15 अगस्त पर आगरा नहीं, दिल्ली के लाल किले से ही PM क्यों देते हैं भाषण, जानें इतिहास

हर साल 15 अगस्त पर लाल किले पर प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। इसके बाद वह देश को संबोधित करते हैं। यह एक पुरानी पंरपरा है, जो कि कई वर्षों से चली आ रही है। हालांकि, कभी आपने सोचा है कि आगरा में भी लाल किला है, लेकिन हर साल पीएम द्वारा दिल्ली के लाल किले पर ही स्वतंत्रता दिवस पर झंडा क्यों फहराया जाता है। क्या है इसके पीछे का इतिहास और महत्त्व, इस लेख में पढ़ें। 

Aug 7, 2025, 14:05 IST
लाल किले से ही पीएम क्यों देते हैं भाषण
लाल किले से ही पीएम क्यों देते हैं भाषण

भारत को अंग्रेजों से आजादी आसानी से नहीं मिली, बल्कि इस आजादी के लिए देश को अपने वीर सपूतों की आहूति देनी पड़ी। आजादी की लड़ाई में कई स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए और एक लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 की वह सुबह हुई, जब देशवासियों ने आजादी के साथ उगता हुआ सूर्य देखा।

इस ऐतिहासिक पल को याद करने के लिए हर साल दिल्ली के लाल किले पर प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराकर राष्ट्र को संबोधित किया जाता है। हालांकि, कभी आपने सोचा है कि आगरा में भी लाल किला है, लेकिन हर साल पीएम द्वारा दिल्ली के लाल किले पर ही स्वतंत्रता दिवस पर झंडा क्यों फहराया जाता है। क्या है इसके पीछे का इतिहास और महत्त्व, इस लेख में पढ़ें। 

प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराना और फिर राष्ट्र को संबोधित करने की नींव इतिहास की 3 प्रमुख घटनाओं पर है।

1857 का विद्रोह

भारत में जब 1857 का विद्रोह हुआ, तो उस समय भारतीय विद्रोहियों ने अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर को अपने नेता और लाल किले को अपना मुख्यालय बनाया। ऐसे में उस समय यह किला अंग्रेजों के खिलाफ एक शक्तिशाली केंद्र के प्रतीक के रूप में था, जहां से विद्रोहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई थी। हालांकि, अंग्रेजों ने लाल किले को अपने कब्जे में लेकर मुगल सम्राट जफर को रंगून(म्यांमार) भेज दिया था और दिल्ली पर कब्जा कर लिया था।

ऐतिहासिक संप्रुभता को वापस लेने का प्रतीक

अंग्रेजों द्वारा दिल्ली पर कब्जा करने के बाद लाल किले को मुख्य छावनी केंद्र के रूप में बदला गया था। उस समय अंग्रेजों ने किला परिसर में सैनिकों के लिए कई बिल्डिंग भी बनवाई, जो कि आज भी देखी जा सकती हैं। ऐसे में 1947 में जब पहली बार लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, तो यह इस बात का प्रतीक था कि भारत ने अंग्रेजों से स्वतंत्र होकर अपनी ऐतिहासिक संप्रुभता वापस ले ली है।

लाल किले में चले भारतीय राष्ट्रीय सेना के मुकदमे

लाल किला वह स्थान है, जहां अंग्रेजों ने 1945 में भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के तीन बहादुर अधिकारियों पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया था। इस पर पूरे भारत में गुस्से का माहौल था। इन तीन अधिकारियों में कर्नल प्रेम कुमार सहगल, कर्नल गुरबक्श सिंह ढिल्लो और मेजर जनरल शाह नवाज खान शामिल थे। देशव्यापी विरोध के कारण अंग्रेजों को इन तीनों अधिकारियों को रिहा करना पड़ा था।

पंडित जवाहर लाल नेहरू का पहला संबोधन

15 अगस्त,1947 की आधी रात को जब देश आजाद हुआ, तो पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने यहां राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया, जो कि ब्रिटिश हुकूमत के अंत का प्रतीक बना। इसके बाद से यह भारतीय परंपरा का हिस्सा बन गया और हर साल पीएम द्वारा 15 अगस्त को यहां राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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