Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया है. यह रेस्क्यू ऑपरेशन पिछले 17 दिनों से चल रहा है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर पूरे देश की नजर लगी हुई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस ऑपरेशन की पल-पल की अपडेट ले रहे थे. यह मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशनों में से एक है. रेस्क्यू में लगी अमेरिकी ऑगर मशीन भी फेल हो गयी जिसके बाद ऑपरेशन को लीड कर रहे लोगों ने 'रैट माइनिंग' का सहारा लिया.
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 'रैट होल माइनिंग' शब्द इस समय काफी चर्चा में आ गया था. चलिये जानने की कोशिश करते है कि रैट होल माइनिंग' क्या है और इसका उपयोग कब और कहा किया जाता है. बचावकर्मियों ने बार-बार आ रही बाधाओं को देखते हुए 'रैट माइनिंग' का उपयोग किया जा रहा है.
'रैट माइनिंग' क्या है?
कोयलों की खदानों में संकरे गड्ढों से कोयला निकालने के लिए इस तरह की माइनिंग काफी प्रचलित है. मेघालय में रैट होल ड्रिलिंग दुनिया में काफी फेमस है. इस तरह की माइनिंग में चूहों की तरह खुदाई की जाती है इसलिए इसे 'रैट माइनिंग' (Rat Mining) नाम दिया गया है.
'रैट माइनिंग' में माइनर रस्सियों या बांस की सीढ़ियों की सहायता से गड्ढों के अंदर जाते है और हाथों के औजार जैसे गैंती, फावड़े की मदद से खुदाई करते है. ऑगर मशीनों के बार-बार फेल हो जाने के बाद इसे 'रैट माइनिंग' ही आखिरी विकल्प बचा था. रैट होल ड्रिलिंग एक मैन्युअल ड्रिलिंग विधि है जो मेघालय में सबसे आम है.
दो तरीकों से होती है रैट होल ड्रिलिंग:
रैट होल ड्रिलिंग दो प्रकार से की जाती है, पहले तरीके में साइड कटिंग की जाती है और बाद में बॉक्स कटिंग ऑपरेशन चलाया जाता है. साइड कटिंग के तहत संकरी सुरंग तैयार की जाती है. वहीं बॉक्स कटिंग के तहत वर्टिकल ड्रिलिंग की जाती है.
रैट-होल ड्रिलिंग हमारे पर्यावरण के लिए एक खतरा है जिस कारण एनजीटी ने इस पर रोक लगा रखी है. कभी कभी इस तरह की माइनिंग से खदानें अनियमित होकर ढह जाती है और इसमें फंसकर मजदूरों की मौत भी हो जाती है.
सुरंग में पाइप डालने का काम पूरा:
अभी की लेटेस्ट अपडेट के अनुसार, सुरंग में पाइप डालने का पूरा हो गया है. इसके बारें में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पल-पल की खबर ले रहे है. उन्होंने टनल से जुड़ी हर एक अपडेट ले रहे है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से इसकी जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि शीघ्र ही सभी श्रमिक भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा.
बाबा बौख नाग जी की असीम कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है। शीघ्र ही सभी श्रमिक भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 28, 2023
कैसे निकाले गए श्रमिक?
इसके लिए पहले बोरिंग मशीन के माध्यम से वर्टिकल ड्रिलिंग की गयी है. इसके बाद मैन्युअल ड्रिलिंग की मदद से मिट्टी और मलबे को हटाया गया. इसके बाद इसमें 800 मिमी का पाइप डाला गया है. इसके बाद बचाव अभियान तेज हुआ और श्रमिक भाइयों को बाहर निकाला गया.
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