भारत में किसी पुरुष का नाम लिखना हो, तो नाम के आगे ‘श्री’ लगाया जाता है। यह परंपरा नई नहीं है, बल्कि काफी पुरानी परंपरा है, जो कि वर्षों से चली आ रही है। वहीं, यदि महिलाओं का नाम लिखना हो, तो उस नाम के आगे ‘श्रीमती’ लगाया जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर नाम के आगे इन शब्दों को क्यों लगाया जाता है। क्या है इसके पीछे की कहानी, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
भारतीय संस्कृति और शिष्टाचार का हिस्सा
भारत में नाम से पहले ‘श्री’ या ‘श्रीमती’ लगाना एक आम बात नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का परिचायक होने के साथ-साथ सामाजिक शिष्टाचार का अहम हिस्सा है।
सम्मान का सूचक
पुरुषों के नाम के आगे ‘श्री’ लगाना आदर, सम्मान और पूजनीयता का भाव व्यक्त करता है। इसके अर्थ की बात करें, तो यह शुभ, समृद्धि और सौभाग्य से जुड़ा हुआ है। ऐसे में पुरुषों को आदर देने के लिए ‘श्री’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार महिलाओं के नाम के आगे ‘श्रीमती’ आदर और सम्मान का भाव दर्शाता है। ‘श्रीमती’ का अर्थ सौभाग्यवती, शुभ और समृद्धता से होता है।
वैवाहिक और लिंग की जानकारी
नाम के आगे ‘श्री’ लगाने से यह पता चल जाता है कि व्यक्ति पुरुष है या महिला है। वहीं, महिलाओं के संबंध में यह उनकी वैवाहिक स्थिति को दर्शाता है। अविवाहित महिलाओं के लिए ‘सुश्री’ और ‘कुमारी’ का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि एक सम्मानजनक शब्द है।
औपचारिकता और शिष्टाचार के लिए जरूरी
‘श्री’ और ‘श्रीमती’ शब्द का इस्तेमाल एक मानक शिष्टाचार के तौर पर किया जाता है। किसी भी व्यक्ति के सार्वजनिक और औपचारिक संचार के लिए इन शब्दों को नाम से पहले लगाया जाता है। वहीं, मती का अर्थ बुद्धि से होता है। ऐसे में श्री का अर्थ शुभ है, तो मती का अर्थ बुद्धि, जिससे एक यह एक शुभ संकेतक का काम करता है।
क्या है धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व
हिंदू धर्म में ‘श्री’ शब्द का इस्तेमाल देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है। आपने अक्सर देखा होगा कि हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के नाम से पहले ‘श्री’ शब्द लगाया जाता है। उदाहरण के तौर पर-’श्रीराम’ और ‘श्रीकृष्ण’ आदि। यह श्रद्धा और सम्मान के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में लोग व्यक्ति को सम्मान व आदर देने के साथ-साथ शुभता के प्रतीक के तौर पर उनके नाम के आगे ‘श्री’ और महिलाओं के नाम के आगे ‘श्रीमती’ का इस्तेमाल करते हैं।
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