Teachers Day 2020: भारत में शिक्षक दिवस की शुरूआत कैसे हुई?

Teachers Day 2020: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन- द नेशन टीचर को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उनका जन्मदिन देश में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। वह एक महान दार्शनिक थे जिन्होंने भारतीय विचारों में पश्चिमी दर्शनशास्त्र का परिचय दिया। शिक्षा के क्षेत्र में और एक राजनीतिक नेता के रूप में भी उनका योगदान अविस्मरणीय है। वास्तव में, उनके कार्यों और उपलब्धियों ने कई युवाओं को प्रेरित किया है।  

Dec 23, 2022, 17:41 IST
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan

Teachers Day 2020: डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को तमिलनाडू के तिरूतानि मे एक मध्यवर्गीय परिवार मे हुआ था। सन् 1962 से भारत में प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि हमें महान दार्शनिक और शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान की याद दिलाता है। डॉ. राधाकृष्णन का मानना ​​था कि "देश के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों को शिक्षक बनना चाहिए"।


क्या आप जानते हैं कि भारत में शिक्षक दिवस की शुरूआत कैसे हुई?

 एक बार डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन के शुभ अवसर पर उनके छात्रों और दोस्तों ने उनसे उनके जन्मदिन का जश्न मनाने की अनुमति माँगी लेकिन जवाब में डॉ राधाकृष्णन ने कहा कि "मेरे जन्मदिन का जश्न मनाने के बजाय अगर 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी|” शिक्षकों के बारे में डॉ राधाकृष्णन का मानना था कि समाज और देश की विभिन्न बुराइयों को शिक्षा के द्वारा ही सही तरीके से हल किया जा सकता है।

यह बात सर्वविदित है कि "शिक्षक ही एक सभ्य और प्रगतिशील समाज की नींव रखता है| उनके समर्पित काम और छात्रों को प्रबुद्ध नागरिक बनाने के लिए उनके अथक प्रयास प्रशंसनीय योग्य हैं|”

इसके अलावा, डॉ राधाकृष्णन की इच्छा थी कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए और शिक्षकों, छात्रों और शिक्षा पद्धति के बीच एक मजबूत संबंध विकसित होना चाहिए| कुल मिलाकर वे पूरी शिक्षा प्रणाली में बदलाव चाहते थे| उनके अनुसार शिक्षकों को विद्यार्थियों का स्नेह और सम्मान प्राप्त करने के लिए आदेश नहीं देना चाहिए बल्कि उन्हें इसके योग्य बनना चाहिए।

इसलिए, शिक्षक हमारे भविष्य के आधारस्तंभ हैं और वे हमें जिम्मेदार नागरिक और अच्छा मनुष्य बनाने के लिए नींव के रूप में काम करते हैं| यह दिन हमारे विकास की दिशा में हमारे शिक्षकों द्वारा की गयी कड़ी मेहनत के प्रति आभार एवं सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। 

शिक्षक दिवस 2020 पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में 

शिक्षक दिवस 2020: इतिहास, महत्व और अन्य तथ्य

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म वर्ष 1888 में आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों की सीमा के पास मद्रास प्रेसीडेंसी में एक मध्यम वर्गीय तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे वीर समय्या के दूसरे पुत्र थे, जो पेशे से तहसीलदार थे| उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र विषय में स्नातक किया था और M.A में "वेदांत और उसकी आध्यात्मिक पूर्वधारणाएं” विषय पर शोधपत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने वेदांत प्रणाली की नैतिकता के महत्व का वर्णन किया था| उनके प्रमुख कार्यों में से एक भारतीय दर्शन को “शैक्षणिक दृष्टि से विशिष्ट शब्दावली” के रूप में अनुवादित करना है जो पाश्चात्य मानकों के अनुसार दर्शन कहलाने योग्य है| इसलिए उन्हें भारतीय दर्शन के क्षेत्र में बहुत सम्मान प्राप्त था| उन्हें 1931 में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए गठित राष्ट्रों की समिति के लिए भी नामांकित किया गया था| 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो डॉ. राधाकृष्णन ने यूनेस्को में भारत का प्रतिनिधित्व किया और 1949 से 1952 तक वे सोवियत संघ में भारत के राजदूत थे| उन्हें भारत की संविधान सभा के लिए भी निर्वाचित किया गया था और बाद में वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और अंततः 1962-67 तक भारत के राष्ट्रपति रहे| उन्हें 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया और उनकी स्मृति में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने राधाकृष्णन चेवेनिंग छात्रवृत्ति और राधाकृष्णन मेमोरियल पुरस्कार की शुरूआत की। उन्हें 1961 में जर्मन बुक ट्रेड के शांति पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

आश्चर्य की बात यह है कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे बहुत ही विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे और आप जानते हैं कि उनके कार्यकाल में ही राष्ट्रपति भवन को सभी के लिए खोला गया था और समाज के प्रत्येक वर्ग के लोग उनसे मिल सकते थे| वे अपने वेतन के रूप में मिलने वाले 10,000 रुपये में से केवल 2500 रुपये स्वीकार करते थे और हर महीने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में शेष राशि दान कर देते थे| 17 अप्रैल 1975 को डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन हो गया था|

वर्तमान समय में भी छात्र उत्सुकतापूर्वक शिक्षक दिवस का इंतजार करतें हैं और अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान की भावना के साथ इस तिथि को मनाते हैं| इस अवसर पर विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मान समारोह एवं मनोरंजन के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, जिसमे छात्र-छात्राएं बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और नृत्य, गायन एवं अभिनय के माध्यम से शिक्षकों को सम्मान देते हैं एवं उनका आभार प्रकट करते हैं|

छात्र-छात्राएं अपने पसंदीदा शिक्षकों के लिए उपहार लाते हैं| यह दिन शिक्षकों के लिए भी बहुत विशेष होता है, क्योंकि इस दिन उन्हें पता चलता है कि उनके शिष्य उन्हें कितना प्यार और सम्मान देते हैं|

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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