जम्मू & कश्मीर; भारतीय संघ का एक महत्वपूर्ण राज्य है और इसको भारत के संविधान के भाग 1 तथा अनुसूची 1 में रखा गया है. ज्ञातव्य है कि जम्मू & कश्मीर का अपना संविधान है और इसका प्रशासन इसी के द्वारा चलाया जाता है अर्थात भारतीय संविधान का भाग VI इस राज्य पर लागू नहीं होता है.
जम्मू & कश्मीर के संविधान को बनने में कुल 5 वर्ष का समय लगा था. नवम्बर 17, 1956 को जम्मू & कश्मीर का संविधान अंगीकार किया गया तथा 26 जनवरी, 1957 को प्रभाव में आया था. भारत के अन्य राज्यों में जब शासन संविधान के अनुसार नहीं चलाया जाता है तो वहां पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है लेकिन जब जम्मू & कश्मीर में संविधान के अनुसार शासन नहीं चलता है तो वहां पर J&K के संविधान के सेक्शन 92 के तहत राज्यपाल शासन लगाया जाता है.
ज्ञातव्य है कि भारत के राष्ट्रपति को जम्मू & कश्मीर में वित्तीय आपातकाल घोषित करने का अधिकार नहीं है और तो और राष्ट्रपति, राज्य के संविधान को उसके दिए गए निर्देशों को ना मानने की स्थिति में विघटित भी नहीं कर सकता है.
जम्मू & कश्मीर में राष्ट्रपति शासन तो लगाया जा सकता है लेकिन यह आपातकाल राज्य के संविधान के अनुसार निर्धारित मशीनरी के विफल होने की दशा में ही लगाया जा सकता है ना कि भारत के संविधान के तहत निर्धारित मशीनरी के तहत. इसके अलावा यहाँ पर यदि राज्यपाल शासन को लगे हुए 6 महीने बीत जाते हैं तो फिर इस राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति से यहाँ पर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करता है. वर्तमान में जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मालिक ने 18 दिसम्बर को राष्ट्रपति से जम्मू & कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है क्योंकि इस राज्य में राज्यपाल शासन को लगे हुए 6 महीने बीत गए हैं.
आखिर जम्मू - कश्मीर के लोगों की भारत सरकार से क्या मांगें हैं?
इस प्रकार जम्मू & कश्मीर में दो तरीके से आपातकाल या राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है;
1. भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति शासन: सन 1964 से राज्य में राष्ट्रपति शासन को लागू किया जाने लगा है. इससे पहले यहाँ राज्य प्रशासन के विफल होने की दशा में केवल राज्यपाल शासन लागू होता था. जम्मू & कश्मीर में पहली बार राष्ट्रपति शासन 1986 में लगाया गया था.
2. राज्य संविधान के अंतर्गत राज्यपाल शासन: जब राज्य प्रशासन जम्मू & कश्मीर के संविधान के उपबंधों के अनुसार कार्य नहीं करता है.
राज्य में पहली बार राज्यपाल शासन 1977 में लागू किया गया था जो कि 26 मार्च, 1977 से शुरू होकर 9 जुलाई, 1977 तक कुल 105 दिन चला था. इस दौरान नेशनल कांफ्रेंस के शेख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री थे. कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के कारण नेशनल कांफ्रेंस सदन में अल्पमत में आ गई थी.
जम्मू & कश्मीर में सबसे लम्बा राज्यपाल शासन 6 साल 264 दिन चला था जब 19 जनवरी, 1990 को फारूक अब्दुल्ला ने इस्तीफा दे दिया था और यह संकट 9 अक्तूबर, 1996 तक चला था.
जम्मू & कश्मीर में आठवीं बार राज्यपाल शासन आज 20 जून 2018 से लगाया गया है जब बीजेपी ने पीडीपी से अपना समर्थन वापस ले लिया है. अब देखते हैं कि यह शासन कब तक चलता है.
तो इस प्रकार आपने पढ़ा कि जम्मू & कश्मीर में संवैधानिक स्थिति किस प्रकार भिन्न है और वहां पर राष्ट्रपति शासन की जगह राज्यपाल शासन क्यों लगाया जाता है.
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