भारत की सबसे लंबी नदी गंगा है, जो कि उत्तराखंड में गोमुख से निकलकर 2525 किलोमीटर की यात्रा पूरी करते हुए बंगाल की खाड़ी में समा जाती है। इस दौरान यह नदी भारत के विभिन्न राज्यों से होते हुए उनके लिए पीने के पानी से लेकर कृषि के लिए पानी का प्रमुख स्त्रोत बनती है।
हिंदु धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र माना गया है और यह लोगों की आस्था का केंद्र है। पहाड़ों से लेकर बंगाल की खाड़ी तक यह नदी अकेले यात्रा नहीं करती है, बल्कि इसमें कई नदियां मिलकर इस जल को प्रवाहित होने में मदद करती हैं, जिन्हें इसकी सहायक नदियां कहा जाता है।
इन नदियों का उद्गम स्थल भी अलग-अलग है। हालांकि, क्या आपको पता है कि गंगा की सहायक नदियां कौन-सी हैं। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम के हम गंगा की सहायक नदियों के बारे में जानेंगे।
यमुना नदी
सबसे पहले हम गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी के बारे में जान लेते हैं, तो आपको बता दें कि यह यमुना नदी है। यमुना नदी उत्तराखंड में बंदरपूंछ ग्लेशियर से निकलकर हरियाणा और दिल्ली होते हुए उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में बाएं ओर से गंगा में जाकर मिल जाती है।
इसके साथ ही आपको बता दें कि प्रयागराज शहर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ शहर कहा जाता है। यमुना नदी की कुल लंबाई 1376 किलोमीटर है, जिसमें यह 22 किलोमीटर की दूरी दिल्ली में पूरी करती है। ऐसे में यह इकलौती नदी है, जो कि दिल्ली में बहती है और दिल्ली को यमुना के किनारे बसा हुआ शहर कहा जाता है।
रामगंगा नदी
रामगंगा नदी हिमालय पर्वत के दक्षिण भाग नैनिताल के पास से निकलकर उत्तरप्रदेश में बिजनौर से प्रवेश करती है। इस राज्य में बहने के दौरान यह नदी कन्नौज में जाकर गंगा नदी से जाकर मिल जाती है।
सरयू नदी
सरयू नदी, जिसे करनाली नदी भी कहा जात है, हिमालय के हिमनद से निकलकर उत्तरप्रदेश के अयोध्या में होते हुए बहती है और उत्तरप्रदेश के सबसे पूर्वी जिले यानि बलिया में जाकर गंगा नदी से मिल जाती है।
आपको बता दें कि इस नदी को पर्वतों में कौरीयाला और मैदानों में सरयू नदी कहा जाता है।
गंडक नदी
गंडक नदी हिमालय से निकलने के बाद नेपाल में शाग्रामी नाम से बहती है और मैदानों में पहुंचने के बाद इसे नारायणी उपनाम से जाना जाता है, जो कि काली गंडक और त्रिशुल नदी के जल के साथ सोनपुर के पास गंगा में जाकर मिल जाती है।
कोसी नदी
कोसी नदी हिमालय से निकलती है, जिसके बाद यह बिहार में प्रवेश कर जाती है। इस नदी को बिहार का शोक भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें बाढ़ आने से बिहार की काफी नुकसान होता है।
हालांकि, इसकी मुख्यधारा अरूण नदी है, जो कि गोंसाई धाम के उत्तर से निकलती है। यह नदी ब्रह्मापुत्र नदी के बेसिन में यारू नदी से मिलती है, जिसके बाद यह कंचनजंगा पर्वत श्रेणी से होते हुए दक्षिण भाग में बहती है। यहां बहने पर पश्चिम से सूनकोसी और पूर्व से तामूर कोसी इसमें मिल जाती हैं।
इन नदियों के मिलने के बाद यह नदी शिवालिक पर्वत श्रेणी को पार करते हुए मैदानों में उतरती है, जहां इसे कोसी नदी कहा जाता है। बिहार राज्य में बहते हुए यह नदी गंगा में मिल जाती है।
सोन नदी
सोन नदी अमरकंटक की पहाड़ियों से निकलकर पटना में गंगा नदी में मिलती है।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation