वीर चक्र: भारत का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार

Jan 18, 2019, 17:37 IST

स्वतंत्रता के पश्चात, भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी, 1950 को तीन वीरता पुरस्कार जिनके नाम हैं; परम वीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र प्रारंभ किए थे, जिन्हें 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था. वीरता के लिए दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार परमवीर चक्र है जबकि वीर चक्र तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है. वीर चक्र की शुरुआत 26 जनवरी 1950 को हुई थी.

Vir Chakra Award
Vir Chakra Award

स्वतंत्रता के पश्चात, भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी, 1950 को तीन वीरता पुरस्कार जिनके नाम हैं; परम वीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र प्रारंभ किए थे, जिन्हें 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था. वीरता के लिए दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार परमवीर चक्र है जबकि वीर चक्र तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है.

भारत सरकार ने शुरुआत में वीरता के क्षेत्र के लिए तीन वीरता पुरस्कार घोषित किये थे.

1. परमवीर चक्र,

2. महावीर चक्र

3. वीर चक्र

ये पुरस्कार 26 जनवरी, 1950 को भारत सरकार द्वारा स्थापित किए गए थे, जिन्हें 15 अगस्त, 1947 से प्रभावी माना गया था.

भारत सरकार द्वारा दिनांक 4 जनवरी, 1952 को अन्य तीन वीरता पुरस्कार; अशोक चक्र श्रेणी–I, अशोक चक्र श्रेणी-II और अशोक चक्र श्रेणी-III प्रारंभ किए गए थे और जनवरी, 1967 में इनके नाम बदलकर क्रमशः अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र कर दिए गये थे.

भारत द्वारा प्रदान किए जाने वाले वीरता पदकों की सूची

ये वीरता पुरस्कार वर्ष में दो बार घोषित किए जाते हैं

a. गणतंत्र दिवस के अवसर पर b. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर

इन पुरस्कारों का वरीयता क्रम इस प्रकार है; परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र है. वीरता के लिए दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरस्कार परमवीर चक्र है इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार महावीर चक्र है और तीसरे नम्बर पर वीर चक्र आता है. ध्यान रहे कि शांति के समय दिया जाने वाला सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार अशोक चक्र है.

वीर चक्र के बारे में

वीर चक्र (VrC) भारत में तीसरा सबसे बड़ा सैन्य अवार्ड है और इसे दुश्मन के खिलाफ थल, जल और नभ में असाधारण प्रतिभा दिखाने के लिए दिया जाता है. इस अवार्ड की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गई थी. इस आवर्ड को मरणोपरांत भी दिया जा सकता है. अब तक यह अवार्ड 1322 वीरों को दिया जा चुका है जिसमें 958 लोगों को मरणोपरांत दिया गया है.

वीर चक्र की संरचना:

1. गोलाकार और स्टैण्डर्ड सिल्वर निर्मित है और इसके अग्रभाग पर पांच कोनों वाला उभरा हुआ तारा उत्कीर्ण किया गया है जिसके कोने गोलाकार किनारों को छू रहे हैं.

2. इसके केंद्र भाग में राज्य का प्रतीक (अशोक चिन्ह) उत्कीर्ण है जो उभरा हुआ है. तारा पॉलिश किया हुआ है और केन्द्र भाग स्वर्ण-कलई में है.

Vir Chakra

Image source:Indianetzone

3. इसके पिछले भाग पर हिन्दी और अंग्रेजी शब्दों के बीच में दो कमल के फूलों के साथ हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में वीर चक्र उत्कीर्ण किया गया है.

वीर चक्र का फीता या पट्टी:  फीता आधा नीला रंग और आधा नारंगी रंग का होता है.

बारः यदि कोई वीर चक्र विजेता दुबारा कोई बहादुरी का कार्य करता है और उसे दुबारा वीर चक्र मिलता है तो उसके मेडल में वीर चक्र का एक और फीता जोड़ दिया जाता है.

ध्यान रहे कि दुबारा वीर चक्र जीतने वाले को दुबारा पेंशन भी दी जाएगी. जैसे अभी एक वीर चक्र विजेता को 7000 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं लेकिन यदि कोई 2 बार इस मेडल को जीत लेता है तो उसे 14 हजार रुपये प्रति माह मिलेंगे. 

निम्नलिखित श्रेणियों के लोग वीर चक्र के लिए पात्र होंगे:-

1. सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी रैंकों के अधिकारी, पुरुष और महिलाएं, प्रादेशिक सेना, रिजर्व बल और किसी अन्य विधिवत सशस्त्र बलों के गठन के लोगों को दिया जा सकता है.

2. मुख्य नर्स, सिस्टर्स, नर्सों और नर्सिंग सेवाओं के कर्मचारियों और अस्पतालों में अन्य सेवाओं से संबंधित लोगों, किसी भी लिंग के नागरिकों या नियमित या अस्थायी रूप से कार्यरत उपर्युक्त सुरक्षा बलों में से किसी से भी सम्बंधित व्यक्ति को इस अवार्ड के लिए युद्ध क्षेत्र में बहादुरी दिखाने के लिए चुना जाता है.

मौद्रिक भत्ता: इस पुरस्कार को जीतने वाले जाबांज सैनिक या उसके आश्रित को हर माह रु. 7,000  दिए जाते हैं. यह बढ़ी हुई राशि 1 अगस्त, 2017 से दी जा रही है. इससे पहले यह राशि केवल 3500 रुपये प्रति माह थी.

वीरता पुरस्कार विजेताओं को अपनी राज्य सरकारों से एकमुश्त नकद पुरस्कार या भूखंड भी मिलते हैं, लेकिन वे राज्य दर राज्य  भिन्न-भिन्न होते हैं. जैसे परमवीर चक्र पुरस्कार के लिए पंजाब और हरियाणा सरकार के द्वारा 2 करोड़ रुपये जबकि अशोक चक्र के लिए इन दोनों राज्यों में 1 करोड़ रुपये दिए जाते हैं.

हिमाचल प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, मिजोरम और बिहार में अशोक चक्र और परमवीर चक्र के लिए 8 लाख से 50 लाख रुपये के बीच दिए जाते हैं और गुजरात में परमवीर चक्र के लिए 22,500 रुपये और अशोक चक्र के लिए 20,000 रुपये दिए जाते हैं.

निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि युद्ध के मैदान में मारे गये व्यक्ति की जिंदगी की कोई कीमत नहीं लगायी जा सकती है. हाँ उस जाबांज के मरने के बाद उसका परिवार आर्थिक रूप से परेशान ना हो इसके लिए मुआवजे के तौर पर दी गयी राशि घाव पर मलहम का काम जरूर करती है.

लेकिन वास्तविकता यह है कि सैनिक मर जाता है तो उसके परिवार को मुआबजा लेने के लिए दफ्तरों के चक्कर खाने पड़ते है, रिश्वत देनी पड़ती है. इसलिए सरकार को शहीद सैनिक के पीड़ित परिवार के खाते में सहायता राशि सीधे उसी के खाते में डालनी चाहिए ताकि उस शहीद के परिवार के प्रति वास्तविक सम्मान दिखाया जा सके.

भारत में वीरता पुरस्कार विजेताओं को कितना मौद्रिक भत्ता मिलता है?

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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