच्छेद 352 का उपयोग करके भारत में आंतरिक आपातकाल घोषित करने की सलाह दी थी. इसके बाद बिना किसी पूर्व चेतावनी के 25 जून 1975 की मध्यरात्रि को आपातकाल की घोषणा की गई थी. भारत में यह तीसरा अवसर था जब राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया था. पहली दो बार यह आपातकाल 1962 और 1971 में क्रमशः चीन और पाकिस्तान के साथ युद्धों के दौरान घोषित किया गया था.
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भारत में कब-कब हुई राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा:
भारत में अब तक तीन बार राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की जा चुकी है. पहली बार राष्ट्रीय आपातकाल साल 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान लगाया गया था. बाहरी युद्ध के अतिरिक्त आंतरिक अशांति के कारण साल 1975 में आपातकाल की घोषणा की गयी थी.
राष्ट्रीय आपातकाल की टाइम लाइन:
भारत में अब तक लगे राष्ट्रीय आपातकाल की टाइमलाइन आप यहां देख सकते है-
क्रम संख्या | आपातकाल का वर्ष | कारण | प्रारंभ तिथि | समाप्ति तिथि | विवरण |
1. | 1962 | चीन के साथ युद्ध | 26 अक्टूबर 1962 | 10 जनवरी 1968 | चीन के साथ चल रहे युद्ध के कारण आपातकाल लगाया गया था. |
2. | 1971 | पाकिस्तान के साथ युद्ध | 3 दिसंबर 1971 | 21 मार्च 1977 | पाकिस्तान के साथ युद्ध और बांग्लादेश के गठन के कारण आपातकाल की घोषणा की गई थी. |
3. | 1975 | आंतरिक अशांति | 25 जून 1975 | 21 मार्च 1977 | तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा आंतरिक अशांति और सुरक्षा की स्थिति का हवाला देकर आपातकाल लगाया गया था. |
नोट- दूसरा आपातकाल लागू होने के साथ, यह तीसरा आपातकाल जून 1975 में लगाया गया था और मार्च 1977 में दूसरे और तीसरे दोनों आपातकाल को समाप्त करने की घोषणा की गयी थी.
कैसे होती है आपातकाल की घोषणा?
bharat me apatkal kab kab laga राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की तारीख के एक महीने के भीतर, इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित करना होता है. यदि लोकसभा सत्र में नहीं है या घोषणा के बाद एक महीने की अवधि समाप्त होने से पहले भंग कर दी गई है, तो घोषणा को नवगठित लोकसभा की पहली बैठक से 30 दिनों के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए, बशर्ते कि राज्यसभा इसे मंजूरी दे दे. राष्ट्रीय आपातकाल नीचे दी गयी परिस्थितियों में घोषित की जाती है-
राष्ट्रीय आपातकाल की समय सीमा:
आम तौर पर, अनुमोदन के बाद आपातकाल छह महीने तक प्रभावी रहता है. हालाँकि, ऐसी उद्घोषणा को अनिश्चित काल तक बढ़ाया जा सकता है, प्रत्येक विस्तार को हर छह महीने में विशेष बहुमत से संसदीय अनुमोदन प्राप्त होना जरुरी है.
परिस्थिति | विवरण |
युद्ध | जब देश किसी बाहरी दुश्मन के साथ युद्ध में होता है. |
बाहरी आक्रमण | जब देश पर बाहरी आक्रमण का खतरा हो. |
आंतरिक अशांति | जब देश के अंदर गंभीर आंतरिक अशांति या विद्रोह की स्थिति हो, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डालती हो. |
आपातकाल का क्या होता है प्रभाव:
- केंद्र सरकार की शक्तियों में वृद्धि हो जाती है.
- मौलिक अधिकारों का निलंबन: नागरिकों के मौलिक अधिकारों को अस्थायी रूप से निलंबित किया जा सकता है खासकर अनुच्छेद 19 के अधिकारों को.
- आपातकाल के दौरान संसद के द्वारा कानून बनाने और प्रशासनिक फैसले लेने की प्रक्रिया तेज हो जाती है.
- संसद का कार्यकाल: संसद के कार्यकाल को एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है.
- न्यायिक समीक्षा: आपातकाल के दौरान न्यायिक समीक्षा सीमित हो जाती है.
राष्ट्रीय आपातकाल की समाप्ति:
राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा को राष्ट्रपति किसी भी समय रद्द कर सकता है. ऐसी उद्घोषणा के लिए संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है. वहीं यदि लोकसभा साधारण बहुमत से इसकी निरंतरता को अस्वीकार करने का प्रस्ताव पारित करती है तो आपातकाल को अवश्य ही रद्द कर दिया जाता है. राष्ट्रीय आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र की शक्तियों की परीक्षा ली लेकिन अलोकतांत्रिक निर्णय से उत्पन्न बाधा ने देश और नागरिकों को सबक सीखने के लिए प्रेरित भी किया था.
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