सोना एक पीले रंग की धातु है जो काफी कीमती होती है. ये हम सब जानते हैं कि प्राचीन काल से ही सिक्के बनाने, गहने बनाने और धन के रूप में संग्रह के लिए इसका उपयोग किया जाता रहा है. भारत को 'सोने की चिड़िया' के नाम से भी जाना जाता है. सोना और कॉपर दो ऐसी धातु है जो सबसे पहले खोजी गई थी. सोने की शुद्धता को कैरट में मापा जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि बाकी अन्य धातुओं की तरह सोने में जंग क्यों नहीं लगता है.
सबसे पहले अध्ययन करते हैं कि जंग क्या होता है?
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है: जब धातुओं का संपर्क वायु व नमी से होता है तो उसकी सतह पर अवांछनीय पदार्थ जैसे ऑक्साइड, कार्बोनेट,सल्फेट, सल्फाइड आदि बन जाते है. इसे संक्षारण (corrosion) कहते हैं. जैसे लोहे पर जंग लगना, चांदी का काला पड़ना और कॉपर व पीतल की सतह पर हरे रंग की परत का बनना इत्यादि.
सोने में जंग क्यों नहीं लगता है?
- आवर्त सारणी यानी पीरियोडिक टेबल में सोना नोबल मेटल है जो रसायनिक रूप से निष्क्रिय है और प्राक्रतिक या औद्योगिक वातावरण में इसमें जंग नहीं लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि सोना वातावरण में ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है और यह धातु विकृत भी नहीं होती है. आयुर्वेद के अनुसार सोना बल और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है. हालांकि, सोना ऑक्साइड नहीं बनाता है क्योंकि यह कम से कम प्रतिक्रियाशील धातु है - इसे जमीन से अपने शुद्ध रूप में निकाला जाता है जबकि अन्य धातुओं को धातु अयस्क से धातु निकालने के लिए महंगी औद्योगिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है.
- यदि आभूषणों में सोने का कैरट ज्यादा हो तो, आभुष्ण कमजोर होने की संभावना कम हो जाती है. हम आपको बता दें कि कैरट सोने की शुद्धता परखने की एक इकाई है. इसके अनुसार जिस किसी वस्तु यानी गहना, सिक्का आदि में सोने की मात्रा 99.9% हो उसे 24 कैरट सोना माना जाता है. 18 कैरट वाले में 75%, 14 कैरट वाले में 58.5% और 10 कैरट सोने में 41.7% शुद्ध सोना होता है. बाकी का जो भाग होता है वो अकसर चांदी या अन्य धातुओं जैसे कि तांबे, निक्कल, लोहा इत्यादि का बना होता है. जिस गहने में सोना 14 या उससे कम कैरट का होता है, उसके कमजोर होने की संभावना ज्यादा हो जाती है.
- हम आपको बता दें कि सोना एकलौती ऐसी धातु है जिसका रंग पीला होता है. कुछ और धातुओं का रंग भी लगभग पीले रंग जैसा हो सकता है, परन्तु ये तभी हो सकता है जब इन धातुओं की क्रिया किसी विशेष रसायन से कराई जाए. सोना बहुत ही लचीली धातु होती है. मात्र 28 ग्राम सोने की लगभग 8 किलोमीटर लम्बी एक बहुत ही बारीक तार बनाई जा सकती है.
अंत में आपको बता दें कि भारत में सोने का उपयोग बहुत ही पहले से होता आया है. कुछ सोने के अवशेष मोहनजोदड़ों और हड़प्पा में मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि सोने का उपयोग उस समय गहनों के लिए होता था. सोने का औषधि के रूप में वर्णन 2300 वर्ष पहले लिखी गई चरकसंहिता में किया गया है. यहां तक कि चाण्क्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र में सोने की पहचान करने के उपाय, कहां से सोने को प्राप्त किया जा सकता है के उपाय और इसके उपयोगों के बारे में बताया गया है. इससे ज्ञात होता है कि भारत में उस वक्त स्वर्णकला का स्तर उच्च था.
तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि सोने में जंग इसलिए नहीं लगता है क्योंकि वातावरण में ये ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है, जिससे इसके ऊपर कोई परत नहीं बनती है जैसे की लोहे में बन जाती है. पसीने के कारण, इत्र, डिओडोरेंट और एसिड आधारित सफाई समाधानों के रिसाव के संपर्क में आने से सोना खराब हो सकता है.
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