भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश इस समय बहुत बड़े राजनीतिक उलटफेर से गुजर रहा है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ गया है हसीना भारत पहुंच चुकी है और ढाका में सेना प्रमुख ने सत्ता पर काबिज होने का ऐलान तक कर दिया है. बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी इतने उग्र हो गए थे कि उन्होंने शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर तोड़फोड़ कर दी है. हालांकि, तख्तापलट का इतिहास तो लंबा है दुनिया में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले कई देशों में ऐसे तख्तापलट देखने को मिले है.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद ने छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के चलते इस्तीफा दिया है और देश छोड़कर भारत पहुंच चुकी है. इसके साथ ही उनके 20 साल से अधिक समय के शासनकाल का भी अंत हो गया है. 76 वर्ष की हसीना ने एक हेलिकॉप्टर से भारत का रुख किया, जब हजारों प्रदर्शनकारियों ने राजधानी ढाका में उनके आधिकारिक निवास पर धावा बोला दिया था. चलिये यहां हम शेख हसीना के लंबे राजनीतिक करियर के बारें में जानने की कोशिश करते है.
खालिदा जिया की तत्काल रिहाई के आदेश:
हसीना और मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बीच दशकों तक सत्ता संघर्ष चलता रहा, जो नजरबंद थी. लेकिन अभी हाल की खबर के अनुसार उनकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए गए है.
शेख हसीना वाजेद का राजनीतिक करियर:
बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधानमंत्री के शासन का अप्रत्याशित अंत हो गया है. हसीना ने साल 2009 से सत्ता में आई थी और कुल मिलाकर 20 से अधिक वर्षों तक देश पर शासन किया. हाल के वर्षों में बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति के लिए श्रेय पाने वाली हसीना ने अपना राजनीतिक करियर लोकतंत्र समर्थक आइकन के रूप में शुरू किया था. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में उन पर देश में किसी भी विरोध को कुचलने के आरोप लगे.
जनवरी में चौथी बार बनी थी प्रधानमंत्री:
जनवरी में, उन्होंने चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए चौथी बार देश की कमान संभाली थी लेकिन इस चुनाव की आलोचना करते हुए विपक्ष ने इसे एक दिखावा करार दिया और मुख्य विपक्षी पार्टी ने इसका बहिष्कार किया.
1996 में पहली बार बनी थी प्रधानमंत्री:
शेख हसीना ने 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री पद संभाला था जिसके बाद साल 2008 में वापस सत्ता में आईं, जहां से उन्होंने अब तक शासन किया. बता दें कि 15 अगस्त, 1975 को उनके पिता और स्वतंत्र बांग्लादेश के पहले नेता, शेख मुजीब रहमान की एक सैन्य तख्तापलट में हत्या कर दी गई थी.
शेख हसीना पॉलिटिकल करियर टाइम-लाइन:
शेख हसीना बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक शख्सियत रही हैं, जिन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया है. साथ ही उन पर गिरफ्तारियां, हत्या के प्रयास, और भ्रष्टाचार के आरोप भी हैं, और फिर भी देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
वर्ष | घटनाक्रम |
1947 | पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में जन्म |
1971 | बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता प्राप्त की; उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान पहले राष्ट्रपति बने. |
1975 | एक सैन्य तख्तापलट में उनके पिता और अधिकांश परिवार की हत्या; वे और उनकी बहन विदेश में होने के कारण जीवित बचे. |
1981 | भारत में निर्वासन से बांग्लादेश वापस लौटीं; अवामी लीग की नेता बनीं. |
1996 | पहली बार प्रधानमंत्री चुनी गईं; भारत के साथ जल-साझाकरण समझौता और दक्षिण-पूर्व के जनजातीय विद्रोहियों के साथ शांति समझौता किया. |
2001 | बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की बेगम खालिदा जिया से चुनाव हारीं. |
2004 | हत्या के प्रयास से बचीं जिससे उनकी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँचा. |
2009 | एक तदर्थ सरकार के तहत हुए चुनाव में सत्ता में वापसी की. |
2014 | फिर से प्रधानमंत्री चुनी गईं. |
2018 | लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री चुनी गईं |
जनवरी 2024 | लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री चुनी गईं |
5 अगस्त 2024 | तख्तापलट के बीच देश छोड़ भारत पहुंची. |
अंतरराष्ट्रीय मंच पर शेख हसीना:
अंतरराष्ट्रीय मंच पर, हसीना ने भारत और चीन सहित शक्तिशाली देशों के साथ संबंध बनाए. वहीं मानवाधिकारों और प्रेस स्वतंत्रता के उल्लंघन पर संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने उन्हें घेरा. जनवरी में चौथी बार लगातार चुनाव जीतने के बाद, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किये. शेख हसीना का राजनीतिक सफर हाल की घटनाक्रम के कारण महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं, जिससे बांग्लादेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है.
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