किसी भी देश में नदियों का विशेष महत्त्व होता है। हालांकि, बात जब भारत की होती है, तो नदियों का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। क्योंकि, यहां नदियां सिर्फ पीने के पानी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यहां नदियों से लोगों की आस्थाएं भी जुड़ी हुई हैं।
यही वजह है कि यहां नदियों का मां का दर्जा दिया गया है। आपने भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा नदी के बारे में पढ़ा ही होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत की किस नदी को आदिवासियों का गंगा भी कहा जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
भारत में गंगा नदी का महत्त्व
भारत में गंगा नदी का आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व है। गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी के रूप में जाना जाता है। यही वजह है कि हर साल अलग-अलग अवसर पर गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
वहीं, गंगा नदी से मैदानी इलाकों में बड़े पैमाने पर कृषि होती है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलती है। दूसरी तरफ, गंगा नदी का सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि नदी किनारे कई सभ्यताओं का विकास हुआ और भारतीय पंरपरा में भी गंगा नदी का जिक्र मिलता है।
किस नदी को कहा जाता है आदिवासियों की गंगा
अब सवाल है कि आखिर किस नदी को आदिवासियों की गंगा कहा जाता है, तो आपको बता दें कि माही नदी को आदिवासियों की गंगा कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है आदवासियों की गंगा
माही नदी राजस्थान में बहने वाली प्रमुख नदियों में शामिल है। यह नदी यहां वागड़ क्षेत्र से होते हुए बहती है। राजस्थान का वागड़ आदिवासी आबादी के लिए भी जाना जाता है। ऐसे में आदिवासी आबादी की इस नदी पर अधिक निर्भरता और जुड़ाव है। यही वजह है कि इस नदी को आदिवासियों की गंगा भी कहा जाता है।
कर्क रेखा को दो बार काटने वाली एकमात्र नदी
आपको बता दें कि माही नदी पूरी दुनिया में इकलौती ऐसी नदी है, जो कि कर्क रेखा को दो बार काटती है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस नदी को लेकर सवाल पूछे जाते हैं।
कहां से निकलती है नदी
माही नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के धार जिले में मिण्डा गांव से होता है। यहां से निकलने के बाद यह नदी राजस्थान और गुजरात में बहते हुए खंबात की खाड़ी में जाकर गिर जाती है। इस दौरान यह कुल 583 किलोमीटर की यात्रा पूरी करती है।
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