उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने(Cloudburst) से भारी तबाही हुई है। घटना में जान-माल का नुकसान हुआ है। यह पहली बार नहीं है, जब उत्तराखंड में बादल फटा है, बल्कि इससे पहले भी कई बार राज्य में बादल फट चुका है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर बादल फटना क्या होता है और इस तरह की घटनाएं पहाड़ी इलाकों में ही क्यों होती हैं। क्या है इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
बादल फटना क्या होता है
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिर बादल फटना क्या होता है। आपको बता दें कि जब किसी एक क्षेत्र में एक निश्चित अवधि में अधिक बारिश हो जाती है, तो उसे बादल फटना कहा जाता है। इससे एक ही जगह पर बारिश का अधिक पानी बरसता है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, यदि किसी 20 से 30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक घंटे के भीतर 100 मिमी बारिश होती है, तो उसे बादल फटना कहा जाता है।
बादल फटने का वैज्ञानिक कारण क्या है
बादल फटने की घटना मुख्य तौर पर कपासी वर्षा बादल (Cumulonimbus Cloud) के कारण होती है। हवा जब गर्म होती है, तो वह ऊपर की ओर उठती है और अपने साथ नमी भी ले जाती है। ऊपर पहुंचने पर यह ठंडी हो जाती है, जिससे नमी पानी की बूंदों में बदल जाती है। इन बूंदों के मिश्रण से वातावरण में कपासी वर्षा बादल बनते हैं, जो कि एक प्रकार का बड़ा और वर्टिकल बादल होता है।
इसमें पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है। बादल का निचला हिस्सा, जब गुरुत्वाकर्षण की वजह से पानी का भार सह पाता है, तो एक ही जगह पर अधिक पानी बरसता है, जो कि बारिश की बड़ी बूंदे होती हैं। इससे कम समय में बहुत अधिक बारिश हो जाती है, जिसे बादल फटना कहा जाता है।
पहाड़ी इलाकों में क्यों फटते हैं बादल
पहाड़ी इलाकों में जब नमी भरी गर्म हवाएं ऊपर की ओर उठती हैं, तो ऊपर ठंडी हवा से मिलती हैं, जिससे तेजी से नमी पानी का रूप लेती है और इससे बादल का आकार भी बड़ा होता है। वहीं, ऊंची-ऊंची पहाड़ी होने की वजह से बादल आगे बढ़ने से रूकते हैं, जिससे एक ही स्थान पर अधिक नमी जमा होती है और बादल में पानी का भार बढ़ता है।
वहीं, जब हवा अपना रूख बदल लेती है या हवा का बहाव कम होता है, तो पानी का अधिक वजन होने के कारण बादल पानी को छोड़ देते हैं और पहाड़ी इलाका होने की वजह से अधिक पानी नीचे की ओर तेजी से बढ़ता है, जिससे जान-माल का अधिक नुकसान होता है। इस तरह की घटनाएं हमें जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम समेत अन्य पहाड़ी राज्यों में देखने को मिलती हैं।
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