फिजियोलॉजी या मेडिसिन 2020 में नोबेल पुरस्कार अमेरिकियों हार्वे जे. अल्टर (Harvey J. Alter), और चार्ल्स एम. राइस (Charles M. Rice) और ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल ह्यूटन (Michael Houghton) को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया, "हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) वायरस की खोज के लिए".
आपको बता दें कि 1982 में लाखों डीएनए नमूनों की जांच कर हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज की गई थी. नोबेल पुरस्कार 10 मिलियन स्वीडिश क्रोनर पुरस्कार राशि और स्वर्ण पदक के साथ प्रदान किया जाता है. एक स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल ने इस पुरस्कार की स्थापना की थी.
2020 फिजियोलॉजी या मेडिसिन (Physiology or Medicine) में नोबेल पुरस्कार की घोषणा 5 अक्टूबर को नोबेल असेंबली के महासचिव और नोबेल कमेटी फॉर फिजियोलॉजी या मेडिसिन के प्रोफेसर थॉमस पर्लमैन (Thomas Perlmann) द्वारा की गई थी.
स्टॉकहोम (stockholm) में पुरस्कार की घोषणा के दौरान नोबेल समिति ने कहा कि हार्वे ऑल्टर (Harvey Alter), चार्ल्स राइस (Charles Rice) और माइकल ह्यूटन (Michael Houghton) के काम ने रक्त-जनित हेपेटाइटिस के एक प्रमुख स्रोत को समझाने में मदद की है जिसे हेपेटाइटिस ए और बी वायरसों द्वारा समझाया नहीं जा सका.
इसके अलावा, समिति ने कहा कि उनके काम से क्रोनिक हेपेटाइटिस के शेष मामलों का कारण भी पता चला और रक्त परीक्षण और नई दवाओं से भी संभव हुआ, जिन्होंने लाखों लोगों की जान बचाई है.
जानें रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार 2020 किसे देने की घोषणा की गई है?
पहले, हम तीन विजेताओं के बारे में अध्ययन करते हैं
1. हार्वे जेम्स ऑल्टर (Harvey James Alter)
उनका जन्म 1935 में न्यूयॉर्क में हुआ था. उन्होंने रोचेस्टर मेडिकल स्कूल विश्वविद्यालय ( University of Rochester Medical School) में अपनी चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की.
उन्हें स्ट्रांग मेमोरियल हॉस्पिटल (Strong Memorial Hospital) और सिएटल विश्वविद्यालय के अस्पतालों (University Hospitals of Seattle) में आंतरिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया गया.
वह 1961 में एक नैदानिक सहयोगी (clinical associate) के रूप में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) में शामिल हुए.
1969 में NIH में लौटने से पहले जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी (Georgetown University) में क्लिनिकल सेंटर ऑफ़ ट्रांसफ़्यूज़न मेडिसिन (Clinical Center's Department of Transfusion Medicine_ में वरिष्ठ जाँचकर्ता के रूप में शामिल होने के लिए उन्होंने कई साल बिताए.
2. माइकल ह्यूटन (Michael Houghton)
उनका जन्म यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में हुआ था.
1977 में, उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन (King's College London) से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की.
1982 में, वह Chiron Corporation, Emeryville, California में जाने से पहले G. D. Searle & Company से जुड़े.
2010 में, उन्होंने अल्बर्टा विश्वविद्यालय (University of Alberta) में स्थानांतरित कर दिया गया और वर्तमान में वायरोलॉजी में कनाडा एक्सिलेंस रिसर्च चेयर (Canada Excellence Research Chair) पर हैं और अलबर्टा विश्वविद्यालय (University of Alberta) में वायरोलॉजी के ली का शिंग प्रोफेसर (Li Ka Shing Professor) हैं जहां वह ली का शिंग एप्लाइड वायरोलॉजी संस्थान के निदेशक भी हैं.
3. चार्ल्स एम. राइस (Charles M. Rice)
उनका जन्म 1952 में सैक्रामेंटो (Sacramento) में हुआ था.
1981 में, उन्होंने कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (California Institute of Technology) से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. वहां उन्हें
1981-1985 के बीच पोस्टडॉक्टरल फेलो (postdoctoral fellow) के रूप में भी प्रशिक्षित किया गया था.
1986 में, उन्होंने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (Washington University School of Medicine), सेंट लुइस ( St Louis) में अपना शोध समूह स्थापित किया और 1995 में पूर्ण प्रोफेसर बन गए.
वह रॉकफेलर विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क (Rockefeller University, New York) में 2001 से प्रोफेसर थे.
2001-2018 के दौरान वह रॉकफेलर विश्वविद्यालय (Rockefeller University) में हेपेटाइटिस सी के अध्ययन के लिए वैज्ञानिक और कार्यकारी निदेशक, केंद्र में सक्रिय रहे.
हेपेटाइटिस के बारे में
लिवर (liver) में सूजन (inflammation) के लिए हेपेटाइटिस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है.
यह एक बीमारी है जिसमें कम भूख लगती है, उल्टी, थकान और पीलिया जिसमें त्वचा और आँखें पीली हो जाती हैं.
दूसरी ओर क्रोनिक हेपेटाइटिस (chronic hepatitis) से लिवर (liver) को नुकसान होता है. इससे सिरोसिस (cirrhosis) और लिवर कैंसर (liver cancer) भी हो सकता है.
हेपेटाइटिस का प्रमुख कारण वायरल संक्रमण है, जिसमें जीवन के लिए जटिलताओं के विकास से पहले कुछ वर्षों तक बिना किसी लक्षण के संक्रमण रहता है.
हेपेटाइटिस के कुछ अन्य संभावित कारण जैसे ऑटोइम्यून प्रतिक्रियाएं (autoimmune responses), दवाएं, ड्रग्स, विषाक्त पदार्थ और शराब हैं.
हेपेटाइटिस वायरस के 5 मुख्य प्रकार जैसे A, B, C, D, और E हैं.
28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस वायरल हेपेटाइटिस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.
हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) के बारे में
यह फ्लेववायरस फैमिली (Flavivirus family) के एक आरएनए वायरस के कारण होता है, जिसे अब हेपेटाइटिस सी वायरस (HCV) के रूप में जाना जाता है.
यह एक रक्त जनित वायरस है और हेपेटाइटिस सी रोग का कारण बनता है जो यकृत को प्रभावित करता है.
WHO के अनुसार, "विश्व स्तर पर, अनुमानित 71 मिलियन लोगों में क्रोनिक हेपेटाइटिस सी वायरल संक्रमण है और एक बड़ी संख्या में सिरोसिस या लिवर का कैंसर विकसित होता है."
ऐसा अनुमान लगाया गया था कि 2016 में विश्व स्तर पर लगभग 3,99,000 लोगों की मृत्यु हेपेटाइटिस सी से हुई थी.
वैज्ञानिकों ने एक नए वायरस की खोज कैसे की?
हार्वे जे. ऑल्टर (Harvey J. Alter) उन रोगियों में हेपेटाइटिस का अध्ययन कर रहे थे जिनमें रक्त transfusions हुआ था और उनमें कई अस्पष्टीकृत संक्रमण पाया गया था. हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमण परीक्षणों से पता चला कि वे इसका कारण नहीं थे. इसके अलावा, उनकी टीम ने प्रदर्शित किया कि इन रोगियों के रक्त से चिंपांज़ी को बीमारी प्रसारित हो सकती है. इसके अलावा, अधिक अध्ययनों के अनुसार, उन्होंने पाया कि इसके पीछे एक अज्ञात संक्रामक एजेंट था. और रहस्यमय नई बीमारी को "non-A, non-B" हेपेटाइटिस कहा जाता था.
कई वर्षों से, इस नए वायरस को वायरस अलगाव के लिए पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके अलग नहीं किया जा सकता था. माइकल ह्यूटन (Michael Houghton) की टीम और उन्होंने खुद एक संक्रमित चिंपांज़ी के रक्त से डीएनए के टुकड़ों का एक संग्रह तैयार किया और इस पर अच्छी तरह से रिसर्च की. उन्हें फ्लेवीवायरस फैमिली (Flavivirus family) से संबंधित एक नॉवेल आरएनए वायरस मिला. उन्होंने इसे हेपेटाइटिस सी वायरस का नाम दिया.
चार्ल्स एम. राइस (Charles M. Rice) ने तब विस्तार से समझा कि यह नया वायरस अकेले हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है. उन्होंने इसके लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग (genetic engineering) का इस्तेमाल किया और वायरस का एक आरएनए वैरिएंट (RNA variant) तैयार किया और इसे चिंपांज़ी के लिवर में इंजेक्ट (inject) किया. इसके बाद, चिंपैंजी के रक्त में वायरस का पता चला और उसने उन परिवर्तनों को प्रदर्शित किया जो इस बीमारी के साथ मनुष्यों में भी देखे गए और वे समान हैं. यह अंतिम प्रमाण था कि अकेले वायरस ट्रांसफ्यूजन-मध्यस्थता (transfusion-mediated) वाले हेपेटाइटिस के अस्पष्टीकृत मामलों के पीछे का कारण था.
यह खोज क्यों महत्वपूर्ण है या खोज का क्या महत्व है?
तीन नोबेल पुरस्कार विजेताओं की खोजों ने संवेदनशील रक्त परीक्षण को डिजाइन करने में मदद की है जिससे आधान-संचरित हेपेटाइटिस (transfusion-transmitted hepatitis) का खतरा समाप्त हुआ है. इतना ही नहीं, बल्कि उनकी खोज से हेपेटाइटिस सी पर निर्देशित एंटीवायरल ड्रग्स विकसित करने में भी मदद मिलती है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इससे दुनिया की आबादी से वायरस के उन्मूलन की उम्मीद बढ़ गई है.
अंत में, हम भारत में हेपेटाइटिस पर एक नजर डालते हैं
लगभग 40 मिलियन लोग क्रोनिक रूप से हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित हैं.
हेपेटाइटिस सी वायरस से 6 से 12 मिलियन लोग इन्फेक्टेड हैं.
नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम (National Viral Hepatitis Control Programme (NVHCP)) 2018 में 2030 तक हेपेटाइटिस सी को खत्म करने के लिए शुरू किया गया.
यह दुनिया में हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के निदान और उपचार का सबसे बड़ा कार्यक्रम है.
भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunization Programme (UIP) ) के तहत हेपेटाइटिस बी को शामिल किया गया है. यह कुल 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ नि: शुल्क टीकाकरण प्रदान करता है।
भारत में, हेपेटाइटिस बी संक्रमण के लिए पहला पुनः संयोजक डीएनए-आधारित टीका हैदराबाद स्थित शांता बायोटेक (Hyderabad-based Shantha Biotech) द्वारा बनाया गया था.
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