भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है, क्योंकि अधिकांश आबादी कृषि क्षेत्र में सक्रिय है। यही वजह है कि दुनिया में अधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में भारत खाद्यान के क्षेत्र में निर्भर न होकर अपनी जरूरत के अनाज का उत्पादन खुद कर रहा है। इस कड़ी में भारत के अलग-अलग राज्यों में आपको अलग-अलग प्रकार की फसलें देखने को मिल जाएंगी, जिनसे विभिन्न प्रकार के खाद्यान प्राप्त किया जाता है। हालांकि, इन फसलों को उगने के लिए अलग-अलग प्रकार की मिट्टी की भी जरूरत होती है, जो फसलों को सही पोषण देकर उन्हें उगने में मदद करती है। आपने बचपन में अपनी किताबों में भारत में पाई जाने वाली मिट्टी के बारे में पढ़ा होगा। क्या आपको पता है कि भारत में कितने प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम यह जानेंगे।
भारत में कितने प्रकार की मिट्टी पाई जाती है
भारत में कुल 8 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है, जिनकी उर्वरक क्षमता अलग-अलग है। इसमें जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, लाल और पीली मिट्टी, जंगली मिट्टी, मरू मिट्टी, लैटेराइट मिट्टी, नमकीन मिट्टी और पीट मिट्टी शामिल है।
जलोढ़ मिट्टी(Alluvial Soil)
जलोढ़ मिट्टी वह मिट्टी होती है, जो कि बहते हुए पानी के साथ जमा होती है। यह भुरभुरी और ढीली मिट्टी होती है, जिसके कण आपस में नहीं चिपकते हैं। यह मिट्टी आमतौर पर कई कणों से मिलकर बनी होती है, जिसमें गाद(सिल्ट), बालू और बजरी के कई बड़े और छोटे कण होते हैं। इस मिट्टी को अक्सर नदियों के किनारे देखा जा सकता है।
काली मिट्टी(Black Soil)
यह भारत की मिट्टियों में अलग मिट्टी होती है, जिसे रेगुर भी कहा जाता है। इस मिट्टी में नाइट्रोजन, पोटास और ह्यूमस की कमी होती है। इसके साथ ही इसे काली कपास की मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि, इस मिट्टी में कपास की खेती अधिक होती है। भारत में यह मिट्टी आपको महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में देखने को मिल जाएगी। यह मिट्टी जल को अधिक सोख लेती है, वहीं सूखने पर इस मिट्टी में दरारें पड़ जाती हैं। वहीं, इस मिट्टी का निर्माण दक्कन ट्रैप के लावा चट्टानों के फूटने से हुआ था। ऐसे में इस मिट्टी को लावा मिट्टी भी कहा जाता है।
लाल मिट्टी(Red Soil)
यह मिट्टी शुष्क वातावरण के चट्टानों के टूटने से बनती है और पानी के संपर्क में पीली दिखती है। इस मिट्टी में आपको लोहा, चूना और एल्यूम्यूनियम अधिक मिल जाएगा। यह मिट्टी बाजरे की फसल के लिए अधिक उपयोगी बताई जाती है। इसके अलावा कपास के लिए भी यह मिट्टी उपयोगी है। भारत में यह मिट्टी आपको राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, तमिलनाडू और महाराष्ट्र में देखने को मिल जाएगी।
जंगली मिट्टी
जंगली मिट्टी भारत के वनक्षेत्र में पाई जानी वाली मिट्टी है। आपको यह मिट्टी अधिक वर्षा वाले वनों में देखने को मिल जाएगी। घाटी के किनारों पर इस मिट्टी के बड़े कण देखने को मिलते हैं।
मरू मिट्टी(Aridisol)
यह मिट्टी पूरी तरह से शुष्क मिट्टी होती है, जो कि शुष्क वातावरण में होती है। रेगिस्तानी इलाकों में आपको इस प्रकार की मिट्टी देखने को मिल जाएगी, वहीं, धरती का अधिकांश भाग इसी मिट्टी से बना है।
लैटेराइट मिट्टी
लैटेराइट मिट्टी लैटेराइट चट्टानों से फूटकर बनी होती है, जो कि चौरस ऊंची भूमियों पर मिलती है। इस मिट्टी में एल्यूम्यूनियम, लोहा और चूना अधिक मिलता है। वहीं, गहरी लैटेराइट मिट्टी में पोटाश और आइरन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होती है। भारत में यह तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में मिल जाएगी।
नमकीन मिट्टी
नमकीन मिट्टी में नमक की मात्रा अधिक होती है, हालांकि यह फसलों के लिए अच्छा नहीं है। क्योंकि, मिट्टी में नमक अधिक होने की वजह से फसलों पर प्रभाव पड़ता है। इस मिट्टी को कल्लर मिट्टी भी कहा जाता है, जिसमें नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है।
पीट मिट्टी
पीट मिट्टी को जैविक मिट्टी भी कहा जाता है, जो कि दलदली मिट्टी होती है। यह मिट्टी आपको उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और केरल में देखने को मिल जाएगी। इस मिट्टी में फॉसफॉरस और पोटाश की मात्रा अधिक नहीं होती है।
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