इंडिया बनाम भारत: भारत का नाम बदलने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में क्यों और किसने डाली?

Jun 4, 2020, 15:00 IST

इस समय पूरे देश में देश का नाम बदलने की चर्चा और वाद-विवाद चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत या हिंदुस्तान’ शब्द लिखने के लिए एक याचिका दाखिल की गयी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. आइये इसके बारे में इस मामले की पूरी तह तक जाते हैं.

India VS Bharat
India VS Bharat

विलियम शेक्सपियर ने कहा था कि “नाम में क्या रखा है”.लेकिन उसकी यह बात भारत के बारे में ठीक नहीं बैठती है क्योंकि यहाँ पर पूरी राजनीति और देश सिर्फ नाम से ही चलते है. भारत में कई शहरों और प्रदेशों के नाम बदले गये हैं और यह क्रम आगे भी जारी रहेगा.

भारत में नाम के आधार पर ही व्यक्ति की जाति, उसका धर्म, उसका प्रदेश और उसके खानपान के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है.

इस नाम बदलने की संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली निवासी ‘नमह’ नाम के व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि संविधान में लिखा गया ‘इंडिया और भारत’ नाम बदलकर सिर्फ भारत या हिंदुस्तान कर दिया जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी थी कि हमारे देश को ‘इंडिया’ नाम अंग्रेजों ने दिया था इसलिए अब इस गुलामी के प्रतीक नाम को बदल दिया जाना चाहिए और दो नामों की जगह केवल एक नाम रखना चाहिए.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में ये तर्क रखे;

1. गाँधी जी ने अंग्रजों के विरूद्ध लड़ाई के दौरान ‘भारत माता की जय’ का नारा दिया था ना कि ‘इंडिया’ माता की जय.

2. हमारे देश के राष्ट्रगान में भी ‘भारत’ शब्द आता है ना कि ‘इंडिया’

3. भारतीय दंड संहिता में भी ‘भारत’ शब्द का प्रयोग किया जाता है.

4. अंग्रजों के शासन से पूर्व  मुग़ल भी हमारे देश को ‘हिंदुस्तान’ के नाम से पुकारते थे.

इस प्रकार कोर्ट में याचिकाकर्ता ने यह कहा कि भारत के दो नामों को हटाकर केवल एक नाम रखा जाना चाहिए इसलिए सुप्रीम कोर्ट को भारतीय संविधान के आर्टिकल 1 में परिवर्तन करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए.

भारतीय संविधान का आर्टिकल 1 क्या कहता है?

भारत का नाम और क्षेत्र;

1. इंडिया, जो कि भारत है वह राज्यों का संघ होगा.

2. राज्यों और क्षेत्रों को पहली अनुसूची में निर्दिष्ट किया जाएगा.

3. भारत के क्षेत्रों में शामिल होंगे.

ऐसा नहीं है कि भारत और इंडिया के बीच की यह बहस अभी अभी उठी है. दरअसल यह मुद्दा भारत का संविधान लागू होने से पहले का है.

भारत का संविधान लागू होने के पहले जब संविधान सभा में संविधान की अच्छाई और बुराई पर बहस हो रही थी तब भी कुछ लोगों के इसके दो नामों का विरोध किया था. 
इस बहस की शुरुआत संविधान सभा के सदस्य H.V. कामथ ने शुरू की थी. उन्होंने बाबा साहेब द्वारा तैयार किये गए ड्राफ्ट का विरोध किया और कहा कि देश का सिर्फ एक प्राइमरी नाम होना चाहिए या तो इसे भारत कहा जाना चाहिए या फिर हिन्द. इसके अलावा इंडिया नाम सिर्फ अंग्रेजी भाषा के लिए उच्चारित किया जाना चाहिये.

इसके अलावा ‘भारत’ नाम को M.A.अयंगार, K.V. राव, कमलपति त्रिपाठी और हरगोविंद पन्त जैसे लोगों ने भी समर्थन दिया था.

लेकिन जब संविधान सभा में इस पर वोटिंग हुई तो केवल ‘भारत’ नाम रखने का यह संशोधन प्रस्ताव गिर गया और देश का नाम India that is Baharat रखा गया.

लेकिन इस मुद्दे पर बहस हमेशा जारी रही और 2014 में जब योगी आदित्यनाथ, संसद सदस्य थे तो उन्होंने इस मुद्दे पर एक प्राइवेट मेम्बर बिल संसद में रखा था. जिसमें इंडिया शब्द की जगह हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग करने की बात कही गयी थी और देश का प्राइमरी नाम ‘भारत’ रखने के प्रस्ताव रखा था.

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय 

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने यह नाम बदलने की याचिका ख़ारिज कर दी है और कहा है कि जब देश का नाम पहले ही ‘भारत’ है तो फिर इस प्रकार की याचिका का क्या मतलब है? हालाँकि कोर्ट ने सम्बंधित मंत्रालय को इस बारे में गौर करने के लिए भी कहा है.

अब इस मामले पर केंद्र के रुख का इंतजार करना होगा.यदि आप ऐसे ही और रोचक तथ्य पढना चाहते हैं तो नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें;

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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