ओलंपिक्स जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर अपने देश के राष्ट्रगान के साथ स्वर्ण पदक प्राप्त करना हर एथलीट का सपना होता है. लेकिन यदि गोल्ड जीतने के बाद ऐसा न हो तो एक एथलीट के तौर पर यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य भी होता है ऐसा ही कुछ पेरिस ओलंपिक 2024 में भी देखने को मिला जब बेलारूस के इवान लिट्विनोविच ने अपना गोल्ड मेडल हासिल किया मेडल लेते समय न ही उनके देश का झंडा दिखाया गया और न ही राष्ट्रगान बजा. चलिये इसके पीछे के कारण को आपको आगे बताते है.
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Individual Neutral Athletes (AINs) आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रूस और बेलारूस के एथलीट इस ओलंपिक्स में न्यूट्रल एथलीट बैनर के तहत हिस्सा ले रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक्स समिति (IOC) ने कड़े शर्तों के तहत बेलारूसी या रूसी पासपोर्ट रखने वाले एथलीटों को पेरिस ओलंपिक में भाग ली की अनुमति दी है, जिस कारण बेलारूस के इवान लिट्विनोविच (Ivan Litvinovich) के साथ भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला.
ध्वज और राष्ट्रगान पर बैन क्यों?
बता दें कि पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में बेलारूसी या रूसी पासपोर्ट रखने वाले एथलीटों को इंडिविजुअल न्यूट्रल एथलीट (AINs) के रूप में आमंत्रित किया गया है. AIN कोटा मौजूदा योग्यता प्रतियोगिताओं और अंतर्राष्ट्रीय संघों (IFs) की विशिष्ट पात्रता आवश्यकताओं के माध्यम से मैदान पर निर्धारित किए गए हैं. जिस कारण यदि बेलारूसी या रूसी एथलीट पदक जीतते है तो उनके देश का राष्ट्रगान नहीं बजाया जा रहा है.
मेडल टैली में रूस और बेलारूस का नाम नहीं?
पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों के लिए, दिसंबर 2023 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) कार्यकारी बोर्ड (EB) द्वारा AINs के लिए कड़े पात्रता शर्तें निर्धारित की गईं थी. IOC दिशा-निर्देशों के अनुसार, रूस और बेलारूस का नाम मेडल टैली में शामिल नहीं किया गया है.
ओलंपिक से रूस और बेलारूस बैन क्यों?
What is "AIN" in the Olympics? फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से रूस और उसके सहयोगी देश बेलारूस को, दुनिया के कई खेलों से बैन कर दिया गया था. जिस कारण रूस और बेलारूस के एथलीट इस ओलंपिक्स में इंडिविजुअल न्यूट्रल एथलीट (AINs) के रूप में भाग ले रहे है.
IOC दिशा-निर्देशों के अनुसार, "रूसी या बेलारूसी पासपोर्ट वाले पात्र एथलीटों को इंडिविजुअल न्यूट्रल एथलीट्स के रूप में दर्ज किया जाएगा और प्रतिस्पर्धा करेंगे." रूसी या बेलारूसी पासपोर्ट वाले एथलीटों की टीमों को पेरिस ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति नहीं होगी जब तक कि वे सभी व्यक्तिगत रूप से प्रतिस्पर्धा न कर रहे हों.
कड़े प्रतिबंधों के साथ खेलने का मौका:
इसके अलावा, IOC के अनुसार, जो एथलीट युद्ध का सक्रिय समर्थन करते हैं या जो रूसी या बेलारूसी सैन्य या राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों से अनुबंधित हैं, वे प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते, और उन्हें डोपिंग मानकों का पालन करना होगा.
प्रतिबंध की शर्तों के तहत, रूस या बेलारूस का कोई भी एथलीट या खेल अधिकारी रूस या बेलारूस के नाम से ओलंपिक में भाग नहीं ले सकेगा.
इसके अलावा, कोई भी राष्ट्रीय झंडा, रंग, गान या "किसी भी प्रकार का अन्य राष्ट्रीय प्रतीक" प्रदर्शित नहीं किया जा सकेगा, और किसी भी सरकारी या राज्य अधिकारी को किसी भी खेल आयोजन के लिए मान्यता प्राप्त नहीं होगी. और, चूंकि वे अपने राष्ट्रों के प्रतिनिधियों के रूप में प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहे हैं, वे उद्घाटन समारोह में राष्ट्रों की परेड में भाग नहीं ले सकते.
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रुसी खिलाड़ियों पर पहले भी लगे है प्रतिबन्ध:
साल 2016 की वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी की एक रिपोर्ट में 2011 से 2014 के बीच एक रूसी राज्य-प्रायोजित डोपिंग योजना से जुड़े 1,000 से अधिक व्यक्तियों की पहचान की गई थी. इनमें से कुछ एथलीटों ने 2014 सोची शीतकालीन ओलंपिक में स्वर्ण पदक भी जीते थे. बता दें कि 2018 प्योंगचांग शीतकालीन ओलंपिक में भाग लेने के लिए 168 रूसी एथलीटों ने पात्रता प्रक्रिया को पास किया, जबकि कई अन्य को प्रतिबंधित कर दिया गया था.
रूस को फिर से कब मिलेगा मौका:
दिसंबर 2022 में ओलंपिक शिखर सम्मेलन में रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंध "मजबूती से लागू" रहेंगे, IOC ने कहा, और उन्हें निकट भविष्य में हटाने के कोई संकेत नहीं दिए. अब आगे आने वाले समय में ही यह निर्धारित हो पायेगा कि रूस के और बेलारूस के खिलाड़ी कब अपने राष्ट्र ध्वज तले खेलेंगे.
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