जानें किन देशों के पास नहीं है अपनी Army और क्यों

May 24, 2023, 17:32 IST

किसी भी देश को बाहरी हमलों से बचने के लिए आर्मी का अधिक महत्व होता है, जो कि दिन-रात सरहद पर डटकर दुश्मनों पर नजर रखती है। वहीं, जरूरत पड़ने पर उन्हें मुंहतोड़ जवाब भी देती है। हालांकि, क्या आपको ऐसे देश पता हैं, जिनके पास अपनी आर्मी नहीं है। 

बिना आर्मी वाले देश
बिना आर्मी वाले देश

देश को बाहरी दुश्मनों से सुरक्षित रखने के लिए हमें बल की आवश्यकता पड़ती है, जिसकी कमी आर्मी पूरी करती है। आर्मी के जवान हर मौसम में रात-दिन सरहद पर खड़े होकर देश की सुरक्षा करते हैं। यही वजह है कि किसी भी देश की आर्मी को वहां की मजबूत शक्ति के रूप में माना जाता है। इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र के लिए भी अलग से बजट तैयार किया जाता है, जिसके माध्यम से देश रक्षा के क्षेत्र में अधिक उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर खुद को दुश्मनों के आगे और मजबूत बना सके। हालांकि, क्या आपको ऐसे देशों के बारे में पता है, जिनके पास अपनी आर्मी नहीं है। कौन-से हैं ये देश और क्या है आर्मी न होने की वजह, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।  

 

कोस्टा रिका

इस देश के पास साल 1949 में हुए सिविल वार के बाद से अपनी आर्मी नहीं है। हालांकि, इसके पास पब्लिक फोर्स है, जिसका काम देश में आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था का पालन कराना और वायु सतर्कता सेवा को बनाए रखना है। 

 

आइसलैंड

आइसलैंड के पास 1869 से अपनी आर्मी नहीं है। हालांकि, यह NATO का सक्रिय सदस्य है। वहीं, आइसलैंड के पास अपनी पुलिस व अन्य रिस्पांस टीम है। दरअसल, इस देश ने  अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका, नॉर्वे, डेनमार्क और अन्य नाटो सदस्यों के साथ समझौता किया हुआ है, जिसके तहत इन देशों ने आइसलैंड में अपना बेस बनाया हुआ है। 

 

मॉरिशस

इस देश के पास 1968 से कोई आर्मी नहीं है। हालांकि, मॉरिशस के पास अपनी मिलिट्री पुलिस है, जिसमें करीब 10,000 जवान काम करते  हैं, जिसमें 8,000 पुलिसकर्मी कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हैं, वहीं 1500 कर्मचारी स्पेशल मोबाइल फोर्स में हैं। 

 

मोनाको

इस देश के पास भी अपनी आर्मी नहीं है, बल्कि इस देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी फ्रांस की है। फ्रांस की ओर से यहां पर दो तरह की मिलिट्री यूनिट की व्यवस्था की गई है। वहीं, देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए यहां पर मिलिट्री पुलिस है। 

 

पनामा

पनामा ने 1990 में अपनी आर्मी को समाप्त कर दिया था, जिसके लिए 1994 में संविधान में बदलाव भी किया गया था। हालांकि, यहां पर राष्ट्रीय पुलिस, राष्ट्रीय सीमा सेवा व शैक्षणिक सुरक्षा सेवा समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां हैं। 

 

वानूआतू

इस देश के पास भी अपनी आर्मी नहीं है। हालांकि, यहां पैरामिलिट्री फोर्स है, जिसे वानूआतू मोबाइल फोर्स के रूप में जाना जाता है। इस फोर्स की सहायता से आंतरिक सुरक्षा की जाती है। साथ ही इस फोर्स में काम  करने वाले सैनिकों की संख्या 300 है, जिसमे पुरुष और महिलाएं दोनों ही शामिल हैं। इन सैनिकों को सुरक्षा के लिहाज से छोटे हथियार भी उपलब्ध करवाए गए हैं। 



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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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