प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: उद्देश्य, और मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित अन्य उद्घाटन

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana-PMMSY) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 सितंबर को डिजिटल माध्यम से लॉन्च  किया. इस योजना के साथ-साथ ई-गोपाला एप भी लॉन्च किया और मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित अन्य उद्घाटन भी किए. आइये इस लेख के माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के उद्देश्य और मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित अन्य उद्घाटन के बारे में अध्ययन करते हैं.

Sep 11, 2020, 20:16 IST
Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana
Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 सितंबर को डिजिटल माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) को लॉन्च किया. इसके साथ ई-गोपाला एप को भी लॉन्च किया, जो किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिए एक समग्र नस्ल सुधार, बाजार और सूचना पोर्टल है. इसी अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा बिहार में मछली पालन और पशुपालन क्षेत्रों में भी कई पहलुओं  की भी शुरुआत की.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के बारे में 

यह मत्स्य क्षेत्र पर केन्द्रित और सतत विकास योजना है. इसे वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक पांच साल की अवधि के दौरान आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाना है. 
इस योजना पर अनुमानित रूप से 20,050 करोड़ रुपये का निवेश होना है. यह निवेश मत्स्य क्षेत्र में होने वाला अब तक का सबसे ज्यादा निवेश है. 
इस निवेश में से: 
- लगभग 12,340 करोड़ रुपये का निवेश समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में लाभार्थी केन्द्रित गतिविधियों पर
 - और  7,710 करोड़ रुपये का निवेश फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए प्रस्तावित है.

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का उद्देश्य 

- मछली उत्पादन अतिरिक्त 70 लाख टन वर्ष 2024-25 तक बढ़ाना.
- मछली निर्यात से आय 1,00,000 करोड़ रुपये वर्ष 2024-25 तक करना.
- मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय दोगुनी करना.
- पैदावार के बाद नुकसान 20-25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना तथा मत्स्य पालन क्षेत्र और सहायक गतिविधियों में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना.

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इस योजना को मछली उत्पादन और उत्पादकता, गुणवत्ता प्रौद्योगिकी, उपज के बाद के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे और प्रबंधन, मूल्य निर्धारण श्रृंखला के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण, मजबूत मत्स्य प्रबंधन ढांचे और मछुआरों के कल्याण के रास्ते में आने वाली कमियों को दूर करने के उद्देश्य से बनाया गया है.

मुख्य रूप से यह योजना परियोजना में आवश्यकतानुरूप निवेश करते हुए मत्स्य समूहों और क्षेत्रों के निमार्ण पर केन्द्रित की गई है.  

इस योजना के जरिये नीली क्रांति योजना की उपलब्धियों को मजबूत करने का उद्देश्य है. जिसके जरिए कई नए हस्तक्षेपों की परिकल्पना भी की गई है जैसे मछली पकड़ने के जहाजों का बीमा, मछली पकड़ने के जहाजों/नावों के उन्नयन के लिए मदद, बायो-टॉयलेट्स,  लवण/क्षारीय क्षेत्रों में जलीय कृषि, सागर मित्र, एफएफपीओ/सीएस, न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर,  मत्स्य पालन और जलीय कृषि स्टार्ट-अप्स, इन्क्यूबेटर्स, इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क, इंटीग्रेटेड कोस्टल फिशिंग विलेज डेवलपमेंट, एक्वाटिक प्रयोगशालाओं के नेटवर्क और उनकी सुविधाओं का विस्तार, पहचान सुविधा, प्रमाणन और मान्यता, आरएएस, बायोफ्लोक एंड केज कल्चर, ई-ट्रेडिंग/विपणन, मत्स्य प्रबंधन योजना इत्यादि शामिल है.

यहीं आपको बता दें कि इस योजना के तहत अब तक मत्स्य विभाग ने पहले चरण में 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1723 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी है. इसके तहत आय सृजन गतिविधियों को प्राथमिकता दी गई है.

आइये अब मत्स्य पालन क्षेत्र से संबंधित अन्य उद्घाटनों के बारे में अध्ययन करते हैं.

ब्रूड बैंक और एक्वाटिक डिजीज रेफरल प्रयोगशाला 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीतामढ़ी में मछली ब्रूड बैंक और किशनगंज में एक्वाटिक डिजीज रेफरल प्रयोगशाला की स्थापना की घोषणा की. इसके लिए PMMSY के तहत सहायता प्रदान की गई है.

ये सुविधाएं मछली किसानों के लिए गुणवत्ता और सस्ती दर पर मछली बीज की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करके मछली उत्पादन और उसकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेंगी और मछलियों के रोग निदान के साथ-साथ पानी और मिट्टी की परीक्षण सुविधाओं की आवश्यकता को भी पूरा करेंगी.

फिश फीड मिल और फिश ऑन व्हील्स'

नीली क्रांति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मधेपुरा में फिश फीड मिल की एक इकाई और पटना में 'फिश ऑन व्हील्स' की दो इकाइयों का उद्घाटन किया. 

बिहार में व्यापक मछली उत्पादन प्रौद्योगिकी केंद्र 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, बिहार में व्यापक मछली उत्पादन प्रौद्योगिकी केंद्र का भी उद्घाटन किया. केंद्र मछली बीज उत्पादन प्रौद्योगिकी और मछली के लिए प्रदर्शन इकाई प्रौद्योगिकी, रेफरल प्रयोगशाला और नैदानिक परीक्षण की सुविधाओं के साथ मछली उत्पादन को बढ़ावा देने और मछली किसानों की क्षमता निर्माण में सहायता करेगा.

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ई-गोपाला एप 

यह एप  किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिए एक समग्र नस्ल सुधार, बाज़ार और सूचना पोर्टल है.

निम्नलिखित पहलुओं जिसपर ये ऐप समाधान प्रदान करेगा इस प्रकार हैं:
- देश में पशुधन सभी रूपों (वीर्य, भ्रूण, आदि) में रोग मुक्त जीवाणु (जर्मप्लाज्म) खरीदना और बेचना.
-  गुणवत्तापूर्ण प्रजनन सेवाओं की उपलब्धता (कृत्रिम गर्भाधान, पशु प्राथमिक चिकित्सा, टीकाकरण, उपचार इत्यादि.
- पशु पोषण के लिए किसानों का मार्गदर्शन करना.
- उचित आयुर्वेदिक दवा/एथनो पशु चिकित्सा दवा का उपयोग करते हुए जानवरों का उपचार इत्यादि की जानकारी प्राप्त करवाना.
- पशु किसानों को अलर्ट भेजने जैसे टीकाकरण, गर्भावस्था निदान इत्यादि के लिए नियत तारीख पर या उन्हें क्षेत्र में विभिन्न सरकारी योजनाओं और अभियानों के बारे में सूचित करना.

पशुपालन क्षेत्र से संबंधित अन्य उद्घाटन इस प्रकार हैं:

राष्ट्रीय गोकुल मिशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के पूर्णिया में ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के तहत स्थापित की गई अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त वीर्य केंद्र (सीमेन स्टेशन) का उद्घाटन भी किया.

यह केंद्र बिहार सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई 75 एकड़ भूमि पर 84.27 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित किया गया है.

यह सरकारी क्षेत्र के सबसे बड़े वीर्य केंद्रों में से एक है जिसकी उत्पादन क्षमता 50 लाख वीर्य खुराक प्रति वर्ष है.

यह वीर्य केंद्र बिहार की स्वदेशी नस्लों के विकास एवं संरक्षण को भी नया आयाम देगा और इसके साथ ही पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों की वीर्य खुराक की मांग को पूरा करेगा.

आईवीएफ (IVF) लैब

 राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत पटना स्थित पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में आईवीएफ (IVF) लैब स्थापित की गई. शत-प्रतिशत अनुदान सहायता के जरिए देश भर में कुल 30 ईटीटी और आईवीएफ लैब (प्रयोगशालाएं) स्थापित की जा रही हैं. 

ये लैब देशी नस्लों के बेहतरीन पशुओं का वंश बढ़ाने और इस प्रकार दूध उत्पादन एवं उत्पादकता को कई गुना बढ़ाने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.

कृत्रिम गर्भाधान में लिंग पृथक्कृत वीर्य 

 राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत बिहार के बेगूसराय जिले में बरौनी मिल्क यूनियन द्वारा कृत्रिम गर्भाधान में लिंग पृथक्कृत वीर्य के उपयोग का भी शुभारंभ किया गया.

‘एआई’ में लिंग पृथक्कृत वीर्य के उपयोग के जरिए केवल मादा बछड़ों का ही जन्म सुनिश्चित किया जा सकता है (90% से भी अधिक सटीकता के साथ). इससे देश में दूध उत्पादन की वृद्धि दर को दोगुना करने में मदद मिलेगी.

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इसके तहत अत्यंत तेज दर से अधिक प्रजनन क्षमता वाली पशुओं की संख्या को कई गुना बढ़ाने की प्रौद्योगिकी का प्रचार-प्रसार होगा क्योंकि इस प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिए वे एक वर्ष में 20 बछड़ों को जन्म दे सकती हैं.

तो अब आप प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना इसका उद्देश्य और अन्य उद्घाटनों के बारे में ज्ञात हो गया होगा.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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