रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की हाल की तिब्बत यात्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत सीमा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है क्योंकि इन इलाकों में सड़क, बिजली और अन्य रक्षा संसाधनों की कमी ने चीन को इस बात का मौका दे दिया है वह इस क्षेत्र में निर्माण कार्य करवाकर अपना दबदबा बढ़ा ले. ज्ञातव्य है कि भारत चीन के साथ 4,057 लम्बी सीमा साझा करता है.
चीन की सलामी स्लाईसिंग योजना क्या है?
पड़ोसी देशों के खिलाफ छोटे, गुप्त सैन्य संचालन जो कि लम्बे समय तक चलते रहने के कारण बड़े सैन्य लाभ में मददगार होते हैं. ये मिलिटरी ऑपरेशन इतने छोटे होते हैं कि इन्हें युद्ध का नाम नही दिया जाता है लेकिन इन आपरेशनों का परिणाम युद्ध जैसे ही होते हैं. ये ऑपरेशन छोटे होने के कारण ज्यादा सुर्खियाँ नही बटोरते हैं.
इसके साथ ही ये पडोसी देश को इतना मौका नही देते हैं कि वह उनका विरोध करे. विरोध ना करने का सबसे बड़ा कारण यह होता है कि पडोसी देश इन छोटे मोटे निर्माण कार्यों या गतिविधियों की ओर ध्यान ही नही देता है क्योंकि हाल फ़िलहाल इनसे कोई खतरा नजर नही आता है. लेकिन एक लम्बे समय के बाद इस तरह की “सलामी स्लाईसिंग योजना” इस योजना को चलने वाले देश के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध होने के साथ साथ अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक ध्यान भी खींचती है. चीन भी इसी तरह की योजना भारत के खिलाफ अपना रहा है.
Image souirce:Tibet Digital Times
चीन ने अपने सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास कर लिया है जबकि भारत की तरफ के इलाके में बुनियादी ढांचा खराब है जो कि भारतीय सेना के लिए एक बाधा बन जाता है. यही कारण है कि चीन भारत के सीमावर्ती इलाके में आसानी से घुसपैठ करता रहता है. आगे आने वाले समय में चीन की “सलामी स्लाईसिंग योजना” भारत सहित अन्य पड़ोसी देशों के मामले में रक्षा क्षेत्र में बहुत ही निर्णायक भूमिका निभाएगी.
चीन ने पूरे तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में रेलवे लाइनों, राजमार्गों, धातु की सड़कों, हवाई अड्डों, रडार, रसद केन्द्रों और अन्य बुनियादी ढांचे का एक व्यापक नेटवर्क बनाया है, जिसमें 30 से अधिक डिवीजनों (प्रत्येक में 15,000 से अधिक सैनिक) को बनाए रखने और पांच से छह "तीव्र प्रतिक्रिया बल" (rapid reaction forces) की टीमों के रहने की व्यवस्था है. इस प्रकार चीन “सलामी स्लाईसिंग योजना” के माध्यम से भारत को उत्तरी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में घेरने की कोशिश कर रहा है.
चीन का 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स प्रोजेक्ट' भारत की सुरक्षा को कैसे प्रभावित करेगा?
चीन के इतने व्यापक विकास के बावजूद भारत ने 15 सालों में “प्रोजेक्ट 73” के तहत कुल 27 सड़कें (जो कि केवल 963 किमी. क्षेत्र को कवर करती हैं) ही बनाई हैं जबकि 4,643 किमी. सड़क बनायीं जानी थी. इसके अलावा, लंबे समय से प्रस्तावित पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों के लिए 14 "रणनीतिक रेलवे लाइनों" का निर्माण अभी तक यहां शुरू नही हुआ है.
सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र को धीरे-धीरे हथियाने की चीन की रणनीति पर ध्यान दिया और चीन को चेतवानी देते हुए कहा कि भारत की शांतिप्रिय देश की छवि को भारत के डरपोक होने के सबूत के तौर पर नही लिया जाना चाहिए. भारत की सेना अपनी सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है. सेना प्रमुख ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में पर्याप्त बुनियादी ढांचा विकसित कर भारत चीन कि घुसपैठ को रोकने में काफी हद तक सफल हो सकता है.
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