भारत की जनजातियों का क्षेत्रीय वितरण

Dec 28, 2018, 12:59 IST

जनजाति (Schedule Tribe) वह सामाजिक समुदाय है जो राज्य के विकास के पूर्व अस्तित्व में था लेकिन आज ये मुख्यधारा से अलग हैं। जनजाति वास्‍तव में भारत के आदिवासियों के लिए इस्‍तेमाल होने वाला एक वैधानिक शब्द है जिसके लिए भारतीय संविधान में विशेष प्रावधान दिए गए हैं। इस लेख में हम, सामान्य जागरूकता के लिए भारत के अनुसूचित जनजातियों का क्षेत्रीय वितरण पर महत्वपूर्ण तथ्यों को दे रहे हैं जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

Regional distribution of Schedule Tribes in India in Hindi
Regional distribution of Schedule Tribes in India in Hindi

जनजाति (Tribe) वह सामाजिक समुदाय है जो राज्य के विकास के पूर्व अस्तित्व में था लेकिन आज ये मुख्यधारा से अलग हैं। जनजाति वास्‍तव में भारत के आदिवासियों के लिए इस्‍तेमाल होने वाला एक वैधानिक शब्द है जिसके लिए भारतीय संविधान में विशेष प्रावधान दिए गए हैं। अब अहम् सवाल यह है की कौन सी मानव समुदाय के लोगो को अनुसूचित जनजाति के सूची में डाला जाता है। 1960 में, चंदा समिति ने अनुसूचित जनजाति में किसी भी जाति या समुदाय को शामिल करने के लिए पांच मानदंडों को निर्धारित किया। इन मानकों में भौगोलिक अलगाव, विशेष संस्कृति, जनजातियों की विशेषताओं, पिछड़ेपन और शर्मीलापन  शामिल हैं। भारत में 461 जनजाति हैं जिनमें से 424 अनुसूचित जनजातियों को संवैधानिक और वैधानिक रूप से मान्यता-प्राप्त है।

भारत की जनजातियों का क्षेत्रीय वितरण

Classfication of tribe

भारत को जनसंख्या के वितरण और विविधता के आधार पर सात ज़ोन (क्षेत्र) में विभाजित किया गया है जिसकी नीचे व्याख्या की गयी है:

1. उत्तर ज़ोन (क्षेत्र)

जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उप-हिमालय, उत्तर प्रदेश और बिहार इस जोन के अंतर्गत आते हैं। लाहौल, लेपचा, भूटिया, थारू, बक्सा, जौनसारी, खामपा, भोकसा, गुज्जर और कनौता इस क्षेत्र में रहने वाले जनजाति हैं। वे सभी जनजाति मोंगोलोइड नस्ल से सम्बन्ध रखते हैं।

2. उत्तर-पूर्वी ज़ोन (क्षेत्र)

असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम इस जोन के अंतर्गत आते हैं। वे सभी जनजाति मोंगोलोइड नस्ल से सम्बन्ध रखते हैं। प्रमुख आदिवासी समूह हैं:

मिजोरमः लुसाई, कुकी, गारो, खासी, जयंती और मिकिर

नागालैंड: नागा, कुकी, मिकिर और गारो

मेघालय: गारो, खासी और जयंतिया

सिक्किम: लेपचा, भूटिया, लिम्बु, और तमांग

त्रिपुरा: चाकमा, गारो, खासी, कुकी, लुसाई, लिआंग, और संथाल

अरुणाचल प्रदेश: दफला, खमपटी, और सिंगोफ़ो

आसम: बोरो, कछारी, मिकिर (कार्बी), लालुंग, और हाजोंग

मणिपुर: मीटीस, पंगल, नागा जनजातियां और कूकी

इन जनजातियों की उच्च साक्षरता दर है।

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3. केंद्रीय ज़ोन (क्षेत्र)

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान और उत्तरी आंध्र प्रदेश की जनजाति इस जोन के अंतर्गत आते हैं।

4. दक्षिणी ज़ोन (क्षेत्र)

मध्य और दक्षिणी पश्चिमी घाटियां, जो 20 डिग्री अक्षांश के दक्षिण में विस्तारित हैं इस जोन के अंतर्गत आते हैं। जैसे- पश्चिमी आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिमी तमिलनाडु और केरल। तोदा, कोटा और बगदा निलगिरी क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण जनजातियाँ हैं। कुरुम्बा, कादर, पैनियन, चेन्चु, अलेर, नायक और चेट्टी इस क्षेत्र की अन्य प्रमुख जनजातियाँ हैं।

5. पूर्वी ज़ोन (क्षेत्र)

झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार इस जोन के अंतर्गत आते हैं। ओडिशा की जनजातियां जुआंग, खरिया, खोंड और भूमिज ओड़िसा के जनजाति जनजातियां हैं। मुंडा, ओरन, संथाल हो और बिरहोर झारखंड की जनजातियां हैं। वे ऑस्ट्रिक भाषा परिवार के हैं और कोल और मुंडा भाषाएं बोलते हैं।

6. पश्चिमी ज़ोन (क्षेत्र)

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान और उत्तरी आंध्र प्रदेश की जनजातियां इस जोन के अंतर्गत आते हैं। भिल्ल, गरासिया, मीना, बंजारा, संसि और सहारिया राजस्थान के प्रमुख जनजातियां हैं। महादेकोली, बाली और दबाला गुजरात के प्रमुख जनजातियां हैं। जयंती मध्यप्रदेश का के प्रमुख जनजाति हैं। में हैं।

7. द्वीप क्षेत्र

अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप समूह की जनजातियां इस जोन के अंतर्गत आते हैं। शॉम्पेन, ओन्गे, जर्वा और सेंनालिली अंडमान एवं निकोबार की प्रमुख जनजातियां हैं , जो धीरे-धीरे विलुप्त हो रहे हैं। वे नेग्रिटू नस्लीय समूह से संबंधित हैं।

मानव समुदाय अपने विशेषताओं के आधार पर पहचाने जाते हैं। जैसे की बाल का रंग, सिर संरचना, नाक की बनावट तथा आंखों का आकार और रंग। भारत में मानव समुदाय अत्यधिक मिश्रित हैं।

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