जानें सोने पर लगा हॉलमार्क क्या दर्शाता है और यह क्यों अनिवार्य है?

Jun 17, 2021, 14:18 IST

भारत सरकार ने मंगलवार को 16 जून से सोने के आभूषणों की अनिवार्य हॉलमार्किंग को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की घोषणा की. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि सोने पर लगा हॉलमार्क आखिर क्या दर्शाता है और यह क्यों अनिवार्य है.

Hallmarking of gold jewellery
Hallmarking of gold jewellery

सरकार ने 16 जून, 2021 से भारत में सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है. यह भारत में स्वैच्छिक आधार पर सोने की हॉलमार्किंग की शुरुआत के दो दशक बाद हुआ है. पहले चरण में केवल 256 जिलों में गोल्ड हॉलमार्किंग उपलब्ध होगी और 40 लाख रुपये से अधिक वार्षिक टर्नओवर वाले ज्वैलर्स इसके दायरे में आएंगे. 

भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards, BIS) सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग को लागू करने के लिए नामित प्राधिकरण है और इस कदम से आभूषण व्यापार में पारदर्शिता लाने और उपभोक्ताओं के बीच विश्वास बढ़ाने की उम्मीद है.

सोने पर लगा हॉलमार्क क्या दर्शाता है?

यह BIS द्वारा जारी एक गुणवत्ता प्रमाण पत्र है जो एक निश्चित आभूषण में सोने की शुद्धता की गारंटी देता है. यह प्रमाण पत्र सभी पंजीकृत ज्वैलर्स को प्रमाणित केंद्रों पर शुद्धता परीक्षण के आधार पर जारी किया जाएगा.

14, 18 और 22 कैरेट सोने के आभूषणों पर हॉलमार्किंग की अनुमति दी गई है. अतिरिक्त कैरेट, 20, 23 और 24 में सोने को भी नियत समय में हॉलमार्किंग के लिए अनुमति दी जाएगी.

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कितने जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी गई है?

मंत्रालय के अनुसार "हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के आधार पर," यह निर्णय लिया गया है कि हॉलमार्किंग शुरू में देश के 256 जिलों से शुरू की जाएगी, जिनके पास परख अंकन केंद्र हैं."

ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि चूंकि शुरुआती मुद्दे शामिल हैं, इसलिए भारत में अनिवार्य हॉलमार्किंग को चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है. प्रारंभ में, इसे 256 जिलों में किया गया है, जिनमें परख अंकन केंद्र हैं.

हालांकि, मंत्रालय ने कोई तारीख नहीं दी है, जिससे शेष जिलों में अनिवार्य हॉलमार्किंग का अगला चरण शुरू होगा.

BIS की हॉलमार्किंग योजना के तहत, जौहरी को हॉलमार्क वाले आभूषण बेचने के लिए पंजीकृत होना आवश्यक है.

BIS परीक्षण और हॉलमार्किंग केंद्रों के लिए अधिकृत प्राधिकरण है. BIS (हॉलमार्किंग) विनियम 14 जून, 2018 से प्रभावी थे, लेकिन अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है. भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सोने की महत्वपूर्ण खपत होती है, जिसमें सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग नहीं थी.

भारत में हॉलमार्किंग के लिए किन धातु को कवर किया गया है और किन्हें छूट दी गई है?

सरकार ने 14 जून, 2018 को जारी एक अधिसूचना के माध्यम से दो श्रेणियों को अधिसूचित किया- सोने के आभूषण और सोने की कलाकृतियां; और चांदी के आभूषण और चांदी की कलाकृतियां- हॉलमार्किंग के दायरे में. इसलिए, भारत में हॉलमार्किंग केवल दो धातुओं सोना और चांदी के आभूषणों के लिए उपलब्ध है.

हालांकि, एक निश्चित श्रेणी के आभूषणों और वस्तुओं को हॉलमार्किंग की अनिवार्य आवश्यकता से छूट दी जाएगी.

40 लाख रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाले ज्वैलर्स को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी गई है.

उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार, "भारत सरकार की व्यापार नीति के अनुसार आभूषणों का निर्यात और पुन: आयात - अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों के लिए आभूषण, सरकार द्वारा अनुमोदित B2B घरेलू प्रदर्शनियों के लिए आभूषणों को अनिवार्य हॉलमार्किंग से छूट दी जाएगी."

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार घड़ियों, फाउंटेन पेन और विशेष प्रकार के आभूषण जैसे कुंदन, पोल्की और जड़ाऊ को हॉलमार्किंग से छूट दी जाएगी.

आइये अब जानते हैं कि हॉलमार्किंग क्यों अनिवार्य है?

हॉलमार्किंग उपभोक्ताओं/आभूषण खरीदारों को प्रामाणिक विकल्प चुनने और सोना खरीदते समय अनावश्यक भ्रम से बचाने में सक्षम बनाएगी.

वर्तमान में, केवल 30% भारतीय सोने के आभूषण हॉलमार्क हैं. यह उस वस्तु की खरीद प्रक्रिया में विश्वास लाता है जिसकी कीमत लगभग ₹50,000 प्रति 10 ग्राम है.

सरकार के अनुसार, सोने की स्पष्ट शुद्धता/सुंदरता के लिए तीसरे पक्ष के आश्वासन के माध्यम से प्रस्ताव पर माल की विश्वसनीयता और बिक्री प्रक्रिया के साथ-साथ ग्राहकों की संतुष्टि को बढ़ाने के लिए आभूषणों / कलाकृतियों की हॉलमार्किंग की आवश्यकता होती है.

उपभोक्ता संरक्षण एक अन्य प्रमुख प्राथमिकता है जिसे इस प्रक्रिया में पूरा किया जाएगा. सरकार का मानना है कि इस कदम से भारत को दुनिया में एक प्रमुख स्वर्ण बाजार केंद्र के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी.

क्या हॉलमार्किंग सभी ज्वैलर्स के लिए अनिवार्य है?

सरकार ने गोल्ड हॉलमार्किंग के कार्यान्वयन में अगस्त 2021 तक कोई जुर्माना नहीं लगाने का फैसला किया है ताकि पुराने गैर-हॉलमार्क स्टॉक से परेशान ज्वैलर्स और स्टॉकिस्टों को समय प्रदान किया जा सके. नवंबर 2019 में, सरकार के अनुसार 15 जनवरी, 2021 से सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी गई थी. फिर समय सीमा को 1 जून और फिर 15 जून, 2021 तक बढ़ा दिया गया था.

आइये अब इसके लिए कोई बुनियादी ढांचा उपलब्ध है या नहीं के बारे में जानते हैं

पिछले पांच वर्षों में भारत में परख और हॉलमार्किंग केंद्रों (Assaying & hallmarking centres A&H centres) की संख्या में 25% की वृद्धि हुई है. ऐसे केंद्रों की संख्या 454 से बढ़कर 945 हो गई है. 940 परख और हॉलमार्किंग केंद्र वर्तमान में संचालित हैं. इसमें से 84 केंद्र विभिन्न जिलों में सरकारी सब्सिडी योजना के तहत स्थापित किए गए हैं. ये केंद्र एक दिन में 1,500 आर्टिकल्स (Articles) की हॉलमार्किंग कर सकते हैं और इन केंद्रों की अनुमानित हॉलमार्किंग क्षमता प्रति वर्ष 14 करोड़ आर्टिकल्स है.

यहीं आपको बता दें कि वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, भारत में लगभग 4 लाख ज्वैलर्स हैं, जिनमें से केवल 35,879 को ही BIS-Certified किया गया है.

तो अब आप गोल्ड हॉलमार्किंग और इसकी जरूरत क्यों है के बारे में जान गए होंगे. साथ ही भारत में हॉलमार्किंग के लिए किन धातु को कवर किया गया है और किन्हें छूट दी गई है और किन जिलों में यह अनिवार्य किया गया है, इत्यादि.

Source: thehindu, indianexpress

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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