भारतीय रेलवे नेटवर्क के संदर्भ में एशिया में दूसरे स्थान पर है, जबकि विश्व में यह तीसरे पायदान पर है। रेलवे में प्रतिदिन 13 हजार से अधिक पैसेंजर ट्रेनों का संचालन होता है, जिनमें 2 करोड़ से अधिक यात्री यात्रा कर अपनी मंजिलों तक पहुंचते हैं। ये सभी ट्रेनें भारत के करीब 7500 रेलवे स्टेशनों से गुजरती हैं। ये सभी स्टेशन भारत के अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित हैं।
इनमें कुछ रेलवे स्टेशन और अपने आकार और महत्त्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति के लिए भी जाने जाते हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि भारत का वह कौन-सा रेलवे स्टेशन है, जिसे उत्तर भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
उत्तर भारत में कितने रेलवे जोन हैं
उत्तर भारत में अलग-अलग रेलवे जोन हैं। इनमें उत्तर रेलवे, उत्तर-मध्य रेलवे, उत्तर-पश्चिमी रेलवे और उत्तर-पूर्वी रेलवे शामिल है। इन रेलवे जोन में अकेले उत्तर रेलवे जोन में ही 1000 से अधिक रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
कौन-सा रेलवे स्टेशन है उत्तर भारत का प्रवेश द्वार
अब सवाल है कि किस रेलवे स्टेशन को उत्तर भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है, तो आपको बता दें कि यह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन है। इस स्टेशन को उत्तर भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है उत्तर भारत का प्रवेश द्वार
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। यहां से आपको देशभर के किसी भी कोने के लिए ट्रेन मिल जाएगी। वहीं, प्रमुख रूप से उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर व पंजाब से यहां अच्छी रेल कनेक्टिविटी है। उत्तर भारत में जाने वाली ट्रेनें अक्सर यहां से गुजरती हैं। यही वजह है कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को उत्तर भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
कब और किसने बनाया नई दिल्ली रेलवे स्टेशन
नई दिल्ली रेलवे स्टशन का निर्माण ब्रिटिश सरकार के समय में हुआ था। इस स्टेशन का निर्माण पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए किया गया था। इसे देखते हुए ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी ने पहाड़गंज और अजमेरी गेट के बीच 1926 में रेलवे स्टेशन बनाने की अनुमति दी। उस समय सिंगल प्लेटफॉर्म के साथ स्टेशन बना और 1931 में इसका उद्घाटन किया गया।
1956 में भारत के पहले राष्ट्रपति ने किया उद्घाटन
साल 1955 में रेलवे स्टेशन का पुनर्निमाण किया गया और 1956 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने स्टेशन के नए भवन का उद्घाटन किया।
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