उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण को लेकर एंपावर्ड कमेटी द्वारा मंजूर पीपीपी मॉडल पर सवाल उठाए हैं. परिषद का कहना है कि इस मॉडल के तहत निजी कंपनियों को भारी-भरकम सब्सिडी और सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे केवल निजी घरानों को लाभ होगा.
परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप लगाया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एंपावर्ड कमेटी ने नई कंपनियों को पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) आवंटित करने का जो तरीका अपनाया है, वह निजी घरानों को बड़ा फायदा पहुंचाने वाला है. तय किया गया है कि अगले दो वर्षों तक पावर कारपोरेशन नई कंपनियों को नियामक आयोग द्वारा तय बल्क सप्लाई टैरिफ (बीएसटी) पर बिजली उपलब्ध कराएगा.
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कंपनियों को मिल रही सस्ती बिजली:
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निजी कंपनियों को भारी सब्सिडी और रियायती दरों पर बिजली देने के फैसले पर कड़ा विरोध जताया है-
- चालू वित्तीय वर्ष में पावर कारपोरेशन 77,315 करोड़ रुपये से लगभग 1,41,245 मिलियन यूनिट बिजली खरीदेगा.
- पूर्वांचल डिस्कॉम को 5.21 रुपये प्रति यूनिट और दक्षिणांचल डिस्कॉम को 5.45 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जाएगी.
- कानपुर की केस्को को 6.51 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी, जो सबसे महंगी है.
- पश्चिमांचल डिस्कॉम को 5.65 रुपये और मध्यांचल को 5.40 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली उपलब्ध होगी.
भारी सब्सिडी का प्रावधान:
सरकार नई कंपनियों को लगभग 9,061 करोड़ रुपये की सब्सिडी भी देगी. वर्मा ने कहा कि इस निर्णय से स्पष्ट है कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल की कंपनियां सस्ती बिजली खरीदेंगी, जिससे निजी कंपनियों को अप्रत्याशित लाभ होगा.
आंदोलन को तेज करेगा एसोसिएशन:
जागरण.कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, दो डिस्कॉम के प्रस्तावित निजीकरण का विरोध कर रहा पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन अब अपने आंदोलन को और तेज करेगा. शुक्रवार को एसोसिएशन की वर्चुअल बैठक में आंदोलन की अब तक की समीक्षा की जाएगी और आगामी रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा.
निजीकरण पर गहराता विरोध:
परिषद ने सरकार से मांग की है कि एंपावर्ड कमेटी द्वारा मंजूर पीपीपी मॉडल को तुरंत निरस्त किया जाए, जिससे उपभोक्ताओं और सरकारी संपत्ति का संरक्षण सुनिश्चित हो सके.
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